नई दिल्ली : राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द ने आज ‘अकादमी रत्न’ और ‘अकादमी पुरस्कार’ से कला जगत में उत्कृष्ट कार्य करने वाले कलाकारों को सम्मानित किया. इस अवसर पर उन्होंने अपने सम्बोधन में कहा कि आज ‘अकादमी रत्न’ और ‘अकादमी पुरस्कार’ से सम्मानित किए गए सभी कलाकारों को मैं हार्दिक बधाई देता हूं। रह्स्त्रपति ने कहा कि इस समारोह में उपस्थित कलाकारों के रूप में, भारत की बहुरंगी संस्कृति के सर्वश्रेष्ठ प्रतिनिधि यहां एक साथ बैठे हुए हैं।जैसा कि कला जगत से जुड़े सभी लोग जानते हैं, कि ‘संगीत नाटक अकादमी’ की स्थापना, भारत के संगीत, नृत्य और रंगमंच जैसे परफ़ार्मिंग-आर्ट्स की परंपराओं को जारी रखने और आगे बढ़ाने के लिये की गयी थी।
उन्होंने कहा कि भारत की परंपरा में, कला को भी एक साधना माना गया है। कलाकारों को हमारे समाज में एक विशेष सम्मान दिया जाता रहा है। सच्चे कलाकार, कला के जरिये, अपने-अपने ढंग से, सत्य, शिव और सुंदर की खोज करते रहते हैं। प्रत्येक कला में बहुत ऊर्जा होती है। इसीलिए, सभी कलाकार अपनी साधना में निरंतर लगे रहते हैं जो सच्चाई पर आधारित, और कल्याण-कारी तथा मंगलकारी होती है तथा अंत में सौन्दर्य-बोध को परिलक्षित करती है।
राष्ट्रपति ने बताया कि गायन और संगीत की ऊर्जा, एक साधारण से तथ्य में देखी जा सकती है। हर देश का अपना एक ‘राष्ट्र-गीत’ होता है। राष्ट्र-गीत द्वारा देश के गौरव से जुड़ी भावना को गायन के जरिए व्यक्त किया जाता है। इसे सुनकर हर देशवासी के अंदर देश-प्रेम की भावना जाग उठती है। अंतर्राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं में अपने-अपने देश के राष्ट्र-गीतों को सुनकर सभी खिलाड़ी अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित हो जाते हैं। राष्ट्र-गीत को गाते या सुनते समय हर देशवासी निजी आकांक्षाओं से ऊपर उठ जाता है। कला की इसी शक्ति का प्रयोग, कलाकारों द्वारा, समाज और देश के हित में किया जाना चाहिए।
उनके अनुसार हिन्दी रंगमंच के जनक के रूप में सम्मानित, भारतेन्दु हरिश्चंद्र के ‘भारत दुर्दशा’ और ‘अंधेर नगरी’ जैसे लोकप्रिय नाटकों में, आपसी भेदभाव और फूट, तथा अंग्रेजी हुकूमत के शोषण के कारण हुई भारत की दशा को, बहुत प्रभावी रूप से प्रस्तुत किया जाता था। इससे, भारत-वासियों में सामाजिक और राजनैतिक चेतना का विकास करने में मदद मिलती थी। संवेदनशील मुद्दों पर करुणा जगाने, या जन-जागरण पैदा करने में रंगमंच का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। इस प्रकार, एक सच्चा रंगकर्मी या कलाकार, समाज-शिल्पी और राष्ट्र-निर्माता भी होता है।
