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अधिकारी नहीं चहाते हैं कि सरकारी छूट की योजनाओं का गरीब लोग फायदा उठाएं
यूनुस अलवी
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गांव धुलावट निवासी हसीन पुत्र रमजान ने बताया कि उसकी 65 वर्षीय ताई को रीड की हड्डी में परेशानी है जिसका पिछले 6 महिने से शहीद हसन खां मेडिकल कॉलेज नलहड में इलाज चल रहा है। रीड की हड्डी में दर्द होने कि वजह से कालेज में कार्यत डाक्टर ने उसकी ताई की एमआरआई कराने का ऐडवाईज कर दिया। शनिवार को जब उसने अपनी ताई का डाक्टर को बीपीएल कार्ड दिखाया और उसे वेरीफाई करने को कहा तो उसने ताई के बीपीएल कार्ड को वेरिफाई करने से मना कर दिया। हसीन का कहना है कि वह डाक्टर के सामने काफी देर तक गिडगिडाता रहा कि उसकी ताई बेहद ही गरीब है वह 6 हजार रूपये खर्च कर अपना एमआरआई नहीं करा सकती। हसीन ने बताया कि डाक्टर ने उसे भगा दिया और कहा कि मुफ्त में एमआरआई कराने का कोई ठेका थोडे ले रखा है। मेवात के लोग मुफ्त के इलाज की ओर भागते फिरते रहते हैं। हसीन का कहना है कि आखिरकार मजबूर होकर उसने अपनी ताई का 5660 रूपये खर्च कर एमआरआई करानी पडी।
समाजसेवी फजरूदीन बेसर, समाजसेवी रमजान चौधरी का कहना है कि ऐसे लापरवाह डाक्टरों की जांच होनी चाहिये। यह भी जांच होनी चाहिये कि अब तक कॉलेज में कितने गरीब परिवार के लोगों को इसका फायदा मिला है। जो अधिकारी सरकार की योजनाओं से गरीब परिवारों को जानबूझ कर वंचित रख रहे हैं उनके खिलाफ विभागीय और कानूनी कार्रवाई होनी चाहिये।
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