वित्त मंत्री अरुण जेटली ने की हार्डवेयर एवं सॉफ्टवेयर उद्यमियों के साथ बजट पर चर्चा

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सुभाष चौधरी/प्रधान संपादक 

नई दिल्ली : केंद्रीय वित्‍त एवं कॉरपोरेट मामलों के मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि देश में इलेक्‍ट्रॉनिक वस्‍तुओं के निर्माण को बढ़ावा देने के लिए वर्तमान सरकार ने पिछले तीन वर्षों के दौरान अनेक कदम उठाए हैं, जिनमें निर्दिष्ट इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों पर भिन्‍न उत्पाद शुल्क व्‍यवस्‍था का विस्तार करने के साथ शुल्‍क ढांचे को तर्कसंगत बनाना, शुल्‍क रियायत को वापस लेना, इत्‍यादि शामिल हैं। वित्‍त मंत्री ने कहा कि भारत को इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स विनिर्माण का एक वैश्विक हब बनाने हेतु एक परितंत्र का सृजन करने के उद्देश्‍य से केन्‍द्रीय बजट 2017-18 में प्रोत्‍साहन योजनाओं जैसे कि एम-एसआईपीएस और ईडीएफ के लिए आवंटन को काफी तेजी से बढ़ाकर 745 करोड़ रुपये कर दिया गया है।

वित्‍त मंत्री आज नई दिल्‍ली में आईटी (हार्डवेयर एवं सॉफ्टवेयर) समूह के हितधारकों के साथ अपनी छठी बजट-पूर्व परामर्श बैठक में आरंभिक भाषण दे रहे थे। इस बैठक में वित्‍त राज्‍य मंत्री  एस.पी शुक्‍ला, वित्‍त सचिव हसमुख अधिया, व्‍यय सचिव  ए.एन. झा, आर्थिक मामलों के सचिव  सुभाष चन्‍द्र गर्ग, इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय में सचिव अजय प्रकाश साहनी, मुख्‍य आर्थिक सलाहकार डॉ. अरविंद सुब्रमण्‍यन, सीबीडीटी के अध्‍यक्ष  सुशील कुमार चन्‍द्र और वित्‍त मंत्रालय के अन्‍य वरिष्‍ठ अधिकारी भी शामिल थे।

आज की बैठक में आईटी समूह के जिन हितधारकों ने भाग लिया, उनमें डेटामीट के सह-संस्‍थापक  जी.एन. थेजेस, ब्रॉडबैंड इंडिया फोरम के अध्‍यक्ष टी.वी. रामचन्‍द्रन, टीईएमए के चेयरमैन एमेरिटस  एन.के. गोयल, टेलीकॉम उपकरण एवं सेवा निर्यात के उपाध्‍यक्ष  राजीव अग्रवाल एवं इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स एवं कम्‍प्‍यूटर सॉफ्टवेयर निर्यात के अध्‍यक्ष  प्रसाद गारापति भी शामिल थे।

आईटी क्षेत्र के प्रतिनिधियों ने मंत्री महोदय का ध्‍यान इस तथ्‍य की ओर दिलाया कि आईटी-सॉफ्टवेयर क्षेत्र में भारत की क्षमता को विश्‍व भर में स्‍वीकार किया जाता है। हाल के महीनों में बीपीओ/केपीओ सहित सॉफ्टवेयर विकास एवं सूचना प्रौद्योगिकी आधारित सेवा (आईटीईएस) उद्योग भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था में एक सर्वाधिक गतिशील क्षेत्र के रूप में उभर कर सामने आया है, जिसमें रोजगार की व्‍यापक संभावनाएं हैं। हालांकि, इन प्रतिनिधियों ने यह भी कहा कि अन्‍य देशों में हाल ही में अपनाई गई कुछ संरक्षणवादी एवं भेदभावपूर्ण नीतियों को ध्‍यान में रखते हुए आईटी क्षेत्र को नीति के स्‍तर पर सरकारी मदद की जरूरत पड़ेगी, ताकि वीजा संबंधी पाबंदियों का सामना किया जा सके और इसके साथ ही हमारे आर्थिक हितों की रक्षा भी सुनिश्चित की जा सके।

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