नक्सल प्रभावित पताही में नारी सशक्तिकरण की प्रतीक है हसीना खातून

Font Size

-समूह निर्माण कर घरेलू उद्योग के रूप में सौंदर्य प्रसाधन का करती है उत्पादन 

-छोटी छोटी दुकानों और क्षेत्र के गांवों में लाह से बनी चूड़ियां करती है सप्लाइ

-लाह से निर्मित चूड़ी बनाने के गुर सीख रही दर्जनों महिलाएँ 

-अपने बच्चों को उच्च शिक्षा दिलाने की है चाहत 

 

बैदेही सिंह

नक्सल प्रभावित पताही में नारी सशक्तिकरण की प्रतीक है हसीना खातून 2पताही, पूर्वी चंपारण : पताही प्रखंड मुख्यालय से तकरीबन दस किलोमीटर उत्तर पूरब बागमती नदी के किनारे बसा जिहुली पंचायत स्थित “लहरी टोला” इन दिनों महिला सशक्तिकरण की दिशा में मिसाल बन गया है। यहाँ की महिलायें समूह निर्माण कर महिला सशक्तिकरण की दिशा में महिलाओं को शिक्षा मुहैया कराने के साथ साथ कुशल व हुनरमंद कारीगर बनाने में जुटी हैं । इन महिलाओं द्वारा स्वरोजगार के मूल मन्त्र को अपना के पास- पड़ोस की महिलाओं को अपने पैरों पर खड़े होने को प्रेरित किया जा रहा है. उन्हें सबल बनाने को लेकर लाह से निर्मित चूड़ी लहठी, रुमाल, तकिया खोल एवं सौंदर्य प्रसाधन बनाने के गुर सिखाए जा रहे हैं।

इन महिलाओं द्वारा निर्मित लाह से बनी चूड़ियों की मांग इलाके के हर गांवों में ही नहीं शहरो में भी तेज होने लगी है। इतना ही नहीं इनके द्वारा निर्मित लहठी की मांग छोटे-छोटे दुकानों के अलावा शिवहर ,सीतामढ़ी, मोतिहारी, मुजफ्फरपुर के बड़े बाजारों  में भी हो लगी है। हालाकि सरकारी स्तर पर समूह का निर्माण करने से कुछ आर्थिक मदद इन्हें मिल रही है पर सरकार चाहे तो इस समूह का विस्तार हर गांव और छोटे-छोटे स्थानों पर भी घरेलू उद्योग के रूप हो सकता है।

इन समूहों की हार्दिक इच्छा है सौंदर्य प्रसाधन निर्माण की दिशा में एक उद्योग स्थापित कर युवक और युवतियों को रोजगारपरक बनाया जाए । उनका मानना है कि इससे ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी मिट सकती है और रोजगार के लिए जूझ रहे लोगों को बेहतर जीवन यापन का साधन मिल सकता है।

हसीना खातून, बताती है कि तकरीबन 20 वर्षों से सौंदर्य प्रसाधन के रूप में वह लहठी उत्पादन का काम कर रही है. इन कार्यों के बलबूते पर दो बेटियों को उच्च शिक्षा दिलाने की व्यवस्था की है. उनकी दोनों बेटियाँ  जिहुली उच्च विद्यालय में पढ़ाई कर रही है.

इलाके की महिलाओं को अपने बलपर जीने को प्रेरित करने को लेकर लहठी उत्पादन के साथ साथ सिलाई, बुनाई में भी निपुण बनाने का उन्होंने संकल्प लिया। अभी गांव की महिलाओं का एक समूह बनाकर उन्हें अपने घर पर ही सिखा रही है। ख़ास बात यह है कि वह यह प्रशिक्षण निशुल्क दे रही है।

उन्होंने बताया कि जीविका द्वारा एक समूह का गठन किया गया है ,जिसमें खैरुण निशा, तंजीला खातून, इशरत खातून, नेवाजन खातून ,सहित कई महिलाएं लहठी उत्पादन सिलाई, बुनाई, का काम कर रही है.  उनका कहना है कि अगर सरकार इसे छोटे उद्योग के रूप में विकसित करती है, तो हम लोगों द्वारा निर्मित सौंदर्य प्रसाधन के सामान की मांग हर जगह होने लगेगी। ख़ास कर शादी विवाह के दिनों में शिवहर, सीतामढ़ी ,मोतिहारी जिले के कई गांव से लोग पीली लॉटरी की मांग करते हैं, जिसे पूरा नहीं कर पाती हूं। कारण चूड़ी उत्पादन का सामान मुजफ्फरपुर व सीतामढ़ी से लाने में ही अधिक समय व्यतीत हो जाता है। इन समूहों द्वारा छोटे छोटे रूमाल, तकिए का खोल, हाथ से बने  ऊनी स्वेटर का उत्पादन किया जाता है। दुःख इस बात की है कि उनकी मेहनत व लागत के अनुसार उनके घरेलू उत्पादन का बाजार में उचित मूल्य नहीं मिल पाता है। उनकी मांग है कि अगर सरकार इस समूह द्वारा तैयार सामानों का बाजार मुहैया करा दे तो सही मायने में वह दिन दूर नहीं जब महिलाएं अपने बल पर स्वावलंबन की दिशा में बेहतर स्थिति में होगी और समृद्ध समाज निर्माण की दिशा में कदम आगे बढ़ेंगे.

