लाइसेंस होने के बावजूद कस्बा पिनगवां में मीट की दुकानें खोलने नहीं दे रहा है प्रशासन !

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लोगों में सरकार और प्रशासन के खिलाफ भारी रोष 

एक दर्जन मीट दूकान चलाने वाले दुकानदार पिनगवां थाना प्रभारी से मिले

यूनुस अलवी

 मेवात:  मीट की दुकान चलाने के लिये सरकार से लाईसैंस लेकर भी मेवात जिला प्रशासन कस्बा पिनगवां में मुर्गा और बकरे के मीट की दुकाने नहीं चलने दे रहा है। जिसकी वजह से मीट की दुकान चलाने वाले लोगों में सरकार और प्रशासन के खिलाफ भारी रोष है। रविवार को कस्बा पिनगवां के एक दर्जन मीट शौप चलाने वाले दुकानदार पिनगवां थाना प्रभारी से मिले जहां भी उनको कोई ठोस आश्वासन नहीं मिल सका। दुकानदारों ने सरकार से सवाल करते हुऐ पूछा है कि लाईसैंस लेने के बाद भी उनकी दुकानों को क्यों खोलने नहीं दिया जा रहा है। उनकी रोजी रोटी पर भारी प्रभाव पड रहा है। वहीं मुर्गा-बकरा की दुकान खोलने के बारे में सरकार की क्या हिदयतें हैं अभी तक ना तो पुलिस प्रशासन के पास और ना ही कस्बा पिनगवां के सरपंच पास हिदायतें आई हैं। जिसकी वजह से मीट विक्रेता और प्रशासन असमंजस की स्थिति में हैं। सरकार की ओर से लिखित हिदायतें ना होने की वजह से पुलिस विभाग भाजपा और आरएसएस के कार्यकर्ताओं के दवाब में अपनी मनमर्जी चला रहा है। पुलिस विभाग ने कस्बा पिनगवां में पिछले 24 मई से एक दर्जन दुकानें जबरजस्ती बंद कर रखी हैं। मीट विक्रेताओं को बंद दुकानों का किराया देना भारी पड रहा है।
 
   गांव लाहाबास निवासी सलीम, महताब और साकिर और पिनगवां निवासी साबिर कुरैशी, उमसान मरोडा, पप्पू पिनगवां, जमील मोहम्मदपुर सहित एक दर्जन मीट विक्रेताओं ने बताया कि वे काफी समय से कस्बा पिनगवां में मुर्गा की मीट बैचने का काम करते आ रहे हैं। जब से सरकार ने मीट बैचने के लिये लाईसैंस की शर्त लगाई है उन्होने सरकार से अपना लाईसैंस बनवा रखा है। इसके बावजूद भी पिनगवां थाना प्रभारी ने कुछ आरएसएस और भाजपा के कार्यकर्ताओं के दवाब में उनकी दुकान 24 मई को जबरजस्ती बंद करवा दी हैं। तभी से वे अपनी दुकानों को खुलवाने के लिये पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों के दफतरों के चक्कर काट रहे हैं। लेकिन कोई भी अधिकारी ये बताने को तैयार नहीं है कि उनकी दुकानों को किन कारणों से बंद किया गया है।
 
  उनका कहना है कि लाईसैंस लेने के बाद अगर सरकार की ओर से कोई मापदंड हैं तो उनको बताया जाऐ। जिससे उनको वे पूरा कर सकें। मीट विक्रेताओं का कहना है कि वे दुकान में पर्दा लगाकर ही मुर्गो को काटते हैं तथा गंद को कूडादान में रखते हैं। तथा सफाई का भी पूरा ख्यान रखते हैं। उन्होने बताया कि उनकी दुकानों के पास ना तो कोई मंदिर हैं, ना स्कूल है उसके बावजूद भी उनकी दुकान बंद कर प्रताडित किया जा रहा है। जिससे उनको हर रोज हजारों रूपये का नुकसान तो उठाना पड रहा है साथ ही दुकानों को किराया भी जैब से अदा करना पड रहा है। उन्होने चेतावनी देते हुऐ कहा कि अगर उनकी दुकानों को खोलने नहीं दिया गया तो उनको मजबूर होकर धरना प्रदर्शन करना पडेगा और अदालत का दरवाजा खटखटना पडेगा।
 

क्या कहते हैं सरपंच ? 

 
कस्बा पिनगवां के सरपंच संजय सिंगला का कहना है कि उनके पास सरकार की तरफ से ऐसे कोई मामदंड नहीं हैं कि दुकान कहां और कैसे खोली जाऐ। उनका यह भी कहना है कि कस्बे में मीट की दुकान बंद करवाने के लिये उन्होने प्रशासन से कोई शिकायत नहीं की है। वह तो यही चहाते हैं कि मीट की दुकान चलाने वालों के लिये जो मांपडंड तैय किये हैं उनको बताया जाऐ। जिससे आम जनता परेशान ना हो सके।
 

क्या कहते हैं एसएचओ ? 

 
   पिनगवां थाना प्रभारी जयचंद ने बताया कि उसने दो दिन पहले ही थाने का चार्ज संभाला है। सरकार और प्रशासन की ओर से उसके पास मीट की दुकानों के खोलने और बंद करने की ऐसी कोई हिदायत नहीं हैं। ये दुकान उनसे पहले बंद की गई थी। वह इसका पता लगाऐं, अगर नियम के अनुसार दुकाने होंगी तो उनको खोलने से रोका नहीं जा सकता।

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