मेवात में नहीं हैं मिलावटखोरो पर नकेल कसने वाले अधिकारी

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यूनुस अलवी
मेवात:मेवात जिला कि करीब बारह लाख से अधिक आबादी वाले इलाके में फूड सेफ्टी ऑफिसर और ड्रग कंट्रोलर ऑफिसर ना होने कि वजह से यहां मिलावटखोरो और नकली दवाई बैचने वालों कि बल्ले-बल्ले हो रही है। फैंपल भरने वाले अधिकारी ना होने कि वजह से यहां मिलावट कर धंधा जोरो पर चल रहा है। 
 
    प्राप्त जानकारी के अनुसार नूंह जिला में पुन्हाना, नगीना, फिरोजपुर झिरका, तावडू और नूंह सहित कुल पांच खंड है, जिनकी बारह लाख से अधिक आबादी है। मेवात इलाका राजस्थान और उत्तरप्रदेश कि सिमाओं से सटा होने कि वजह से यहां पर दूध, पनीर, खोवा, सरसों का तेल, देशी घी में जमकर मिलावट हो रही है। इसके अलावा मेडिकल स्टोरों पर धडलले से नकली दवाई और नशे कि दवाईयां बिक रही हैं। मेवात में झोलाछाप डाक्टरों कि भरमार है। जच्चा-बच्चो के सेंटर गली-गली में खुले हुऐ हैं। इन मिलावटखोरो के खिलाफ कार्रवाई ना होने कि वजह से इनके होंसले बुलंद हैं।
 
   दुध, पनीर, खोवा, मिठाई आदि में मिलावट करने वालों पर नजर रखने के लिये हर जिले में फूड सेफ्टी ऑफिसर (एफएसओ) का एक पद स्विकृत है। पिछले काफी समय से मेवात में यह पद खाली पडा हुआ है। फरीदाबाद के एफएसओ को मेवात कि अतिरिक्त जिम्मेदारी सौंप रखी है। जो कभी-कभार ही आ पाता है। एफएसओ ना होने कि वजह से दुध, पनीर, खोवा, मिठाई आदि में मिलावट करने वालें लोगों के हौंसले बुलंद हैं। एफएसओ का काम होता है कि वह दूध और दुध से बनी चीजों कि जांच कर पता लगाऐ कि इसमे मिलावट तो नहीं हो रही है।
 
     इसके अलावा  मेडिकल स्टोर पर बिकले वाली दवाईयों को सैंपल लेने और झोला छाप डाक्टरों पर नजर रखने के लिये जिसमें में एक ड्रग कंट्रोलर ऑफिसर (डीसीओ)होता है। यह पद मेवात जिला में करीब 10 साल से खाली पडा हुआ है। फिलहाल पलवल के डीसीओ को मेवात का अतिरिक्त चार्ज दे रखा है लेकिन उसने लिखित में मेवात आने से मना कर रखा है। जिसकी वजह से मेवात जिला में नकली दवाईयों, नशे कि दवाईयों और झोलाछाप डाक्टरों कि भरमार चल रही है।
 
  मेवात के समाजसेवी उसमान दुर्रानी, शिक्षाविद्ध अबदुल वहाब का कहना है कि मेवात में ना तो डीसीओ है और ना ही एफएसओ है जिसकी वजह से मेवात जिला में मिलावट का काम धडलले से चल रहा है, इतना हीं नहीं मेडिकल स्टोरों पर नशे की दवाईयां और प्रतिबंधित नकली दवाईयां खुली बैची जा रही है। अगर मेवात में छापा मारने वाले अधिकारी होगें इन पर कार्रवाई कि जा सकती है। जो अधिकारी है वे कभी-कभार ही मेवात आते हैं उनमें अधिक्तर अधिकारी इन मिलावटखोरों से सांठ-गांठ रखते हैं। जिसकी वजह से ये अधिकारी या तो मेवात आते ही नहीं हैं अगर आते भी हैं तो छापा डालने से पहले ही आरोपी को पता चल जाता है।
 
 मेवात के डिप्टी सिविल सर्जन एसके कौशिक का कहना है कि फूड सेफ्टी ऑफिसर और ड्रग कंट्रोलर ऑफिसर के पद काफी समय से खाली पडे हैं। इन अधिकारियों के ना होने से छापामारी में काफी दिक््कत आती है।

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