मेवात ही नहीं हरियाणा के सात जिले में दूध के नाम पर कीटनाशक परोसा जा रहा है : मोहन सिंह अहलूवालिया

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: लाला लाजपत राय यूनिवर्सिटी ऑफ वेटरनरी एंड एनीमल साइंस द्वारा सात जिलो में लिये गये 104 दूध के सैंपल में से 84 में कीटनाशक जहर पाया गया

: भारतीय जीवजंतु कल्याण बोर्ड के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष ने किया खुलासा

यूनुस अलवी

 
नूंह : मेवात ही नहीं बल्कि हरियाणा प्रदेश में भी दूध के नाम पर जनता को कीटनाशक जहर परोसा जा रहा है। लाला लाजपत राय यूनिवर्सिटी ऑफ वेटरनरी एंड एनीमल साइंस हिसार के वैज्ञानिकों द्वारा हाल ही में प्रदेश के केवल सात जिलो में करीब 104 दूध के सैंपल की जांच में पाया गया कि 84 सैंपलों में कीटनाशक जहर है। 
   भारतीय जीवजंतु कल्याण बोर्ड के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष मोहन सिंह अहलूवालिया ने कहा कि दूध के नाम पर देश के लोगों को मीठा जहर परोसा जा रहा है। 2016-17 में लुवास के वेटरनरी पब्लिक हेल्थ डिपार्टमेंट ने पिछले दिनों प्रदेश के हिसार, भिवानी, सिरसा, अम्बाला, महेंद्रगढ़, जींद रोहतक सहित सात जिलो में दूधियों द्वारा बेचे जाने वाले दूध के करीब 104 सैंपल लिये जिनकी जांच लाला लाजपत राय यूनिवर्सिटी ऑफ वेटरनरी एंड एनीमल साइंस हिसार के वैज्ञानिकों ने कीटनाशकों की मिलावट पर शोध किया है। उन्होने बताया कि दूध के 104 सैंपलों में से जांच के दौरान वैज्ञानिकों ने इनमें से 84 सैंपलों में कीटनाशकों की मात्रा पाई है और 9 सैंपलों में तो कीटनाशकों की मात्रा सामान्य से अधिक पाई गई है। कीटनाशक मिले हुए दूध को लगातार पीने से इंसान को कई प्रकार की बीमारियां अपनी चपेट में ले सकती हैं। 
  उन्होने बताया कि जांच में दूध का दूध और पानी का पानी ही नहीं हुआ बल्कि दूध में जहरीले अंश भी मिले हैं। ऐसे में शक्ति और पोषण का मुख्य स्रोत माना जाने वाला दूध अब आपको प्रोटीन और कैल्शियम देने की बजाए स्लो पायजन दे रहा है। शहर में दूधियों द्वारा बेचे जा रहे दूध में 9 तरह के कीटनाशक पाए गए हैं। हिसार की लुवास के वैज्ञानिकों द्वारा दूधियों के ढोल(डब्बों) से लिए गए दूध के सैंपलों की जांच में यह खुलासा हुआ है। 
  मोहन सिंह अहलूवालिया ने बताया कि दूध में मिली कीटनाशक मिलने से होने वाले नुकसान के बारे में उन्होने जब वैज्ञानिकों से इस बारे में पूछा तो उन्होने बताया कि कीटनाशक मिले दूध के लगातार सेवन करने से इंसान को एक नहीं कई प्रकार की बीमारियां चपेट में ले सकती हैं। इसमें मुख्य रूप से कैंसर, किडनी, लीवर, हार्ट, ब्लड प्रेशर, पाचन प्रक्रिया खराब, बार-बार पेट खराब होना और आंखों पर असर डालता है। इसके अलावा इन कीटनाशकों का प्रभाव इंसानी शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता को कम कर देता है। 
    उन्होने बताया कि दूध में जो कीटनाशक पाऐ गये हैं उनमें ट्राइजोफॉस 28, मोनोक्रोटोफॉस 14, इडिफनफास 55, क्लोरोपायरीफॉस 32, प्राइमिफास मिथाइल 15, मैलाथियॉन 28, फैनट्रोथियान 24, डाइक्लोरवास 15, क्यूनलफॉस 32 फीसदी कीटनाशक पाये गये हैं।
 उन्होने बताया कि लुवास के वैज्ञानिकों द्वारा जिन सात जिलों से दूध के सैंपल लिए उनमें से चार जिले तो ऐसे हैं जहां वैज्ञानिकों द्वारा लिए गए सभी सैंपलों में ही कीटनाशक मिले हैं। सबसे अधिक सैंपल हिसार से 42 सैंपल लिए थे, जिसमें से 29 सैंपल पॉजीटिव मिले हैं। वहीं महेंद्रगढ़ से 20 सैंपल लिए थे जिसमें 17 सैंपलों में कीटनाशक की मात्रा पाई गई है जबकि जींद, भिवानी, रोहतक, अम्बाला के सभी सैंपलों में कीटनाशक मिले हैं।

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