“पॉलिथीन के बदले प्राकृतिक श्रोत से बने बैग का करें उपयोग”

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लायंस क्लब का ‘‘Say No to Polythene – Save Mother Earth’ अभियान

ज्ञान देवी पब्लिक मिडिल स्कूल सेक्टर 10 गुरुग्राम में जागरूकता शिविर का आयोजन

कैप्टेन जे एस यादव ने शिक्षकों से अपना योगदान देने का किया आह्वान 

"पॉलिथीन के बदले प्राकृतिक श्रोत से बने बैग का करें उपयोग" 2गुरुग्राम :  ‘‘Say No to Polythene – Save Mother Earth’ अभियान के तहत लायंस क्लब गुरुग्राम सिटी के तवावधान में शनिवार 29 जुलाई को ज्ञान देवी  पब्लिक मिडिल स्कूल सेक्टर 10 गुरुग्राम में जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया. लायंस क्लब में इस प्रोजेक्ट के चेयरमैन लायन डी वी तनेजा के नेतृत्व में सभी सदस्यों ने जनहित के इस अतिगंभीर विषय को लेकर लोगों में अलख जगाने का बीड़ा उठाया है. इस जागरूकता अभियान में स्कूल के शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका को ध्यान में रखते हुए लायंस क्लब ने ज्ञान देवी पब्लिक मिडिल स्कूल को भी शामिल करने के निर्णय लिया. आज की कार्यशाला में इस स्कूल की शिक्षिकाओं एवं अन्य स्टाफ को पॉलिथीन के  नकारात्मक पहलुओं को उजागर करने को प्रशिक्षित व प्रेरित किया गया. स्कूल के चेयरमैन कैप्टेन जे एस यादव ने इस अभियान की सराहना की और शिक्षकों से इसमें अपना योगदान देने का आह्वान किया.

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ज्ञान देवी पब्लिक मिडिल स्कूल सेक्टर 10 गुडगाँव के चेयरमैन कैप्टन जे एस यादव ने  अपने सबोधन में कहा कि हम सबको इस जिम्मेदारी का एहसास होना चाहिए कि आने वाली पीढ़ी को एक स्वच्छ और सुन्दर भारत देना हमारा परम कर्त्तव्य है. उन्होंने लायन क्लब गुडगाँव सिटी की इस मुहिम की सराहना की. इसे समाज व राष्ट्रहित में आवश्यक कदम बताते हुए उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक अनुसन्धान से पता चलता है कि पॉलिथीन के रसायन मनुष्य की प्रजनन क्षमता को भी बुरी तरह बाधित करता है. कैप्टन यादव ने  बताया कि इसमें अनुवांशिक गुणों को भी प्रभावित करने वाला खतरनाक तत्व पाया जाता है. इसलिए हमें जीवन पर्यंत इससे तौबा करने की कसम खानी चाहिए जबकि बच्चों को भी इसके उपयोग से बचने की सलाह देनी चाहिए.

 

"पॉलिथीन के बदले प्राकृतिक श्रोत से बने बैग का करें उपयोग" 4स्कूल के उप चेयरमैन डॉ आशीष यादव का कहना था कि अध्यापकों को बच्चों को पढ़ाने के क्रम में इसे भी एक आवश्यक विषय के रूप में शामिल कर लेना चाहिए  क्योंकि शिक्षकों की ओर से क्लास में बतायी गयी बातें बच्चों के दिल व दिमाग में आसानी से घर कर जाती हैं. बच्चे अध्यापकों की दी हुयी सीख पर अक्षरशः अमल करने की कोशिश करते हैं साथ ही कई बच्चे तो अपने अभिभावकों को इस दिशा में प्रेरित करने लगते हैं. और यही हमारा लक्ष्य है कि हम आम आदमी तक इस सन्देश को पहुंचाएं. इस मद में अध्यापकों की भूमिका को उन्होंने बेहद महत्वपूर्ण बताया. 

 

लायन डी. वी. तनेजा ने जूट के बैग  वितरित किये "पॉलिथीन के बदले प्राकृतिक श्रोत से बने बैग का करें उपयोग" 5

 

इस अवसर पर ‘‘Say No to Polythene – Save Mother Earth’ प्रोजेक्ट के चेयरमेन लायन डी. वी. तनेजा ने पॉलिथीन व प्लास्टिक के उपयोग से होने वाले दुष्परिणामों को रेखांकित किया. उन्ह्नोने बताया कि क्लोरिनेटेड प्लास्टिक से मिटटी में निकलने वाले रासायनिक तत्व भूमिगत जल में मिल कर हमारे शरीर तक पहुंच जाते हैं. ऐसा कहने के पीछे उनका संकेत स्पष्ट था कि भारत जैसे देश में अधिकतर ऐसे राज्य है जाना पेय जल व सिंचाई के लिए भूमिगत जल पर ही अधिकतम निर्भरता है. और इससे जमीन के अन्दर का प्रदूषित पदार्थ हमारे शरीर में आसानी से पहुँच जाता है. अतः हमें इसके खतरों के प्रति पूरे समाज को जागरूक करना चाहिए. उनके शब्दों में स्वास्थ्य हमारा सबसे महत्वपूर्ण धन है और इसे बनाये रखने में हमारी व हमारे देश की भलाई है. अगर हम पॉलिथीन व प्लास्टिक के खतरनाक अवयवों से अस्वस्थ होते हैं तो इसक अ सीधा असर हमारी उत्पादकता पर पड़ता है. यह आर्थिक नुक्सान का प्रमुख कारण बन सकता है. कार्यशाला के दौरान लायन तनेजा ने सभी अतिथियों व अध्यापिकाओं को जूट से बने बैग भी वितरित किए जिससे उन्हें इस बात का ख़याल रहे कि हमने प्लास्टिक के बेग उपयोग नहीं करने की कसम खाई है.

