तमिलनाडु के 18 वर्षीय रिफत शारूक का नाम मीडिया में क्यों छा गया !

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रिफत शारूक ने दुनिया का अब तक का सबसे छोटा सैटेलाइट बना डाला

चेन्नई : तमिलनाडु के पल्लापट्टी में रहने वाले 18 वर्षीय रिफत शारूक का नाम पिछले कई दिनों से दुनिया की मिडिया में छाया हुआ है. विज्ञान के क्षेत्र में आविष्कार की दृष्टि से इसने एक अनोखा कारनामा कर दिखाया है. इस छोटी सी उम्र में जब बच्चे अपने भविष्य की चिंता में स्कूल और कालेज के बीच तारतम्य बैठाने की कोशिश में लगे रहते है उस उम्र में रिफत शारूक ने दुनिया का अब तक का सबसे छोटा सैटेलाइट बना डाला है. बताया जाता है कि इस सैटेलाइट का वजन 64 ग्राम है और इसे कलामसैट (KalamSat) नाम दिया गया है.

क्यूब्स इन स्पेस’ कॉम्पटीशन क्या है ? 

उल्लेखनीय है कि रिफत शारूक ने कनाडा एविएशन एंड स्पेस मुजियम की ओर से आयोजित ‘क्यूब्स इन स्पेस’ कॉम्पटीशन में भाग लिया था और अपने बनाए सैटेलाइट को गत 29 अप्रेल को प्रदर्शित किया था. इस प्रतियोगिता में शामिल होने के लिए 22 अप्रेल 2017 तक आवेदन किया जाना था. प्रतियोगिता के दौरान प्रताभागी छात्र को 4 X 4 X 4 सेंटीमीटर का प्लास्टिक क्यूब दिया जाता है और इसी साइज़ का डिजाईन तैयार करन होता है है इसलिए ही इसे क्यूबस इन स्पेस कम्पटीशन कहा जाता है. इसमें केवल 11 से 18 वर्ष के स्कूली बच्चे ही भाग ले सकते हैं.     

 

मिडिया में खबर तैर रही है कि आगामी 21 जून को यह सबसे कम वजनी सैटेलाइट नासा के साउडिंग रॉकेट से लॉन्च भी किया जाएगा। आश्चर्य इस बात का कि इसे दुनिया के अन्य 86 हजार डिजाइन्स में से चुना गया है.

 

– ‘क्यूब्स इन स्पेस’ कॉम्पटीशन में 57 देशों के कॉम्पटीटर की ओर से 86000 डिजाइन्स पेश किए गए थे. इनमे से रिफत का यह डिजाइन सेलेक्ट किया गया है.

 

– रिफत के डिजाइन के अलावा अन्य देशों के छात्रों के 80 मॉडल भी चुने गए.

 

– 64 ग्राम के इस सैटेलाइट को तैयार करने में वाली टीम में अब्दुल कासिफ, तनिष्क द्विवेदी, विनय भारद्वाज, तनिष्क द्विवेदी और गोबी नाथ शामिल हैं.

 

–  64 ग्राम की सैटेलाइट को तैयार करने में 2 साल लगे और लहभग एक लाख रुपए का खर्च आया है.

 

– किसी इंडियन स्टूडेंट के इनवेंशन को NASA द्वारा पहली बार लॉन्च किया जाएगा.

 

– इसे स्पेस में भेजने की अवधि मात्र 240 मिनट होगी और यह छोटा उपग्रह अंतरिक्ष के माइक्रो ग्रेविटी वातावरण में केवल 12 मिनट तक ही काम करेंगे.

 

– खबर है कि इस सैटेलाइट का लक्ष्य 3D प्रिटेंड कार्बन फाइबर के परफॉमेंस को प्रदर्शित करना और तापमान व रेडिएशन को रिकॉर्ड करना होगा.

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