उनका कहना था कि ‘कला, कला के लिए है’ या ‘कला, समाज के लिए है’ ऐसे विवाद तो चलते रहेंगे। लेकिन इस बात पर कोई विवाद नहीं है कि, सच्ची कला सबके मन को आकर्षित करती है। इस प्रकार कला, लोगों को संस्कृति से जोड़ती है। इसी तरह कला, लोगों को आपस में भी जोड़ती है। लोक-कला इसका सबसे अच्छा उदाहरण है। नौटंकी या कठपुतली के प्रदर्शन को देखते हुए, लोग संवेदना और भावना के एक सूत्र में बंध जाते हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि संगीत नाटक अकादमी द्वारा जन-जातीय संगीत, नृत्य, रंगमंच तथा पारंपरिक लोक-कलाओं के क्षेत्र में योगदान देने वाले कलाकारों को पुरस्कार दिये जाते हैं, यह एक सराहनीय कदम है। जमीन से जुड़ी इन लोक-कलाओं ने हमारे देश की परंपराओं जीवित रखा है।
इस समारोह में उपस्थित, विशिष्ट कलाकारों को, उन्होंने बधाई दी और उम्मीद जताई कि सभी भारत में, कलाकारों की अगली पीढ़ी को तैयार करने में, अपना योगदान देते रहेंगे। उन्होंने आशा ब्यक्त की कि इस योगदान से, भारत के परफ़ार्मिंग-आर्ट्स की परंपरा जीवंत बनी रहेगी और उसे प्रोत्साहित करने का कार्य सदैव आगे बढ़ता रहेगा।
संगीत नाटक अकादमी अध्येतावृत्तियां (अकादमी रत्न) एवं संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार (अकादमी पुरस्कार) राष्ट्रीय पुरस्कार हैं जो प्रदर्शन कलाकारों तथा प्रदर्शन कलाओं के क्षेत्र से जुड़े शिक्षकों एवं विद्वानों को प्रदान किए जाते हैं। पुरस्कृतों का चयन अकादमी की आम परिषद द्वारा किया जाता है जिनमें इन विधाओं के संगीतकार, नर्तक, थियेटर कलाकार और विद्वान तथा भारत सरकार और राज्यों एवं संघ शासित प्रदेशों के नामांकित व्यक्ति शामिल होते हैं।
इस वर्ष चार अध्येतावृत्तियां (अकादमी रत्न) श्री अरविंद पारिख, श्रीमती आर.वेड्डावली, श्री रामगोपाल बजाज और श्री सुनील कोठारी को प्रदान की गयीं । अध्येतावृत्ति में तीन लाख रुपये, एक अंग वस्त्रम और एक ताम्र पत्र शामिल हैं। 2016 के लिए संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित होने वाले कलाकार एक लाख रुपये, एक अंग वस्त्रम और ताम्र पत्र प्राप्त किया ।
संगीत के क्षेत्र में, इस वर्ष सात विख्यात कलाकारों ने अकादमी पुरस्कार प्राप्त किए हैं जिनमें शामिल हैं : श्रीमती पदमा तलवालकर एवं श्री प्रभाकर करेकर, हिन्दुस्तानी गायन संगीत, श्री अरविंद मलगांवकर, हिन्दुस्तानी वादन संगीत –तबला, श्रीमती कला रामनाथ, हिन्दुस्तानी वादन संगीत – वायलिन, श्रीमती नीला रामगोपाल एवं श्रीमती के.ओमनाकुट्टी, कर्नाटक गायन संगीत, श्री जे.वैद्यनाथन, कर्नाटक वादन संगीत- मृदंगम, श्री मैसूर एम.मंजूनाथ, कनार्टक वादन संगीत-वायलिन, श्री निंगथोजम श्यामचंद सिंह, संगीत की अन्य बड़ी परंपराएं – नाटा संकीर्तन, मणिपुर, श्रीमती रत्नमाला प्रकाश, संगीत की अन्य बड़ी परंपराएं – सुगम संगीत, श्री अहमद हुसैन एवं मोहम्मद हुसैन, संगीत की अन्य बड़ी परंपराएं – सुगम संगीत (हुसैन बंधु) (संयुक्त पुरस्कार)।
