तीन साल बाद सोशल मीडिया की सहायता से घर वापस आया सराफत अली उर्फ पतलू !

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: गुमसुदगी से बेखबर पतलू अपनी प्रतिभा का रंग राष्ट्रीय और प्रदेश स्तर पर रोशन कर रहा था

: तीन साल पहले पंचायत चुनावों में संगीत के शोरगुल में अचानक गायब हो गया

: सराफत उर्फ पतलू अब राजस्थान में अंडर 14 फुटबाल टीम कैप्टन है

यूनुस अलवी

तीन साल बाद सोशल मीडिया की सहायता से घर वापस आया सराफत अली उर्फ पतलू ! 2मेवात :     पुन्हाना उपमंडल के गांव रसूलपुर की मस्जि़द वाली गली 3 बरस पहले 10 फरवारी को पंचायत चुनावों की खुशी में एक जोरदार संगीत की धुनों पर थिरक रहे थे। इसी संगीत में एक गरीब जाकिर हुसैन का मंदबुद्धि बालक सराफत अली उर्फ पतलू भी संगीत की धुंन पर नाच रहा था। अचानक संगीत के शोरगुल में पतलू गायब हो गया। वह इस तरह गुम हुआ कि मां को छोड परिवार ने उसके मिलने की उम्मीद ही छोड दी थी। पतलू को गांव-गांव और रिश्तेदारियों में ढूंडा जब वह कहीं नहीं मिला तो उसकी पुन्हाना थाने में गुमशुदी की रिपोर्ट दर्ज कराई गई। भले ही सबने उसके आने की आस छोड दी हो पर तीन बरसों से मां बेटे के आने का इंतजार कर रही थी, कहा जाता है कि मरे का सब्र आ जाता है पर जिंदे का सब्र कैसे आऐ। आखिकार वो घडी भी आ गई जब मां की ममता के आगे कुदरत भी पिघल गया। सोशल मीडिया की मार्फत सराफत अली बीती रात अपने परिवार से आ मिला। 

 

पतलू गुम होकर कहां गया

 गांव रसूलपुर के लोग बताते हैं कि डीजे जब बज रहा था पतलू वहीं था। उसके बाद वह पुन्हाना तक डीजे के टेंपू फिर पुन्हाना से अलवर तक एक ट्रक में लटककर चला गया जहां पुलिस ने पतलू को पकड लिया पूछताछ के बाद अलवर पुलिस ने पतलू को अलवर के सरस्वती आश्रम भेज दिया। दो साल बाद पतलू को अलवर के ही मानसिक विमंदित पुनर्वास गृह भेज दिया। जहां के निदेशक प्रभाकर शर्मा ने पतलू को तरासका एक बेहतरीना फुटबाल खिलाडी और धावक बना दिया। फिलहाल वह पतलू की शिक्षा पर ध्यान दे रहे हैं।

 

पतलू के परिवार की हालत दयनीय

 
परिवार में कमाने लायक सराफत अली उर्फ पतलू से एक बडा भाई है। परिवार की हालत इतनी दयनीय की रसूलपुर गांव के लोगो द्वारा दिये जाने वाले दान, सदका, जक़ात और खैरात से ही गुजऱ बसर होती है। कोई आय का साधन नही, परिवार का मुखिया यानि पतलू का पिता भी मंदबुद्धि हैं और 10 लोगों का परिवार है। पतलू परिवार में तीसरे नंबर का है।

 

सराफत उर्फ पतलू अब राजस्थान में अंडर 14 फुटबाल टीम कैप्टन है

 
पतलू अलवर जिले के मानसिक विमंदित पुनर्वास गृह (अनाथालय) में निदेशक प्रभाकर शर्मा की रहनुमाई में गुमसुदगी से बेखबर अपनी प्रतिभा का रंग राष्ट्रीय और प्रदेश स्तर पर रोशन कर रहा था। ये मंदबुद्धि बालक बेहतरीन नित्र्य, बेहतरीन धावक और एक अच्छा फुटबॉल खिलाड़ी बन गया। चैनई में मंदबुद्धि फुटबाल प्रतियोगिता में पतलू की अगुवाई में जुलाई 2017 में उनकी फुटबाल टीम क्वाटर फाईनल तक पहुंची। वहीं अक्तुबर 2017 में पतलू ने राजस्थान में प्रदेश स्तरीय ऐथलेटिक खेलों में 100 और 200 मीटर की दौड में प्रथम स्थान प्राप्त किया।
 
 पतलू का फिंगर प्रिंट से पता चला
 
मानसिक विमंदित पुनर्वास गृह अलवर के निदेशक पंडित प्रभाकर शर्मा ने बताया कि जब पतलू ने फुटबाल और दौड में अच्छा नाम किया तो उसे अंतर्राष्ट्रीय खिलाडी बनाने की नियत से उसका आधार कार्ड बनाना चाह लेकिन उसका आधार नहीं बन रहा था। उसके बाद आधार बनाने वाले विषेशज्ञयों को बुलाया जब पलतू के फिंडर प्रिट लिए तो उनके गांव का पूरा पता सामने आ गया। क्योंकि पतलू का पहले आधार कार्ड गांव में बना हुआ था।

 

परिवार को सोशल मीडिया से पता चला

 
  अलवर मेव पंचायत के प्रवक्ता कासिम मेवाती ने बताया कि प्रभाकर शर्मा ने उनको फोन पर बताया कि कोई मंदबुद्धि लडका मेवात हरियाणा का है। इसकी जानकारी उनके परिवार तक पहुचाओ। कासिम का कहना है कि उसने पतलू की जानकारी और फोटो सोशलमीडिया पर डालदी उसके दूसरे दिन ही पतलू के परिवार वालों का फोन आया। बृहस्पतिवार की शाम पतलू को उसके परिवार के हवाले कर दिया गया है।

 

संस्था का किया धन्यवाद

 
सराफत अली की मां सायरा, सफी मोहम्मद ने तीन साल बाद उनके बेटे को परिवार से मिलाने पर मानसिक विमंदित पुनर्वास गृह के निदेशक प्रभाकर शर्मा और मेव पंचायत के प्रवक्ता कासिम मेवाती का धन्यवाद किया है। वहीं परिवार के लोगों का कहना है कि कुछ दिन बाद वह पतलू को वापिस अनाथाल्य भेज देंगें जिससे वह अपनी जिंदगी सवांर सके।
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