स्ट्रे कैटल से हरियाणा के शहरों को निजात दिलाने की कवायद शुरू

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11 जिलों के उपायुक्तों को सीएम के अतिरिक्त प्रधान सचिव का निर्देश 

चण्डीगढ़, 27 मार्च : हरियाणा के मुख्यमंत्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव राकेश गुप्ता ने कहा कि प्रदेश को जल्द ही सडक़ों पर घूमने वाले आवारा पशुओं से मुक्त कर दिया जाएगा। इसके लिए पूरे प्रदेश में समुदाय आधारित कार्ययोजना तैयार की गई है। अब तक पंचकूला, नूंह और यमुनानगर जिलों को सडक़ों पर घूमने वाले आवारा पशुओं से मुक्त कर दिया गया है। 

श्री गुप्ता आज सोनीपत के जिमखाना क्लब में स्ट्रे कैटल (खुले में घूमने वाले पशु) मुक्त कराने की कार्ययोजना के दूसरे चरण में प्रदेश के 11 जिलों के उपायुक्तों व अन्य अधिकारियों की मीटिंग को संबोधित कर रहे थे। 

श्री गुप्ता ने बताया कि जून 2017 तक प्रदेश के अधिकतर जिले आवारा पशुओं से फ्री हो जाएंगे और 15 अगस्त तक पूरे हरियाणा को इनसे मुक्त कर दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने अक्टूबर 2016 में आदेश दिए थे कि प्रदेश में सडकों पर खुले घूमने वाले अवारा पशुओं के पुर्नवास के लिए बेहतरीन योजना तैयार की जाए। इसके लिए देशभर के बेहतरीन मॉडल का अध्ययन किया जाए ताकि लोगों को धार्मिक भावनाओं का भी ख्याल रहे और यह आर्थिक मॉडल लंबे समय तक कार्य कर सके। 

उन्होंने बताया कि अध्ययन करने पर पाया गया कि सिरसा, फतेहाबाद और हिसार जिलों में समुदाय (ग्राम पंचायतों, सामाजिक धार्मिक संस्थाओं, समाजसेवियों) को साथ लेकर इस दिशा में बेहतरीन कार्य किए जा रहे हैं। खासकर फतेहाबाद जिला ने इस क्षेत्र में सबसे बढिया कार्य किया है और लोगों ने खुद गांवों में फाटक तैयार कर पशुओं को उसके अंदर रखा और उनके चारे का प्रबंध भी किया हुआ है।  

मुख्यमंत्री ने इसी समुदाय आधारित मॉडल को ध्यान में रखते हुए कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश जारी किए। सभी जिला उपायुक्तों, अतिरिक्त उपायुक्तों व डीडीपीओ की मीटिंग बुलाई गई। 23 दिसंबर को करनाल में प्रदेश के 11 जिलों नूह, यमुनानगर, फतेहाबाद, पानीपत, हिसार, पंचकुला, रेवाड़ी, अंबाला, सिरसा, करनाल और कुरुक्षेत्र की मीटिंग बुलाई गई और कार्ययोजना तैयार की गई। एक महीने तक सभी जिलों के सीएमजीजीए के माध्यम से योजना तैयार की गई। इसके बाद 15 जनवरी तक नूह, फरवरी के पहले सप्ताह में यमुनानगर और 28 फरवरी तक फतेहाबाद को आवारा भटकने वाले पशुओं से मुक्त कर दिया गया। पंचकुला और अंबाला को अप्रैल तक और पूरे प्रदेश को 15 अगस्त तक स्ट्रे कैटल फ्री कर दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि पहले चरण के 11 जिलों में 45 हजार पशुओं को चिह्नित किया गया था और इनमें से 17 हजार पशुओं को विभिन्न बाड़ों, नंदशाला और गौशालाओं में शिफ्ट कर दिया गया है। 

मीटिंग में सोनीपत के उपायुक्त के मकरंद पांडुरंग, पानीपत के उपायुक्त चंद्रशेखर खरे, रोहतक के उपायुक्त अतुल कुमार चरखी दादरी के उपायुक्त विजय कुमार, पलवल के उपायुक्त अशोक कुमार शर्मा, यमुनानगर के उपायुक्त आरएस खर्ब, नारनौल के उपायुक्त राजनारायण कौशिक, कैथल के उपायुक्त संजय जून, झज्जर के उपायुक्त रमेश चंद्र बिधान, जींद के उपायुक्त विनय कुमार, गुरूग्राम के उपायुक्त हरदीप सिंह, गुडगांव नगर निगम के कमिश्नर अमित खत्री सहित सभी जिलों के अतिरिक्त उपायुक्त, नगर निगम कमिश्नर, डीडीपीओ सहित कई विभागों के अधिकारी मौजूद थे। 

