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गुरूग्राम, 17 जनवरी। भारत सरकार द्वारा आरंभ की गई ‘राष्ट्रीय शिक्षुता संवर्धन योजना’(एनएपीएस) के बारे में सरकारी व निजी संस्थानों को जागरूक करने के उद्द्ेश्य से गुरुग्राम के महरौली रोड़, सैक्टर-14 स्थित जीआईए हाऊस में आज कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में औद्योगिक प्रतिष्ठानों एवं विभिन्न विभागों के अधिकारियों ने भाग लिया।
कार्यशाला में राजकीय जीआईटीआई के प्रिंसीपल एवं सहायक प्रशिक्षुता सलाहकार रविन्द्र कुमार ने विभिन्न प्रतिष्ठानों व विभागों से आए प्रतिनिधियों को एनएपीएस के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कोई भी प्रतिष्ठान उसमें कार्यरत कर्मचारियों की कुल संख्या का (2.5 से 10 प्रतिशत) तक शिक्षुओं को नियुक्त करना अनिवार्य है। एनएपीएस के तहत भारत सरकार शिक्षु को दिये जाने वाले स्टाइफंड का 25 प्रतिशत या अधिकतम 1500 रूपये प्रतिष्ठान को अदा करेगी। उन्होंने बताया कि योजना के तहत सभी सरकारी या निजी संस्थानों को पहले साल मिनिमम वैजिज ऑफ सेमी स्केल्ड का 70 प्रतिशत, दूसरे साल 80 प्रतिशत तथा तीसरे साल 90 प्रतिशत तक भुगतान करना अनिवार्य है।
इस योजना का लाभ लेने के लिए प्रतिष्ठान को 222.ड्डश्चश्चह्म्द्गठ्ठह्लद्बष्द्गह्यद्धद्बश्च.द्दश1.द्बठ्ठ पर अपना पंजीकरण करना अनिवार्य है। पंजीकरण के बाद प्रतिष्ठान में किस प्रकार का काम होता है, उसकी जानकारी पोर्टल पर डालनी होती है। उसके पश्चात शिक्षुता हेतु प्राप्त आवेदको का चयन करना होगा। उन्होंने बताया कि आईटीआई में लगभग 260 डेजिगनेटिड ट्रेड हैं जिनके विद्यार्थी प्रशिक्षु के तौर पर प्रशिक्षण प्राप्त करने के पात्र हैं। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षु नियुक्त नहीं करने वाले वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों के खिलाफ शिक्षुता अधिनियम-1961 में दण्ड का प्रावधान भी है। उन्होंने बताया कि जो संस्थान या विभाग इसकी पालना नही करेंगे उन पर तीन माह तक 500 रूपये प्रति माह/ प्रति प्रशिक्षु तथा इसके बाद इसे बढ़ाकर 1000 रूपये प्रति माह/ प्रति प्रशिक्षु कर दिया जाएगा।
उन्होंने बताया कि यह योजना तकनीकी दृष्टि से शिक्षित युवाओं को उस व्यावहारिक ज्ञान और उन कौशलों से परिपूर्ण बनाता है जिनकी आवश्यकता उन्हें अपने कार्यक्षेत्र में पड़ती है। इसके अंतर्गत प्रशिक्षुओं को विभिन्न संगठनों द्वारा उनके कार्यस्थल पर ही प्रशिक्षण दिया जाता है। भारत सरकार ने 2020 तक 50 लाख युवाओं को शिक्षु प्रशिक्षण प्रदान करने का लक्ष्य रखा है जिसके अंतर्गत राष्ट्रीय शिक्षु संवर्धन योजना की शुरूआत की गई है। इसी के अंतर्गत सभी सरकारी कार्यालयों तथा कारखानों व वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों में ढाई से 10 प्रतिशत तक प्रशिक्षु रखना अनिवार्य किया गया है।
साथ ही उन्होंने बताया कि जिन प्रतिष्ठानों में कर्मचारियों की संख्या 40 से कम है, उनके लिए इस योजना के तहत प्रशिक्षु रखना ऐच्छिक है और अनिवार्य नहीं है परंतु जहां पर कर्मचारियों की संख्या 40 से अधिक है वहां पर प्रशिक्षु रखना अनिवार्य है। कार्यशाला में श्री संदीप गुप्ता ने नेशनल एमप्लायबिल्टिी एनहांसमेंट मिशन पर भी प्रैजेंटेशन दी गई।
गौरतलब है कि शिक्षुता अधिनियम तथा इससे संबंंधित सभी जानकारियां कारखानों व वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों के प्रतिनिधियों को देने के लिए 18 जनवरी को उद्योग विहार फेज-5 स्थित एचएसआईआईडीसी सभागार में कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। ये कार्यशाला प्रात: 11 बजे शुरू होगी। इसी प्रकार, 19 जनवरी को ही मानेसर के एचएसआईआईडीसी सभागार में प्रात: 11 बजे तथा गुरुग्राम के सैक्टर-37 में दोपहर बाद ढाई बजे जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा। उन्होंने बताया कि इन कार्यशालाओं में उन क्षेत्रों तथा आस-पास में स्थित उद्योगों व वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों के प्रतिनिधि भाग लेंगे।
इस अवसर पर संयुक्त श्रम आयुक्त अनुराग गहलोत, उप-श्रम आयुक्त दिनेश कुमार, आर के सैनी, अशोक नैन , सहायक निदेशक रोबिन खोखा, सहायक श्रम आयुक्त रमेश आहुजा , अप्रैंटिस प्लेसमेंट ऑफिसर सतेन्द्र सिंह, जूनियर अप्रेंटिस ऑफिसर जयप्रकाश, सरबजीत सहित कई अधिकारीगण उपस्थित थे।