निमोनिया से बचाव के लिए पीसीवी-13 टीकाकरण शीघ्र

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 बच्चों को तीन डोज़ में दी जाती है यह वैक्सीन 

गुरुग्राम, 12 जुलाई। प्रदेश के नौनिहालों को निमोनिया  जैसी जानलेवा बिमारियों से बचाने के उद्देश्य  से स्वास्थ्य विभाग हरियाणा द्वारा जल्द ही पीसीवी-13 नामक वैक्सीन की शुरूआत की जा रही है। इस वैक्सीन के आने के बाद बच्चों का निमोनिया जैसी जानलेवा बीमारियों से बचाव किया जा सकेगा। फिलहाल इस वैक्सीन की एक डोज़ प्राइवेट अस्पतालों द्वारा लगभग तीन से साढ़े तीन हज़ार रूपये में लगाई जाती है और बीमारी की रोकथाम के लिए तीन डोज़ लगवानी होती हैं। 
 
 
इस बारे में जानकारी देते हुए उपायुक्त विनय प्रताप सिंह ने बताया कि पीसीवी-13 वैक्सीन के आने के बाद बच्चों को निमोकोकल बैक्टीरिया के संक्रमण से बचाया जा सकता है, जोकि निमोनिया होने का मुख्य कारण होता है। यह वैक्सीन शिशु मृत्यु दर को कम करने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगा। यह वैक्सीन शिशु को 3 डोज़ में दी जाती है। प्राइवेट अस्पताल इस वैक्सीन की एक डोज़ के लिए बच्चों के अभिभावकों से करीब 3500 रूपये की कीमत वसूल रहे है। इस प्रकार, तीन डोज़ के पूरे कोर्स के लिए अभिभावको को करीब 10 हज़ार रूपये की राशि खर्च करनी पड़ती है। पीसीवी-13 की पहली डोज़ बच्चों को 6 सप्ताह पर, दूसरी डोज़ साढ़े तीन महीने पर तथा तीसरी डोज़ बच्चे के 9 महीने के होने पर दी जाएगी। 
 
सिविल सर्जन डा. बी के राजौरा ने बताया कि वर्तमान में स्वास्थ्य विभाग द्वारा बच्चों का 11 बीमारियों से बचाव के लिए टीकाकरण किया जा रहा है जिसमें हैपेटाइटिस-बी, पोलिया ड्राप्स, बीसीजी, पैंटावेलेंट, खसरे का टीका, डीपीटी तथा रोटावायरस आदि शामिल है। एक अध्ययन के अनुसार 5 वर्ष तक के बच्चों की मौत का मुख्य कारण निमोनिया व डायरिया है, लेकिन सबसे अधिक बच्चों की मृत्यु निमोनिया के कारण होती है। पीसीवी-13 वैक्सीन के सरकारी अस्पताल में लगाए जाने से जहां एक तरफ बच्चों का निमोनिया से बचाव होगा, वहीं दूसरी तरफ बच्चों के अभिभावको की जेब पर भी बोझ कम होगा। 
 
उन्होंने बताया कि न्यूमोकोकल बैक्टीरिया बीमारियों की एक व्यापक श्रृंखला का प्रतिनिधित्व करता है। निमोनिया एक मरीज़ से दूसरे मरीज़ में फै ल सकता है। डा. धीरेन्द्र त्यागी ने बताया कि निमोकोकल बैक्टीरिया से निमोनिया के अलावा दिमागी बुखार भी हो सकता है। यह बुखार आमतौर पर गर्दन में अकडऩ और मानसिक भ्रम के साथ होता है जिससे दीर्घकालीन समस्याएं जैसे सुनाई न देना अथवा मृत्यु तक हो जाना आदि हो सकती है। इसके साथ ही न्यूमोकोकल बैक्टीरिया संक्रमण से मध्यकर्णशोथ(ओटिटिस मीडिया) बीमारी भी हो सकती है। इस बुखार के लक्षणों में बच्चे को बिना स्त्राव के कान दर्द आदि शामिल हैं जिससे बार-बार होने वाले मामलों में श्रवण शक्ति समाप्त हो सकती है। 
 
टीकाकरण अभियान के बारे में जानकारी देते हुए डा. त्यागी ने बताया कि नवजात शिशु को जन्म के 24 घंटे में हैपेटाइटिस-बी, पोलियो ड्राप्स तथा बीसीजी के टीके लगाए जाते है। इसके उपरांत 6 सप्ताह पर शिशु को दोबारा स्वास्थ्य केन्द्र में बुलाकर पोलियो ड्राप्स तथा दस्त से बचाव के लिए 5 बूंद रोटा वायरस वैक्सीन की दी जाती हैं। बच्चे को 5 बीमारियों से बचाने वाला पैंटावेलेंट वैक्सीन दिया जाता है। इसी प्रकार, नवजात शिशु के दस सप्ताह तथा 14 सप्ताह का होने पर उसका टीकाकरण किया जाता है और 9 महीने का होने पर खसरे का टीका लगाने के साथ विटामिन-ए शुरू कर दिया जाता है। इसके बाद विटामिन-ए की हर 6 महीने में 5 साल तक एक-एक डोज दी जाती है। उन्होंने बताया कि बच्चे को 16 से 24 महीने के बीच भी डीपीटी और खसरा की बूस्टर डोज दी जाती है।

Suvash Chandra Choudhary

Editor-in-Chief

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