हरियाणा के कैदियों की सजा में 30 दिन की छूट देने की घोषणा

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जिला जेल नीमका परिसर में श्री कृष्ण कृपा समिति बल्लबगढ़ द्वारा आयोजित गीतोपदेश समारोह  

भाजपा सरकार के तीन साल पूरे होने के उपलक्ष्य में सी एम् मनोहर लाल ने किया ऐलान 

अब कैदी को पुकारने के लिए उसके पिता का अनादर नहीं होगा 

जेल में कैदी को उसके गाँव के नाम से पुकारेंगे संतरी 

फरीदाबाद, 26 अक्तूबर।  हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने आज राज्य सरकार के तीन वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में हरियाणा के कैदियों को उनकी सजा में 30 दिन की छूट देने की घोषणा की।  मुख्यमंत्री  आज जिला जेल नीमका परिसर में श्री कृष्ण कृपा समिति बल्लबगढ़ द्वारा आयोजित गीता मनीषी महामण्डलेश्वर स्वामी ज्ञानानन्द सरस्वती के गीतोपदेश समारोह में शिरकत करने आये थे।

मुख्यमंत्री ने कैदियों का आह्वान किया कि वे गीता ज्ञान प्राप्त करके अपना भावी जीवन सुखमय व सफल बनाने का प्रयास करें। उन्होंने कहा कि अब जेल में संतरी के लिए एक इमरजैंसी बटन लगाया जायेगा, जेल के अन्दर कोई भी दिक्कत होने पर संतरी उस बटन को दबायेगा तो जेल सुपरिंटैंडेंट को तत्काल उस परेशानी के बारे में पता चल सकेगा। उन्होंने यह भी कहा कि वर्तमान में कैदी को उसके नाम तथा उसके पिता के आधे-अधूरे नाम से बुलाया जाता है, परन्तु भविष्य में कैदी का नाम और उसके गांव का नाम पुकार कर उसे बुलाया जायेगा, न कि उसके पिता का अनादर के तौर पर अधूरा नाम लेकर। इस प्रथा को अब बंद कर दिया गया है। 

गीता के संदेश के महत्व पर प्रकाश डालते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि गीता के माध्यम से बंदियों अपना जीवन सरल बनाने में मदद मिलेगी और उनके विचारों में शुद्धता आयेगी जिससे कि वे अपनी सजा की अवधि पूरी करने के बाद बाहर आकर एक अच्छे नागरिक के तौर पर समाज में रह सकेंगे। उन्होंने कहा कि हरियाणा की सभी 19 जेलों में गीता मनीषी महामण्डलेश्वर स्वामी ज्ञानानन्द महाराज द्वारा गीता का संदेश सभी बंदियों को दिया जा रहा है, जिसके लिए वे उनके आभारी हैं। मुख्यमंत्री ने जेल बंदियों से सीधा संवाद करते हुए कहा कि वे यह सोचते रहे हैं कि जेल में जाकर बंदियों को किस प्रकार सम्बोधित किया जाये।

उन्होंने कहा कि हम जाने-अनजाने में गलती कर बैठते हैं, जिससे सजा हो जाती है और हमें ईंटों की दीवारों के भीतर कैद करके एक सीमित अवधि के लिए रखा जाता है। साथ ही उन्होंने कहा कि देखा जाये तो समाज के सब व्यक्ति किसी न किसी प्रकार की चार-दीवारी में कैद रहते हैं, चाहे वह न्यूनता की हो या किसी अन्य अभाव की।  इससे पहले जेल बंदियों को सम्बोधित करते हुए स्वामी ज्ञानानन्द महाराज ने कहा कि 30 नवम्बर को गीता जयन्ती के दिन दोपहर 12ः00 बजे से वैश्विक गीता पाठ होगा, जो सभी बंदी भी करेंगे। उन्होंने कहा कि जीओ-गीता का जेल गीत प्रदेश की विभिन्न जेलों में बंदी भाई गा रहे हैं। अनेक जेलों में गीता पाठ नियमित रूप से चल रहा है। करनाल जेल में इस समय लगभग 700 बंदी नियमित रूप से प्रतिदिन गीता पाठ करते हैं। इसी प्रकार हिसार की जिला जेल में 500 से अधिक बंदी रोज गीता का पाठ करते हैं। इससे बंदियों में चेतना जगी है।

उन्होंने कहा कि भगवद् गीता एक ऐसी प्रेरणा है जो बन्दियों में आशा-उत्साह बनाए रख सकती है और उनके अन्दर प्रतिशोध की भावना  को खत्म करके अच्छी भावना पैदा करती है। जेल बंदी सुधीर और राहुल विभिन्न जेलों में गीता की सद्भावना का संदेश लेकर जा रहे हैं। उन्होंने कहा गीता मानवता की मुस्कान और जीवन जीने की प्रेरणा का ग्रन्थ है। हम अपने अन्दर की ईष्र्या को समाप्त करके नया जीवन शुरू करें यही मूल मंत्र है। इस अवसर पर विधायक सीमा त्रिखा, मूलचंद शर्मा व टेकचदं शर्मा, चेयरमैन अजय गौड़, मुख्यमंत्री के राजनीतिक सचिव दीपक मंगला, महापौर सुमन बाला, उपमहापौर मनमोहन गर्ग, भाजपा जिलाध्यक्ष गोपाल शर्मा, डीजीपी जेल डा. के.पी. सिहं, झारखण्ड के महिला एवं बाल विकास विभाग के अतिरिक्त सचिव राजेश सिंह, उपायुक्त समीरपाल सरो व पुलिस आयुक्त डा. हनीफ कुरैशी सहित कई अन्य वरिष्ठ अधिकारी एवं गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

Suvash Chandra Choudhary

Editor-in-Chief

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