गृह मंत्री से इस मामले में तम्बाकू उद्योग लॉबी की भूमिका की जांच कराने की मांग
नई दिल्ली 07 सितंबर। टाटा मेमारियल अस्पताल के निदेशक (शैक्षणिक), भारत सरकार के परमाणु ऊर्जा विभाग के डॉ. कैलाश शर्मा ने मीडिया में प्रसारित इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) के तम्बाकू नियंत्रण अभियान और भारत सरकार के इस दिशा में किए जा रहे प्रयासों को हानिकारक गतिविधि बताने वाली रिपेार्ट पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए केन्दीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा है।
डॉ. शर्मा ने इसे तम्बाकू लॉबी द्वारा भारत सरकार की अंतरराष्ट्रीय छवि को खराब करने के लिए उकसाया गया कार्य बताया है और इस रिपोर्ट की जांच कराने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि हकीकत तो यह है कि एकओर तम्बाकू उद्योग की लॉबी अपना व्यापार बढ़ाने की कोशिश कर रही है, वहीं कार्यकर्ता सार्वजनिक स्वास्थ्य की रक्षा, रोगों, मौतों और नुकसान को रोकने का प्रयास कर रहे हैं।
टाटा मेमारियल के डॉ. शर्मा ने कहा कि ‘तम्बाकू नियंत्रण’ को हानिकारक गतिविधि कह कर बदनाम करने की कोशिश बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है और यह कोई और नहीं खुद भारत सरकार की खुफिया एजेंसी कर रही है।मीडिया में छपी रिपेार्ट का हवाल देते हुए उन्होंने कहा कि यह भी भ्रामक है कि तम्बाकू उत्पाद के पैकेटों पर बड़े भाग में तस्वीर सहित चेतावनी लोगों को शराब पीने और अन्य नशीले पदार्थों के सेवन की ओर धकेलेगा।हकीकत तो यह है कि इससे तम्बाकू उपभोक्ताओं के बीच तम्बाकू के अवगुणों के प्रति जागरूकता बढ़ रही है।
गृह मंत्री को लिखे पत्र में तम्बाकू और इसके उत्पादों के सेवन से होने वाली भयावह स्थिति का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि टाटा मेमोरियल अस्पताल में 30 साल तक एक डॉक्टर के रूप में काम करने के कारण वहपूरे विश्वास के साथ कह सकते हैं कि तम्बाकू पर नियंत्रण करने से और अधिक गंभीर और तत्काल जरूरी कार्य कोई नहीं होगा। भारत के करीब आधे कैंसर के मरीज का कारण तम्बाकू है, क्योंकि आज हीरोइन से अधिकनशे का शिकार लोग तम्बाकू के हो रहे हैं। केवल 5 प्रतिशत लोग ही अपनी तम्बाकू की लत को छोड़ पाते हैं और वह भी जब वे बुरी तरह गंभीर रूप से बीमार हो जाते हैं। देश में हर साल तम्बाकू सेवन के कारण 12 लाखलोगों की मौत हो जाती है जो अपने पीछे लाखों परिवारजनों को बिलखते छोड़ जाते हैं। एक अन्य अनुमान के अनुसार तम्बाकू के कारण प्रति दिन 3500 लोग मर रहे हैं जो प्रतिदिन 10 जम्बो जेट के दुर्घटना में मरने वालेलेागों की संख्या के बराबर है। यह एकमात्र ऐसा उपभोक्ता उत्पाद है जो किसी भी रूप में लाभदायक नहीं है , इसका उपभोग करने वाले प्रत्येक तीसरे उपभोक्ता की अकाल मृत्यु हो जाती है। तम्बाकू उत्पादों से जो आयहोती है इन उत्पादों के कारण होने वाली बीमारियों के इलाज पर आने वाले खर्च का केवल 17 प्रतिशत ही है। पर्यावरण और वन की संसदीय समिति ने तम्बाकू की खेती के कारण जंगल में आग, मृदा के अपक्षरण और वनोंकी कटाई के रूप में पर्यावरण को भारी क्षति पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। अतः कुल मिलाकर तम्बाकू उपभोक्ता, समाज और देश किसी के लिए भी अच्छा नहीं है।
उन्होंने इस संदर्भ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संदेश तथा भारत सरकार और अन्य एजेंसियों द्वारा किए जा रहे कार्यों का भी वर्णन इस पत्र में किया है और गृह मंत्री को उनके तथा गृह राज्य मंत्री किरण रिजीजू द्वाराद्वारा ली गई शपथ का भी स्मरण कराया है। उनके अनुसार देश का नेतृत्व इस मामले में काफी प्रेरणादायक और सहायक है। विश्व तम्बाकू निषेध दिवस 31 मई, 2017 को जारी अपने संदेश में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी नेतम्बाकू सेवन से होने वाली हानियों के बारे में तथा इस दिन इसके खतरे को कम करने की हमारी प्रतिबद्धता के बारे में हमें स्मरण कराया थ। विश्व तम्बाकू निषेध दिवस, 31 मई, 2017 को राष्ट्र के नाम उनका संदेशबहुत ही प्रोत्साहित करने वाला है- ‘ आइए हम सब तम्बाकू सेवन से होने वाले खतरों के बारे में लोगों में जागरूकता पैदा करें और भारत में तम्बाकू सेवन को कम करने के लिए काम करें। तम्बाकू न सिर्फ उन लोगों केस्वास्थ्य को हानि पहुंचता है जो इसका सेवन करते हैं बल्कि उनके आसपास के लोगों को भी नुकसान करता है, तम्बाकू को नहीं कहकर, आइए हम स्वस्थ भारत की नींव रखें। ’
