फर्जी खबरों पर अंकुश लगाने के लिए केंद्र सरकार का कड़ा फैसला , पत्रकारों का विरोध

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नई दिल्ली। फर्जी खबरों पर अंकुश लगाने के लिए केंद्र सरकार ने एक महत्वपूर्ण फैसला लिया है। इसके अनुसार अगर कोई पत्रकार फर्जी खबरें करता हुआ या इसका दुष्प्रचार करते हुए पाया जाता है तो उसकी मान्यता स्थाई रूप से रद्द की जा सकती है। इसको लेकर मीडिया जगत में तीव्र विरोध शुरू हो गया है । पत्रकारों के लिए बनाये गए इस नये नियम को लेकर पत्रकारों ने आज शाम 4 बजे इमरजेंसी बैठक बुलाई है।

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने पत्रकारों की मान्यता का संशोधित गाडलाइन जारी की है. इसके दिशानिर्देशों के अनुसार अगर फर्जी खबर के प्रकाशन या प्रसारण की पुष्टि होती है तो पहली बार पत्रकार की मान्यता छह महीने के लिये निलंबित की जाएगी। दूसरी बार फेक न्यूज के लिए उसकी मान्यता एक साल के लिए निलंबित की जाएगी। इसके अनुसार, तीसरी बार उल्लंघन करने पर पत्रकार (महिला/ पुरूष) की मान्यता स्थाई रूप से रद्द कर दी जाएगी।

मंत्रालय ने कहा कि अगर फर्जी खबर के मामले प्रिंट मीडिया से संबद्ध हैं तो इसकी कोई भी शिकायत भारतीय प्रेस परिषद( पीसीआई) को भेजी जाएगी। अगर यह इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से संबद्ध पाया जाता है तो शिकायत न्यूज ब्रॉडकास्टर असोसिएशन (एनबीए) को भेजी जाएगी। ऐसा इसलिए ताकि यह निर्धारित हो सके कि खबर फर्जी है या नहीं।

 

मंत्रालय ने कहा कि इन एजेंसियों को 15 दिन के अंदर खबर के फर्जी होने या न होने का निर्धारण करना होगा। हालांकि सरकार के इस कदम का विरोध भी शुरू हो गया है। कई पत्रकार इस पर विचार करने के लिए एक बैठक करने और विरोध की तैयारी कर रहे हैं। कुछ पत्रकारों का कहना है कि यह मीडिया का गला घोंटने की कोशिश के तहत लाया जा रहा सरकार का अलोकतांत्रिक कदम है।

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