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सभा की मुख्य वक्ता ज्ञान देवी पब्लिक मिडिल स्कूल सेक्टर 10 गुरुग्राम की प्रधानाचार्या सीना यादव ने सभी को पॉलिथीन के दुष्प्रभावों से अवगत कराया. उनका कहना था कि अब समय आ गया है जब हमें अपने समाज को यह समझाने की कोशिश करनी चाहिए कि अगर धरती माता को बचानी है तो पॉलिथीन को पूरी तरह नकारना पड़ेगा. उन्होएँ कहा कि यह सर्वमान्य वैज्ञानिक तथ्य है कि प्लास्टिक से बनी वस्तुएं जमीन या जल में इकट्ठा होने से प्लास्टिक प्रदूषण होता है. इससे वन्य प्राणी या मानव के जीवन पर बुरा प्रभाव पडता है. उनके अनुसार प्लास्टिक प्रदूषण कई प्रकार से हो सकते हैं. यह  भूमि, जलमार्ग व महासागर को भी बुरी तरह प्रभावित कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि आधुनिक रिसर्च यह बताता है कि पॉलिथीन मनुष्य के थाइराइड हारमोंस ग्लैंड पर भी बुरा असर डालता है. इसके रसायन से हारमोंस रुक जाते हैं या अधिक निकलने लगते हैं. उन्होंने सभी शिक्षकों को इसके लिए बच्चों को जागरूक करने की सलाह दी.

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इस अवसर पर लायंस क्लब गुडगाँव सिटी के प्रेसिडेंट लायन राजेश जिसु ने भी संबोधित किया. उनका कहना था कि इस प्रकार के जागरूकता अभियान के लिए हमें केवल सरकारी एजेंसी पर ही निर्भर नहीं रहना चाहिए. कानूनी प्रावधान बनाना उनकी जिम्मेदारी तो है लेकिन इस पर प्रभावी अमल कराने के लिए सामाजिक भूमिका भी अहम् है. लायंस क्लब की ओर से शुरू किये गए अभियान इन्हीं दृष्टिकोण का हिस्सा है.  उनके शब्दों में पॉलिथीन के उपयोग की परम्परा को को जड से उखाड़ फेंकने में हर एक व्यक्ति की भागीदारी जरूरी है. इसे हमें सामूहिक रूप से सुनिश्चित करना ही होगा,

 

लायंस पब्लिक स्कूल के मैनेजर राजीव कुमार ने कार्यशाला में उपस्थित अध्यापिकाओं  को इस अभियान से तन मन से जुड़ने की अपील की. उन्होंने कहा कि सरकार ने पॉलिथीन को प्रतिबंधित करने का कानून वर्षों पहले बना दिया लेकिन उपयोगकर्ता अपने स्वास्थ्य के प्रति  सवेदनशील नहीं हैं. कारन है कि हम सजग नहीं हो पा रहे हैं. उन्होंने कहा कि उपभोक्तावादी युग में हमने सब कुछ रेडीमेड और इंस्टेंट प्राप्त करने की आदत सी लग गयी है. हम प्रकृति से दूर होते जा रहे हैं. ऐसा नहीं कि हमें पॉलिथीन के दुष्प्रभाव की जानकारी नहीं है बल्कि हम स्वयं के शरीर और भविष्य की पीढ़ियों की चिंता नहीं कर रहे हैं. जरूरत है हमें एक संवेदनशील व जागरूक नागरिक बनने की  और तभी लायंस क्लब की इस मुहीम को कामयाबी तक पहुंचा सकेंगे और लोगों को सुरसा के मुंह की तरह विकराल हो रही इस समस्या से निजात दिला सकते हैं.

 

लायंस पब्लिक स्कूल सेक्टर 10 ए की प्रधानाचार्य रेनू वर्मा ने लायंस क्लब के इस सन्देश ‘‘Say No to Polythene – Save Mother Earth’ को बच्चो के माध्यम से जन जन तक पहुँचाने के लिए शिक्षकों को आगे आने को प्रेरित किया. उनका कहना था कि प्रकृति ने हमें दैनिक जीवन में बैग के विकल्प के रूप में कई प्राकृतिक श्रोत से बने बैग दिए हैं. पॉलिथीन के बदले हम एक तरफ कपडे से बने थैले, बैग का उपयोग कर सकते हैं तो दूसरी तरफ जूट से बने बैग को भी अपना सकते हैं. ये ऐसे श्रोत हैं जो मिटटी में जल्दी से मिल जाते हैं और कम्पोस्ट के रूप में मिटटी की उर्वरा शक्ति को बढाते हैं.

 

इससे पूर्व विद्यालय की सीनियर कोऑर्डिनेटर अंजू नासा ने कार्यशाला में उपस्थित सभी अतिथियों का स्वागत किया और बताया कि केंद्रीय पेय जल मंत्रालय ने सभी विभागों व संस्थाओं से खास कर पीने के पानी के लिए प्लास्टिक बोतल का उपयोग नहीं करने की सलाह दी है. उन्होंने अपने स्वागत भाषण में कहा कि हमें इस पर अमल करना चाहिए.

 

अन्त में विद्यालय की कोऑर्डिनेटर निधि भल्ला ने इस महतवपूर्ण विषय पर चर्चा में शामिल होने व इसके प्रति अपनी सहमती व्यक्त करने के लिए उपस्थित सभी लोगों का धन्यवाद ज्ञापित किया और स्वच्छ भारत व स्वस्थ भारत की कामना की.

Suvash Chandra Choudhary

Editor-in-Chief

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