डॉ. शर्मा पत्र में लिखते हैं कि उन्होंने आप और राज्य मंत्री किरण रिजीजू द्वारा तम्बाकू निषेध के लिए हस्ताक्षरित शपथ पत्र देखें हैं, जो इस प्रका है ‘एक चिंतित नागरिक और लोगों के प्रतिनिधि होने के नाते, मैंतम्बाकू के बढ़ते खतरे को रोकने का अपनी पूरी ताकत और मन से समर्थन करूंगा। मैं इस मुद्दे पर अपनी आवाज बुलंद करूंगा और भारत को को इस खतरे को दूर करने तथा लाखों लोगों की जान बचाने के लिए की गईसभी पहलों का समर्थन करूंगा।’ हम आपके प्रयासों का दिल से सराहना करते हैं।’
टाटा मेमोरियल अस्पताल में शैक्षणिक निदेशक के रूप में तम्बाकू पर नियंत्रण करने के अपने कार्यों से भी उन्होंने गृह मंत्री को अवगत कराया है। उनके अनुसार वह हमेशा अपने विद्यार्थियेंा को कैंसर के खतरे को कमकरने वाली रोकथाम की गतिविधियां चलाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। तम्बाकू सेवन को कम करने के उद्देश्य से शुरू किए गए राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति, मिलेनियम विकास लक्ष्य, राष्ट्रीय तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम, राष्ट्रीय कैंसर नियंत्रण कार्यक्रम, एनसीडी नियंत्रण कार्यक्रम के यह अनुकूल है। हम अपने छात्रों को अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों से शिक्षा लेने और इस दिशा में सर्वश्रेष्ठ कायों को विश्लेषण करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।साथ ही इनके व्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रतिष्ठित विदेशी विश्वविद्यालयों के दौरों को भी शामिल किया गया है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तम्बाकू पर नियंत्रण करने के भारत के प्रयासों और सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में उन्होंने कहा है कि तम्बाकू के खतरों को रोकने में विश्व भागीदार के रूप में तम्बाकू नियंत्रण कन्वेशन के विश्व स्वास्थ्य संगठन के फ्रेमवर्क पर हस्ताक्षर करने वाले कुछ देशों में भारत भी शामिल है।
डॉ. शर्मा के अनुसार प्रधानमंत्री और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ने पहले ही एफसीटीसी के तीव्र कार्यान्वयन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखाई है। भारत में तम्बाकू नियंत्रण को बढ़ावा देने के लिए 02 जून,2017 कोविश्व स्वास्थ्य संगठन ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जेपी नड्डा को डायरेक्टर जनरल के पुरस्कार से सम्मानित किया है। इस पुरस्कार को स्वीकार करते हुए श्री नड्डा ने कहा था कि यह हमारे मंत्रालय, गैरसरकारी संगठनों के सदस्यों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, सिविल सोसायटी के संगठनों के सामूहिक प्रयासों की मान्यता है। नड्डा जी द्वारा तम्बाकू उत्पादों के पैकेटों के ऊपर बड़े भाग में तस्वीर सहित चेतावनी छापने केनियम का तम्बाकू नियंत्रण पर दूरगामी असर पड़ेगा।
भारत सरकार और गैर सरकारी संगठनों के इन प्रयासों का हवाला देते हुए टाटा मेमारियल अस्पताल के निदेशक ने इस बात पर गहरा दुख जताया है कि इस महान कार्य को भी अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र के रूप में चित्रित किया जा रहा है।
उन्होंने भारत जैसे विशाल और विविधता वाले देश के लिए तम्बाकू पर असरदार नियंत्रण करने में आ पही परेशानियों के बारे में कहा कि यह हमेशा से ही एक जटिल कार्य रहा है। देश को तम्बाकू उद्योग के साथ कईकानूनी लड़ाइयां लड़नी पड़ी है। इनमें नीति निर्माण या कानूनों को लागू करने में सीधा हस्तक्षेप भी शामिल है। तम्बाकू पर नियंत्रण को सरकार के प्रयासों को तेज करने में एनजीओ और सिविल सोसायटी ने बहुत हीमहत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हाल ही में एक बहुराष्ट्रीय कंपनी के दस्तावेज से एनजीओ कार्यकर्ताओं को निशाना बनाने का खुलासे का जिक्र करते हुए उन्होंने इस मामले की भी जांच कराने की मांग की .
…