 

 क्या कहते हैं अधिकारी ?

 

प्रखंड विकास पदाधिकारी सह अंचल अधिकारी विनय कुमार का कहना है कि हसीना खातून ने पताही प्रखंड में महिला सशक्तिकरण की दिशा में मिसाल कायम किया है। इससे सीख लेने की जरूरत है। साथ ही महिलाओं के सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए सरकार जीविका के माध्यम से समूह निर्माण का गठन कर लोगों को रोजगार उपलब्ध करा रही है। सरकार उन्हें पूरा सहयोग क्र रही है.

क्या है हसीना की योजना ?

चूड़ी लहठी, कढ़ाई बुनाई, के साथ निर्माण के लिये बड़ा उद्योग स्थापित कर ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को एक साथ बड़ा समूह बनाकर रोजगार देने की योजना है.

 

पारिवारिक पृष्ठभूमि :

 

हसीना के पति सफी मोहम्मद, राज मिस्त्री का काम करते हैं. हसीना खातून, के बड़े पुत्र सद्दाम हुसैन 17 वर्ष से ही मेहनत मजदूरी का काम करता है. पुत्री रहेना नेसा,15 वर्ष, पढ़ाई छोड़ दी है.  मुस्कान 7 वर्ष मध्य विद्यालय जिहुली में पढ़ाई करता है.

लहठी, कढ़ाई, बुनाई की प्रेरणा अपने नैहर शिवहर जिले के मुसहरी गांव निवासी माता मोमिना खातून और सास नगीना खातून से मिली।

 

सरकारी स्तर पर दस सदस्य समूह का गठन  :

 

महिला सदस्य कहती हैं कि ऊंट के मुंह में जीरा का फोरन ! पंद्रह हजार रुपये सभी सदस्यों को मिले हैं, जिससे रोजगार शुरू किया है। टीम की सचिव खुशबू खातून है जो थोड़ी पढ़ी लिखी है. वही समूह का हिसाब और लेखा जोखा रखती है. वह भी लहठी उत्पादन के साथ कढ़ाई बुनाई में निपुण है।

दो दर्जन महिलाओं को मिला रोजगार :

अब तक 2 दर्जन से ऊपर महिलाओं को सिखा चुकी है ,चूड़ी लहठी , कढ़ाई बुनाई के गुर.

लहठी सौंदर्य प्रसाधन के निर्माण की लागत  :

टीम की सचिव खुशबू खातून बताती है कि चूड़ी निर्माण के लिए लाह, 1 सौ 10 किलो, 1 सौ 70 रुपए किलो रंजक, 4 सौ रुपए के जी चपरा। चूड़ी निर्माण के बाद यहां से सस्ता और सुलभ लहठी लोगो को उपलब्ध कराया जाता है. बाजार मूल्य 50 रुपये ,तथा खुदरा मूल्य 30 रुपए दर्जन है। इन सभी महिलाओं के समूह की एक ही मांग है, सुलभ और सस्ते दर पर सरकार कढ़ाई बुनाई के लिए कपड़े, लहठी निर्माण के लिए सस्ते दर पर लाह उपलब्ध कराने के साथ बाजार भी उपलब्ध करवाए तो आने वाले दिनों में ग्रामीण क्षेत्रों की महिला आर्थिक रूप से समृद्ध  और सफल बन सकती है।

क्या कहते है क्षेत्रीय विधायक ?

सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का लाभ लोगों को मिल रहा है। महिलाओं को सफल बनाने की दिशा में केंद्र और बिहार सरकार तत्पर है. सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में समूह बनाकर, रोजगार उपलब्ध करा रही ह., आने वाले दिनों में महिलाओं के लिए सरकार अन्य रोजगार भी उपलब्ध कराएगी.  वह दिन दूर नहीं जब ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं अपनी सफलता की परचम लहराएगी। क्षेत्र की अन्य महिलाओं को भी इन समूहों से सीख लेने की जरूरत है।

You cannot copy content of this page