आखिर कैसे हुआ यह सर्जिकल ऑपरेशन ?

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क्यों है दुनिया भौंचक्की ?

सुभाष चौधरी

नई दिल्ली : आखिर कैसे संभव हुआ सारी दुनिया को चौकाने वाला यह सफल ऑपरेशन ? इसके सूत्रधार कौन हैं ? यह सवाल हर किसी के मन में उठना स्वाभाविक है क्योंकि दुनिया के चप्पे चप्पे पर आधुनिक तकनीक व खुफिया तंत्र के सहारे अपनी पैनी नजर रखने वाले अमेरिका व रूस को भी इसकी भनक नहीं लग पाई. प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार के मंत्रियों व यहाँ की खुफिया के सभी विंग एवं सेना के जाबांज अधिकारियों व जबानों ने जिस गोपनीयता से इसे अंजाम दिया वह काबिल-ए-तारीफ ही नहीं दुनिया को भारत के प्रति नजरिया बदलने को मजबूर करने वाला भी है.हम यह कह सकते है कि हमारी सेना दुनिया की बेहतरीन सेनाओं में से एक है.

यह कहना सही होगा कि इस ऑपरेशन की बुनियाद तो उसी दिन रख दी गयी थी जब देश के प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने केवल एक लाइन में यह कह कर बात समाप्त कर दी थी कि इस हमले के दोषियों को किसी कीमत पर बक्शा नहीं जायेगा. लेकिन सवाल था कि यह हो कैसे ? सूत्र कहते हैं कि सरकार में कुछ लोगों की राय थी कि इससे डिप्लोमेटिक तरीके से निपटा जाये जबकि प्रधान मंत्री श्री मोदी इस बात पर अडिग थे कि हमें तो तत्काल रिजल्ट चाहिए.

जैसा कि देश को मालूम है कि बैठकों का दौर चलता रहा. कुछ बैठकें दिन में तो कुछ बैठेकें रात के अँधेरे में चलती रही. यह सच है कि पीएम, गृह मंत्री, रक्षा मंत्री, सेना के तीनों अंगों के प्रमुख इसी मिशन में लगे रहे.

कहा जाता है कि पीएम ने रक्षा मंत्री मनोहर पर्रीकर और चीफ ऑफ़ आर्मी स्टाफ के समक्ष पहली बैठक में ही यह साफ कर दिया था कि हम पाकिस्तान को इस बार मजबूत सन्देश देना चाहते हैं. अब यह सेना पर है कि वह किस तरह से देश की जनता की इस इच्छा की पूर्ती करती है. अब गेंद पूरी तरह सेना व रक्षा मंत्री पर्रीकर के पाले में आ गयी. रक्षा मंत्री ने पीएम के इस निश्चयात्मक निर्णय को भांप कर सेना के तीनो अंगों के प्रमुखों से लगातार कई बैठेकें की और अंततः उन्हें साफ शब्दों में बता दिया गया कि आप अब हमारे पास तीन प्रपोजल ले कर आयें कि किस प्रकार हम पाकिस्तान को सबक सिखा सकते हैं.

अब बारी थी सेना प्रमुखों की तो उन्होंने कई रात ऑपरेशन रूम में बितायी और सभी पहलुओं पर गौर करते हुए तीन आप्शन तैयार कर रक्षा मंत्री को बेहद गोपनीय तरीके से आर्मी ऑपरेशन रूम में आमंत्रित किया. तीनों आप्शन का उनके सामने पूरा प्रेजेंटेशन दिया गया. उसके अछे व बुरे परिणामों पर माथापच्ची हुई . इस पर लगातार मंथन किया गया. इसमें रक्षा मंत्री ने एक आप्शन जो सीधा हमला बोलने का था उसे तातकालिक दृष्टि से मना कर दिया जबकि दूसरा तरीका सर्जिकल ऑपरेशन का सामने रखा गया . इसमें आर्मी व एयरफोर्स दोनों का उपयोग करने की योजना थी. इस पर भी रक्षा मंत्री का कहना था कि सर्जिकल ऑपरेशन ही माकूल तरीका है लेकिन इसमें एयरफोर्स उपयोग करने से दुश्मन को तैयारी करने के दौरान उड़ान भरने की भनक लग सकती है. इसलिए तय हुआ कि इसमें केवल आर्मी का ही उपयोग किया जाये.

अब जरूरत थी इस ऑपरेशन के लिए सटीक जानकारी जुटाने व सही समय पर स्ट्राइक करने की.

