हरियाणा के शहरों में झुग्गी-झोपड़ी में रहने वालों को मिलेंगे सरकारी मकान

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सुभाष चौधरी/प्रधान संपादक 

चंडीगढ़, 7 जनवरी:  हरियाणा के शहरी क्षेत्रों में सरकारी जमीन पर लंबे समय से अवैध तरीके से बस्तियों में झुग्गी-झोपड़ी बनाकर रह रहे लोगों को हरियाणा सरकार ने आवासीय कालोनी बनाकर देने की नीति तैयार की है। हरियाणा की शहरी स्थानीय निकाय मंत्री कविता जैन ने बताया कि नगर निगम, नगर परिषद एवं नगर पालिकाओं में ऐसे हजारों लोगों को सरकार निजी-सार्वजनिक भागीदारी (पीपीपी) तर्ज पर कालोनी विकसित करके आवास आवंटित करेगी। कालोनी निर्माण शुरू होने से लेकर उसके पूरा होने तक ठेकेदार/बिल्डर ऐसे लाभार्थियों को मासिक किराया देंगे, ताकि वह अस्थाई तौर पर अपना रिहायशी बंदोबस्त कर सकें।  

उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार ने शहरों में सरकारी जमीन पर अवैध तरीके से स्थापित हो चुकी बस्तियों में रहने वाले लोगों को उसी स्थान पर आवासीय कालोनी विकसित करने की नीति तैयार की है। दशकों से इस प्रकार रह रहे लोगों को चिन्हित करते हुए आवासीय कालोनी पीपीपी माडल पर विकसित करने के प्रस्ताव को मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने मंजूरी प्रदान कर दी है। इस योजना में हजारों परिवारों को न केवल स्थाई आशियाना मुहैया कराया जाएगा, अपितु उनके सामाजिक माहौल में भी बड़ा बदलाव लाना संभव हो जाएगा। इस महत्वाकांशी परियोजना के तहत शहरी क्षेत्र में चिन्हित स्थान पर आवासीय परिसर का निर्माण शुरू करने से लेकर पूरा होने तक डेवेलपर लाभार्थी को किराया प्रदान करेंगे ताकि वह आवास मिलने तक अपनी रिहायश सुनिश्चित कर सकें।

 कविता जैन ने बताया कि प्रदेश के सभी शहरी क्षेत्रों में प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के तहत सबके सिर पर छत के सपने को पूरा करने की दिशा में आगे बढ रही है।  अब ऐसी झुग्गी-झोपडियों के स्थान पर आवासीय कालोनी विकसित करने के लिए अलग-अलग शहरी क्षेत्रों की स्थानीय जरूरतों के अनुसार आवासीय कालोनियों में आवास की क्षमता तथा उनके निर्माण के संबंध में दिशा-निर्देश तय किए जाएंगे और इन्हें पीपीपी माडल पर विकसित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि आनलाइन प्रक्रिया के तहत ठेकेदार बिल्डर का चयन किया जाएगा, जो प्रोजेक्ट शुरू करने से लेकर उसके पूरा होने तक इस योजना के लाभार्थियों को मासिक किराए का भुगतान करेंगे। गुरुग्राम, फरीदाबाद नगर निगम में प्रति परिवार तीन हजार रुपये, अन्य नगर निगम में प्रति परिवार दो हजार रुपये, नगर परिषद में 1500 रुपये तथा नगर पालिका में 1000 रुपये का भुगतान किया जाएगा। 

उन्होंने कहा कि लाभार्थी को आवास मुहैया कराने की प्रक्रिया की निगरानी नगर निगम में आयुक्त नगर निगम तथा नगर परिषद एवं पालिकाओं में उपायुक्त की अध्यक्षता में समिति करेगी। प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद संबंधित पालिका आवासीय कालोनी में आवासीय कल्याण संघ (आरडब्ल्यूए) की स्थापना करवाएगी, जो आवासीय परिसर से संबंधित रखरखाव की जिम्मेदारी निभाएगी। इस परिसर में व्यवसायिक परिसर निर्माण की बिक्री ठेकेदार/बिल्डर अपने स्तर पर करेगा।

 कविता जैन ने कहा कि अलाटमेंट प्रक्रिया के तहत प्रत्येक लाभार्थी को अलाट आवास की लीज के लिए गुरुग्राम, फरीदाबाद निगम में 20 हजार रुपये, अन्य नगर निगमों में 15 हजार रुपये, नगर परिषद में 12 हजार रुपये तथा पालिका में 10 हजार रुपये का भुगतान करना होगा। प्रत्येक लाभार्थी को 15 साल के बाद मालिकाना हक पाने के लिए गुरूग्राम, फरीदाबाद निगम में एक लाख रुपये, अन्य नगर निगमों में 75 हजार रुपये, नगर परिषद में 50 हजार रुपये तथा पालिका में 25 हजार रुपये का भुगतान करना होगा। संबंधित शहरी स्थानीय निकाय आवासीय कालोनी विकसित करने के दौरान गुणवत्ता, समय पर काम पूरा कराने के लिए थर्ड पार्टी कंसल्टेंट की नियुक्ति की जाएगी।  

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