नई दिल्ली 07 सितंबर। यह एक बौद्ध मंदिर है जो 12वीं सदी की शुरुआत में बनाया गया था। यह पूरे बगान क्षेत्र का दूसरा सबसे बड़ा मंदिर है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने इस मंदिर के संरचनात्मक एवं रासायनिक संरक्षण का कार्य किया है। वहां पिछले साल भूकंप से हुए नुकसान के बाद मरम्मत कार्य चल रहा है। प्रधानमंत्री को मंदिर में चल रहे मरम्मत कार्य की फोटो प्रदर्शनी भी दिखाई गई। उन्होंने प्रार्थना के साथ ही मंदिर की परिक्रमा भी की। उस दौरान एएसआई के प्रतिनिधियों ने उन्हें मंदिर के जीर्णेाद्धार प्रक्रिया के बारे में बताया।
प्रधानमंत्री ने मंदिर में आगंतुक पुस्तक पर हस्ताक्षर किए और आनंद मंदिर के मरम्मत कार्यों में भारत के योगदान को दर्शाते हुए एक पट्टिका का अनावरण किया। एएसआई ने एशिया के विभिन्न देशों में कई प्रमुख संरक्षण कार्य किए हैं। आनंद मंदिर के अलावा इसमें अफगानिस्तान के बामियान बुद्ध, कंबोडिया के अंगकोर वाट, कंबोडिया के टा प्रोहम मंदिर, लाओस के वाट फोउ मंदिर और वियतनाम के माई सन टेम्पल शामिल हैं।