आधी छुट्टी के बाद प्राईमरी के बच्चे नहीं पढेगे किताब

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 डीईओ ने आज से ही लागू करने के लिये स्कूलों को दिये आदेश

यूनुस अलवी
 
मेवात: मेवात जिला शिक्षा अधिकारी दिनेश शास्त्री ने जिले के प्राईमरी स्कूलों के इंचार्जो को आदेश दिये हैं कि सोमवार को आधी तफरी यानि लंच के बाद कोई भी अध्यापक बच्चों को किताबी पढाई नहीं पढाऐगा बल्कि बच्चों को इमला, सुलेख आदि लिखवाकर बच्चों को पढने और लिखने के काबिल बनाया जाऐगा।
 
  जिला शिक्षा अधिकारी ने अमर उजाला से खासबातचीत करते हुऐ बताया कि पांचवीं कक्षा तक बच्चे किताब तो पढ लेते हैं लेकिन जब उनको इमाला या कटवां बोलकर लिखने को कहा जाता है तो वे लिखने में काफी गलतियों कर बेठते हैं और बहुत से बच्चे सही शब्द लिख भी नहीं पाते हैं। उन्होने कहा कि बच्चें पढने के साथ-साथ लिखना भी सीखें इसी वजह से उन्होने प्राईमरी कक्षा तक के बच्चों को आधी छुट्टी के बाद किताबों कि पढाई कि जगह उनको इमाला, कटवां और सुलेख पर ज्यादा ध्यान देने के लिये स्कूल के हेडमास्टरों को आदेश दिये गये हैं। उन्होने दावा किया कि जिन बच्चों के पास लिखना नहीं आता वे सितंबर तक लिखना आसानी से सीख सकेंगें।
 
   उन्होने बताया कि यह आदेश उन्होने अपने अधिकारों के तहत दिये हैं। इससे पहले भी उन्होने जब स्कूलों को दौरा किया था तक दसवीं कक्षा तक के अधिक्तर बच्चों के पास 20 तक के पहाडे नहीं आते थे। उन्होने ऐसे ही आदेश आधी छुट्टी के बाद पचास तक पहाडे बच्चों को याद कराने के आदेश दिये थे आज इसके नतीजे भी सामने आ रहे हैं। दसवीं कक्षा ही नहीं बल्कि पहली और दूसरी कक्षा के बच्चे कम से कम 20 तक के पहाडे आसानी से सुना सकते हैं। उन्होने कहा कि जिन बच्चों को पहाडे आते हैं उनको गणित अच्छा होता है। जिन बच्चों के पास लिखना नहीं आता या फिर लिखने में गलती करते हैं ऐसे बच्चे आगे कामयाब नहीं हो सकते हैं। उन्होने कहा कि उनका मकसद है कि बच्चों कि बेसिक शिक्षा मजबूत हो। उन्होने कहा कि पांचवीं कक्षा से ही बोर्ड कि परीक्षा शुरू होनी चाहिये जिससे बच्चों में एक खौफ होगा तो वे पढने और अध्यापकों को पढाने को मजबूर होना पडेगा। जब बच्चों को फैल होने का डर नहीं होता है तो बच्चे और अध्यापक लापरवाही बरत्ते हैं।
 
  वहीं प्रदेश स्तरीय सम्मान से सम्मानित और नगीना के खंड शिक्ष अधिकारी डाक्अर अबदुल रहमान ने जिला शिक्षा अधिकारी के कदम कि सराहना करते हुऐ कहा कि डीईओ हर वह कदम उठाते हैं जिससे मेवात के बच्चे बुनियादी तालीम हासिंल कर सकें। डीईओ के इस कदम से बच्चों को काफी फायदा होगा।

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