देश के पास दुनिया के किसी भी देश की खुफिया को धता बता देने वाले जेम्स बांड हैं जिनका नाम अजित डोभाल है जो पीएम के सुरक्षा सलाहकार भी हैं. उनकी भूमिका बेहद अहम् रही. इसके लिए आईबी व रॉ के जाबांज अधिकारियों को लगाया गया. अब भारत माता के असली लाल अजित डोभाल ने इसकी कमान संभाली जो पाकिस्तान के चप्पे चप्पे से वाकिफ हैं और वहां के लोगों की फितरत से भी. खुफिया जानकारी जुटाई गयी. इसमें आईबी, रॉ व आर्मी इंटेलिजेंस की टीम के बीच बेहद साधा हुआ तालमेल स्थापित करने पर अधिकतम बल दिया गया और एलओसी के पास के आतंकी शिविरों व पाक सेना की गतिविधियों की पल पल की खबर जुटाई गयी. इस टीम की जितनी तारीफ की जाये वह कम है क्योंकि इनकी थोड़ी सी चूक देश के लिए नुकसानदायक हो सकती थी. लेकिन उन्होंने वह कर दिखाया जो दुनिया को सीख देने वाला है.

भय यह भी था कि इस ऑपरेशन की भनक लगते ही दुश्मन जवाबी कार्रवाई कर सकता है और हो सकता है ऑपरेशन में लगे जवानों को विषम परिस्थिति में तत्काल वापस लाने की आवश्यकता हो . इसलिए एलओसी के नजदीक के स्टेशन में एयरफोर्स को भी तैयार रखा गया.

सूत्र कहते हैं कि सर्जिकल ऑपरेशन की योजना में 8 लांच पैड बनाये गए क्योंकि पुख्ता जानकारी थी कि एलओसी के 15 किलोमीटर के दायरे में कम से कम 30 आतंकी शिविर हैं जहाँ से भारत की सीमा में इन्हें भेजने की तैयारी है. इसमें अत्याधुनिक सेटेलाइट से सीमा पार की मोनेटरिंग की जाती रही. और अंततः इस ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया जा सका.

बताया जाता है कि ऑपरेशन के दौरान रक्षा मंत्री पर्रीकर, तीनो सेना प्रमुख, सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल पूरी रात ऑपरेशन रूम में बैठ कर इसकी मोनिटरिंग करते रहे और सफल ऑपरेशन के बाद ही उन्हें भी इस बात का अंदाजा लगा कि भारत चाहे तो क्या नहीं कर सकता है ? किसी के घर में घुस कर उसको पूरी तरह तबाह कर देना दुस्साहसिक ही नहीं, ऐतिहिसिक भी है. शिविर कितने नेस्तनाबूद किये गए और कितने आतंकी सुरधाम भेजे गए इसका खुलासा थोड़े दिनों में होगा लेकिन भारतीय सेना ने उनकी छाती पर दाल दलने का कम बखूबी किया.

इसमें कोई दो राय नहीं कि इस ऑपरेशन का रिजल्ट पाकिस्तान को सदियों याद रहेगा लेकिन दुनिया के देश भोंचक्के हैं. उन्हें लगता है कि भारत जब भी अपनी मर्जी का निर्णय लेता है तो उसे अंजाम तक पहुंचा कर दम लेता है और किसी को भनक तक लगने नहीं देता है.

इसके कई उदाहरण हैं जब हमने दुनिया में खुफिया के सिरमौर कहे जाने वाले अमेरिकन खुफिया एजेंसी सीआइए व रूस की एजेंसी केजीबी को धता बताया है. केवल एक आदमी ओसामा बिन लादेन जो निहथ्था था को मार कर अमेरिका दुनिया में तीस मार खां बना फिरता था लेकिन भारतीय सेना ने तो खूंखार हथियारबंद दर्जनों राक्षसों को निपटाया. समझ सकते है कि यह कितना बड़ा टास्क पीएम नरेन्द्र मोदी ने अपनी सेना को दिया.  चाहे वह इंदिरा गांधी के समय में पहला परमाणु विष्फोट हो या अटल विहारी वाजपेयी के ज़माने में दूसरा परमाणु विष्फोट हो, दुनिया ने तब जाना जब हमारे देश ने इसे पूरा करने के बाद जानकारी साझा की. इसलिए भारतीय सेना बेहद प्रोफेशनल एंड योग्य है इसमें अब किसी को शक नहीं होनी चाहिए.  अपनी दक्षता व  क्षमता का अचूक परिचय भारतीय सेना ने इस बार भी दिया है जिससे हर भारतवासी का सर आज गर्व से ऊँचा है.

Suvash Chandra Choudhary

Editor-in-Chief

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