पेइचिंग : चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने दूसरा कार्यकाल शुरू करते ही चीन की सेना को युद्ध के लिए तैयार रहने को कहा. कूटनीतिक हलकों में जिनपिंग का यह भड़काऊ वक्तव्य भारत के लिए बेहद सवेदनशील माना जा रहा है. डोकलाम विवाद के कारण में भारत और चीन की सेनाओं के बीच उत्पन्न हुई टकराव की स्थिति अभी हाल में ही टली है. मिडिया की खबर में कहा गया है कि राष्ट्रपति शी ने गुरुवार को अपने दूसरे कार्यकाल के आरम्भ के पहले दिन ही अपनी सेना के बड़े अधिकारियों के साथ बैठक की और स्थिति का जायजा लिया.
चीन की सतासीन कम्युनिस्ट पार्टी की कांग्रेस में शी के सिद्धांतों को चीन के संविधान में शामिल किया गया. इससे उन्हें माओ त्से तुंग और उनके उत्तराधिकारी देंग शियाओपिंग के बराबर का नेता माना जाने लगा है.
शी चीन की सेना का संपूर्ण नियंत्रण रखने वाले सीएमसी के प्रमुख भी हैं. वे इस आयोग के अकेले असैन्य नेता हैं. इसमें सात सदस्य शामिल हैं. उनके नीचे 11 सदस्य होंगे.
मिडिया की खबर में दावा किया गया है कि पिछले पांच साल में भ्रष्टाचार निरोधक आंदोलन चलाकर शी चीन और पार्टी दोनों में अपनी कद बढाने में कामयाब रहे. इसमें दस लाख से अधिक अधिकारियों को दंडित किया गया.
सीएमसी में विरोध ?
– मिडिया की खबर में साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के हवाले से कहा गया है कि जिनपिंग ने गुरुवार रात टॉप आर्मी अफसरों के साथ जो बैठक की थी, उसमें कुछ अधिकारी शामिल नहीं हुए.
– मीडिया रिपोर्ट के अनुसार दो टॉप जनरल, पूर्व चीफ ऑफ जनरल स्टाफ फेंग फेंगहुई और पॉलिटिकल वर्क डिपार्टमेंट के डायरेक्टर झांग येंग जिनपिंग की इस बैठक में शामिल नहीं हुए थे. उल्लेखनीय है कि फेंग और झांग जिनपिंग के पहले टर्म में सीएमसी के सदस्य थे. पिछले हफ्ते पार्टी कांग्रेस की जो बैठक हुई थी, उसमें पीएलए डेलिगेट्स से इन्हें हटा दिया गया .
– खबर में कहा गया है कि जो दो जनरल बैठक में शामिल नहीं हुए, उनके खिलाफ भ्रष्टाचार की जांच चल रही है. इसलिए, वो बैठक में शामिल नहीं हुए.