सुभाष चौधरी/प्रधान संपादक
चंडीगढ़, 7 जनवरी : हरियाणा सरकार ने सभी विभागों में नोडल अधिकारी (मुकद्दमेबाजी) नियुक्त करने का निर्णय लिया है।
न्याय प्रशासन विभाग द्वारा जारी एक परिपत्र के अनुसार सिविल प्रक्रिया संहिता (सीपीसी) की धारा 80 के तहत न्याय की मांग के लिए प्रत्येक याचिका या नोटिस या प्रतिवेदन या नोटिस पर उसकी प्राप्ति की तिथि से 30 दिनों के भीतर नोडल अधिकारी (एनओ) उस पर विचार करने की उत्तरदायी होगा। इसके अतिरिक्त, इन 30 दिनों की निर्धारित अवधि में की गई कार्रवाई को कर्मचारी या कानूनी नोटिस देने वाले व्यक्ति को या प्रतिवेदन करने वाले व्यक्ति के पास पहुंच जानी चाहिए।
विधिक मामलों के बारे में महा अधिवक्ता, हरियाणा के कार्यालय से सभी कानूनी नोटिस, याचिकाएं, पत्र सम्बंधित नोडल अधिकारी (एनओ) को भेजे जाएंगे जो इन्हें सम्बंधित अतिरिक्त मुख्य सचिव (एसीएस), वित्तीय आयुक्त (एफसी) या विभागाध्यक्ष को आगामी कार्यवाही करने के लिए ध्यान में लाने के लिए उत्तरदायी होंगे ताकि इन मामलों पर आगामी कार्यवाही करके मामलों की डिफेंस करने और अपील दायर करने व राज्य सरकार की ओर से किसी अन्य मामले या याचिका दायर करने के लिए स्वीकृति जारी करवाई जा सके। इसके अतिरिक्त, प्रक्रिया संबंधी देरी से बचने के लिए राज्य सरकार सीधे एलआर कार्यालय या प्रशासनिक सचिवों के साथ बातचीत कर सकें।
नोडल अधिकारी या एलडी. एजी अधिकारी द्वारा न्यायालयों से प्राप्त आदेशों पर नोडल अधिकारी यह सुनिश्चित करेगा कि मुकदमेबाजी प्रबंधन प्रणाली (एलएमएस) में आवश्यक प्रविष्टियां की गई हैं और कागजात याचिका दायर करने, कार्यान्वयन या शीघ्र पेपर प्रकिया शुरू करने के लिए सम्बंधित अधिकारी को भेज दिए गए हैं। इसके अतिरिक्त, उन्हें या एलएमएस पर अपलोडिंग की प्रतिक्रिया भी भेजी जा रही है।
नोडल अधिकारी समय-सारणी को इंगित करेंगे जिसके द्वारा कार्रवाई की जानी है और कार्रवाई न करने के सम्बंध में वे इस मामले को सम्बंधित अधिकारी और एसीएस, एफसी या विभागाध्यक्ष के समक्ष रखेंगे। यूनिवर्सल एप्लीकेशन के सभी फैसलों को उस द्वारा मार्गदर्शन और क्रियान्वयन के लिए विभागों को भेजा जाएगा। वह याचिका दायर करने, लघु याचिका, लिखित बयान, रिपोर्ट या हलफनामा की स्थिति, अदालत के आदेशों या निर्देशों का क्रिर्यान्वयन, एलपीए, एसएलपी, आरएसए या एफएओ, आरएफए और सीआर दायर करने तथा प्रतिवेदनों के अवमानना नोटिस का कानूनी नोटिस की स्थिति का पाक्षिक आधार पर समीक्षा करेंगे। वह विभागों में एलएमएस के प्रशिक्षण के लिए जिम्मेदार होगा।
नोडल अधिकारी की भूमिका और जिम्मेदारियों में यह देखना भी शामिल होगा कि क्या पीएसयू और सरकारी सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के बीच मुकदमेबाजी से बचा जा सकता है या नहीं। यदि इन पीएसयू और सरकार के बीच मुकदमेबाजी से नहीं बचा जा सकता है तो इसके विपरीत वैकल्पिक विवाद समाधान विधियों जैसे मध्यस्थता या सुलह पर विचार किया जाना चाहिए।
सीपीसी की धारा 89 बड़े पैमाने पर सहारा लिया जाना चाहिए। वे मुकदमेबाजी की प्रगति पर भी निगरानी करेंगे, विशेष रूप से ऐसे मामलों की पहचान करेंगे जिनमें बार-बार स्थगन हो रहा है ओर इस बार-बार और अनुचित स्थगन के बारे में अपने विभागाध्यक्षों को जानकारी देंगे।