मेवात की रामलीलाऐं मुस्लिम कलाकारों के बगैर अधूरी है

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मेवात कि रामलीलााओं में मुस्लिम साज बजाने का काम करते हैं

मुस्लिम रामबारात तो हिुदं हाजियों को स्वागत करते हैं

आजाद मोहम्मद कमेठी के संरक्षक है तो यूसुफ निभाते रहे हैं लक्ष्मण कि भूमिका

 

यूनुस अलवी

 
मेवात की रामलीलाऐं मुस्लिम कलाकारों के बगैर अधूरी है 2मेवात:मेवात की रामलीलाओं में मंचन करने वाले मुस्लिम कलाकार हिंदु-मुस्लिम के बीच खाई पैदा करने वालों के लिये नसीहत ही नहीं अपितु एक मिसाल है। यहां मुस्लिम वर्ग की भागीदारी के बगैर रामलीलाऐं अधूरी हैं। मेवात क्षेत्र की अधिक्तर रामलीलाऐं मुस्लिम साजिंदों के बगैर मानों फीकी पड जाती है। मेवात कि रामलीलाओं में मुस्लिम कलाकार साज बजाने का काम करते तो वहीं तावडू कि राम लीला में यूसुफ खान ने काफी समय तक लक्ष्मण की भूमिका निभाई हैं। इतना ही नहीं फिरोजपुर झिरका रामलीला कमेठी के संरक्षक पद पर 17 वर्षो से कांग्रेस नैता और पूर्व डिप्टी स्पीकर आजाद मोहम्मद विराजमान हैं। ये लोग मेवात में सांप्रदायिक सौहार्द की जीती जागती मिसाल हैं। जो सदियों पुराने मेवात के हिंदु-मुस्लिम भाईचारे को बनाये रखने में अहंम कडी का काम करते हैं, इतना ही नहीं मेवात की रामलीलाओं में आने वाले दर्शकों की संख्या हिंदुओं से कहीं ज्यादा होती है।
 
     मेवात जिला के पुन्हाना, पिनगवां, फिरोजपुर झिरका, तावडू की रामलीलायें में अधिक्तर मुस्लिम कलाकारों की अहम भूमिका होती है। ये माना जाये कि मेवात कि रामलीलायें मुस्लिम साजिंदे, कलाकार, दर्शकों के बगैर अधूरी है। मेवात जिला के कस्बा पिंगंवा की रामलीलाओं में नब्बे के दशक में अन्य साजों के अलावा तबला और नगाडें को भी शामिल किया गया था। इससे पहले ढोलक और हारमोनियम से ही रामलीलाऐं होती थी। हिंदु समाज मे अकसर ढोलक और हारमोनियम बजाने वाले तो मिल जाते हैं लेकिन तबला और नगाडा बजाने वाले कम ही मिलते हैं। इसके बाद रामलीलाओं में नगाडा और तबला बजाने के लिए मुस्लिम कलाकारों को शामिल किया गया तभी से ही मुस्लिम कलाकार रामलीलाओं में साज बजाने का काम करते आ रहे हैं। पुन्हाना की रामलीला में नगाडा हाकम खां और ढोलक जमील अहमद बजाते हैं तो वहीं पिंगंवा की रामलीलाओं में नगांडा की जिम्मेदार मास्टर उसमान खां, ढोलक की शाकिर हुसैन और तबलावादक की भूमिका शकूर अहमद निभा रहे हैं। 
 
   वहीं फिरोजपुर झिरका रामलीला कमेठी के पूर्व डारेक्टर नरेश गर्ग ने बताया कि उनकी रामलीला में  पिछले 25 वर्षों से आसमोहम्मद ढोलक और फजरूदीन हारमोनियम बजाने का काम करते थे लेकिन तीन साल पहले फजरूदीन का इंतकाल होने कि वजह से अब पुन्हाना से मुस्लिम कलाकार उनकी रामलीला में साज बजाने के लिये आते हैं।
 
   पुन्हाना कि रामलीलाओं में नगाडा बजाने वाले मास्टर अबदुल हाकम खां और ढोलक मास्टर जमील खान पिछले दो दशकों से साज बजाने का काम करते आ रहे हैं, हाकम खान को तो यहां के लोग उसे अब हाकम खां के नाम से नहीं बल्कि हुकम सिंह के नाम से जानते है। उनकाा कहना है कि वह केवल आस्था के तौर पर रामलीला में साज बजाने का काम करते हैं।  वह रामलीला में साज बजाने का कोई पैसा नहीं लेते हैं।
 
    पिनगवां के सरपंच संजय सिंगला का कहना है कि मेवात क्षेत्र पूरी दुनियां में हिंदु-मुस्लिम आपसी भाइचारे के लिये जाना जाता हैं यहां पर मजहब और जातीवाद के नाम पर कभी दंगे नहीं हुऐ बल्कि हिंदु-मुस्लिम एक दूसरे के त्योंहार को भी मिल झुलकर मनाते हैं। मेवात में रामबारात का स्वागत पूर्व मंत्री मोहम्मद इलयास, पूर्व डिप्टी स्पीकर आजाद मोहम्मद और काफी मुस्लिम समाज के लोग हर साल करते हैं।
 
    मेवात कि रामीलीलाओं की खासियत यह है कि इसमें हिंदु-मुस्लिम सभी मिलकर अपना योगदान देते हैं। यहां हिंदु-मुस्लिम में कोई भेद भाव नहीं है। कस्बे मोनू सिंगला और अरूण गौतम का कहना है कि मेवात को फिजूल में बदनाम किया जाता है यहां पर हिंदु मुस्लिम सभी मिलकर एक दूसरे के त्योहारों को मनाते हैं। बहुत से लोगों ने मेवात के बारे में गलत भ्रांति फैला रखी है कि मेवात में हिंदुओं के साथ अत्याचार होता है जबकि ये सब गलत है। बल्कि मेवात में हिंदु मुस्लिम का भाईचारा दुनिया में मशहूर है।
 
    फिरोजपुर झिरका रामलीला कमेठी के संरक्षक और कांग्रेस नेता पूर्व डिप्टी स्पीकर आजाद मोहम्मद का कहना है कि मेवात क्षेत्र पूरी दुनियां में हिंदु-मुस्लिम आपसी भाइचारे के लिये जाना जाता हैं यहां पर मजहब और जातीवाद के नाम पर कभी दंगे नहीं हुऐ बल्कि हिंदु-मुस्लिम एक दूसरे के त्योंहार को भी मिल झुलकर मनाते हैं। आजाद मोहम्मद का कहना है कि मेवात में हिंदु-मुस्लिम एक दूसरे के त्योंहारों को मिल झुलकर मनाते हैं। जहां मुसलमान रामलीला में राम बारात का स्वागत करते हैं वहीं हिंदु समाज के लोग भी ईद मिलन और हाजियों का स्वागत करते हैं।

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