इमरान ने अजनबी हिन्दू लड़की को अपना खून देकर बचाई जान !

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: इमरान  ने कायम की हिंदु-मुस्लिम भाईचारा की मिसाल

: लडकी के मां-बाप ने कहा मेेवात के बारे में जैसा सुना उसके विपरीत पाया

यूनुस अलवी

मेवात: मेवात में हिंदु-मुस्लिम भाईचारा की मिसाल अकसर मिलती रहती हैं लेकिन मेवात के इमरान ने ये मिसाल अब बिहार तक भी कायम कर दी है। इमरान ने एक हिंदु लडकी को अपना खून देकर जान बचाने का काम किया है। इमान की इस नेक दिली से लडकी के परिजन बेहद खुश हैं। वहीं लडकी के परिजनों ने जहां इमान को दुआऐं दी वहीं उनका कहना है कि मेवात के बारे में जैसा सुनते थे और उन्होने उसके विपरीत पाया है।

दरअसल पटना बिहार की रहने वाली दीपांजलि पुत्री दलीप कुमार को गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया गया था। डॉक्टरों के मुताबिक दीपांजलि की किडनी ट्रांसप्लांट होनी थी। किडनी ट्रांसप्लांट होने के बाद दीपांजलि को ब्लड की आवश्यकता पड़ी। बच्ची के मां-बाप के पास खुद का ब्लड डोनेट करने की क्षमता नहीं थी। अब वो बिहार में अपने परिजनों को फोन कर उनसे ब्लड देने की अपील कर रहे थे। इसी दौरान अपने किसी परिचित से मेदांता अस्पताल मिलने गए इमरान खान ने देखा कि एक गरीब मां-बाप अपनी बच्ची को लेकर फूट-फूटकर रो रहे हैं। वार्ड नो 1, फिरोजपुर झिरका निवासी इमरान खान सुपुत्र हाजी जसमाल खान पूर्व उप प्रधान नगर पालिका , फिरोज पुर झिरका ने उनसे पूछा और बात को समझा और उन्हें फौरन अपने ब्लड डोनेट करने की बात कही। इमरान ने दीपांजलि की जान बचाने के लिए अपना एक यूनिट ब्लड बच्ची के नाम डोनेट किया।

 

इमरान ने बताया कि बच्ची के मां बाप का घर दूर होने की वजह से उन्हें गुरुग्राम में कोई डोनर नहीं मिल रहा था। उन्होंने इंसानियत के नाते अपना धर्म निभाया। इमरान कहते हैं कि भाईचारे को बनाए रखने तथा इंसानित के लिहाज से उन्होंने बच्ची को अपना ब्लड डोनेट किया है। वो उन्हें नहीं जानते थे। लेकिन उस बच्ची को दर्द से कराहता देख और बच्ची के मां बाप की आंखों से बहते आंसू उसे उनकी मदद से रोक नहीं पाए। इमरान ने बताया कि जब वो बच्ची के नाम ब्लड डोनेट कर रहे थे तो उसे एक अलग सा ही अनुभव हो रहा था। इमरान ने बताया कि यदि उनके खून से किसी की ङ्क्षजदगी बचती है तो वो देशहित में अपने खून का एक एक कतरा देने के लिए तैयार है। इमरान ने बच्ची के अच्छे स्वास्थ्य की दुआ की है।

इस पहले भी इमरान खान दो बार ब्लड डोनेट कर चुके है एक बार अपने वार्ड की महिला को 2004 में ब्लड डोनेट करके उनकी जान बचाई थी और दूसरी बार अपने एक बुख़ारक , नगीना निवासी रिश्तेदार को 2005 में ब्लड डोनेट करके उनकी सहायता की थी । इस बार का मामला बिल्कुल अलग था और एक अनजान इंसान को ब्लड देने के बाद जो अनुभव हुआ वो अभूतपूर्व था ।

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