नृत्य के क्षेत्र में, इस वर्ष नौ विख्यात कलाकारों ने अकादमी पुरस्कार प्राप्त किए हैं जिनमें शामिल हैं : भरतनाट्यम के लिए श्रीमती गीता चंद्रन, कत्थक के लिए श्री जितेन्द्र महाराज, कत्थकलि के लिए श्री कलामंडलम रामचंद्रन उन्नीथन, मणिपुरी के लिए श्री मैसनाम कामिनीकुमार सिंह, कुचीपुडी के लिए श्रीमती ए.बी.बाला कोंडला राव, ओडिशी के लिए रतिकांत महापात्रा, सत्तरीय के लिए श्री हरिचरण भुईयां बोरबायन, छऊ के लिए श्री गोपाल प्रसाद दुबे, समसामयिक नृत्य के लिए श्रीमती अनिता आर.रत्नम।
थियेटर के क्षेत्र में इस वर्ष नौ विख्यात कलाकारों ने अकादमी पुरस्कार प्राप्त किए हैं जिनमें शामिल हैं : नाटक लेखन के लिए श्रीमती कुसुम कुमार, निर्देशन के लिए श्री सत्यब्रत राउत, निर्देशन के लिए श्री विपिन कुमार, निर्देशन के लिए श्री राजकमल नाइक, अभिनय के लिए श्री गिरिसन वी, अभिनय के लिए श्री ओईनाम बीरामंगोल सिंह, अभिनय के लिए श्री मोहन जोशी, संबद्ध थियेटर कलाओं – थियेटर के लिए संगीत के लिए श्रीमती अंजना पुरी, थियेटर की अन्य बड़ी परंपराओं – यक्षगण के लिए श्री के.गोविंद भट्ट।
पारंपरिक/ लोक/ जनजातीय संगीत/नृत्य/थियेटर एवं कठपुतली कला के क्षेत्र में इस वर्ष 10 कलाकारों ने अकादमी पुरस्कार प्राप्त किए हैं जिनमें शामिल हैं : श्रीमती अन्नाबटुल्ला लक्ष्मी मंगतायारु एवं श्रीमती लीला शाही संयुक्त पुरस्कार पारंपरिक थियेटर (कलावंतुलु) आंध्र प्रदेश, श्री योगेश गाधवी, लोक संगीत, गुजरात, श्री विद्यानंद सारयिक, लोक संगीत, हिमाचल प्रदेश, श्री सोमनाथ डी. चारी, पारंपरिक संगीत, गोवा, श्री लक्ष्मीधर राऊत, पाला, ओडिशा, श्री चिरंजीलाल तंवर, मांड , राजस्थान श्री गुलजार अहमद गन्नी, लोकसंगीत (चकरी), जम्मू एवं कश्मीर, श्री ब्रजकिशोर दुबे, लोक संगीत, बिहार, श्री प्रभीतांगसु दास एवं श्री दत्तात्रेय अलारीकट्टे को कठपुतली कला के लिए।
पप्पु वेणुगोपाल राव एवं अविनाश पशरिचा को प्रदर्शन कलाओं में उनके समग्र योगदान के लिए अकादमी पुरस्कार प्रदान किया गया।
2016 के लिए अध्येतावृत्तियां अकादमी पुरस्कार समारोह के बाद संगीत, नृत्य एवं नाटक का एक त्योहार 18 से 21 जनवरी 2018 तक निर्धारित है जिसमें वर्ष के अध्येतावृत्ति एवं पुरस्कार विजेयता शामिल होंगे। ये समारोह 18 जनवरी 2018 से मेघदूत थियेटर कंप्लेक्स, कॉपरनिकस मार्ग एवं मावलंकर हॉल, रफी मार्ग पर आयोजित किए जाएंगे।
संगीत नाटक अकादमी की स्थापना भारत सरकार द्वारा 1953 में भारत के संगीत, नृत्य एवं नाटक के राष्ट्रीय अकादमी के रूप में की गई थी।