समुदाय को जोडक़र काम किया तो सामने आए बेहतर परिणाम समीक्षा मीटिंग में फतेहाबाद के अतिरिक्त उपायुक्त जयकिशन ने समुदाय आधारित मॉडल पर अपनी प्रस्तुती दी। उन्होंने बताया कि दो नंदियों की लड़ाई में एक युवक की मौत के बाद उन्होंने फतेहाबाद में इनके समाधान पर काम करना शुरू किया। आवारा घूमने वाले पशुओं से मुक्त करने के लिए कई कदम उठाए गए। लोगों को जागरूक किया गया और गांवों में सरपंचों के समूह तैयार करवाए गए ताकि लोगों से सीधा संवाद किया जा सके। ओडीएफ मिशन के तहत लगे युवाओं के जरिए गांवों में पशुओं की संख्या की गणना की गई और पशुपालन विभाग के माध्यम से आंकड़े सुनिश्चित किए गए। गांवों में लोगों के साथ मिलकर तालाबों के आस-पास डेढ़ से दो एकड़ में फाटक तैयार करवाए गए ताकि वहां 150 से 200 पशुओं को रखा जा सके। 

लोगों को साथ जोड़ा गया जिनमें गांवों के पंच, सरपंच, धार्मिक संगठन, सामाजिक संगठन, प्राईवेट संस्थान, किसान शामिल थे। इन पशु बाड़ों का प्रबंधन, चारे की व्यवस्था भी इन्हीं को सौंपी गई। शहरी क्षेत्रों में एक हजार से लेकर 1500 पशुओं तक की नंदीशालाएं स्थापित की गई। फतेहाबाद में फिलहाल 30 नंदीशालाएं स्थापित हो चुकी हैं और 80 ऐसी व्यक्तिगत जगह हैं जहां पशुओं को रखा गया है। 

मीटिंग में जिला सोनीपत की कार्ययोजना की प्रस्तुती देते हुए उपायुक्त के मकरंद पांडुरंग ने बताया कि सोनीपत में मौजूदा समय में 24 गौशालाएं हैं और इनमें 27 हजार गौधन रखा गया है। 4500 घूमंतू पशु हैं। उन्होंने बताया कि जिला में 250 एकड़ में विशाल गौ अभ्यारण्य तैयार किया जा रहा है यहां गोधन को प्राकृतिक आवास मुहैया करवाया जाएगा। इसके साथ ही हरसाना में नगर निगम द्वारा नंदीशाला तैयार की गई हैं और यहां 700 नंदी रखे गए हैं। कुमासपुर गांव में साढ़े 18 एकड़ में दूसरी नंदीशाला तैयार की जा रही है। उन्होंने बताया कि जुलाई के अंत तक जिला को आवारा पशुओं से मुक्त कर दिया जाएगा।    

अतिरिक्त अतिरिक्त प्रधान सचिव राकेश गुप्ता ने बताया कि प्रदेश में वन विभाग, पीडब्लूडी व हुडा विभाग को बड़ी मात्रा में पौधों के लिए गोबर की खाद की जरूरत होती है और वे गोबर की खाद मार्केट से नहीं बल्कि नंदीशालाओं से खरीदें। ऐसे में सभी नंदीशालाएं सुदृढ़ हों इसके लिए इन विभागों को नंदीशालाओं से ही आर्गेनिक खाद खरीदने के लिए कहा जाएगा। हिसार ऐसा पहला जिला है जहां सभी विभागों को इस बाहर से आर्गेनिक खाद खरीदने के लिए प्रशासन से एनओसी लेनी होगी। यहां 13 हजार 463 नंदियों में से 6273 अलग अलग गौशालाओं व नंदीशालाओं में शिफ्ट कर दिए गए हैं बाकी का काम जारी है। 31 पशुबाड़े बन चुके हैं। 

सिरसारू सभी अधिकारियों ने एक-एक दिन का वेतन देकर शुरू किया अभियान सडकों पर आवारा घुमने वाले पशुओं के लिए नंदीशाला और समुदाय संचालित व्यवस्था शुरू करने के लिए सबसे पहले सभी अधिकारियों ने अपना एक-एक दिन का वेतन देकर काम शुरू किया। इसके बाद सभी सामाजिक व धार्मिक संगठन आगे आए और मौजूदा समय में यहां 11 हजार स्ट्रे कैटल हैं।

राजस्थान से आने वाली गायों का होगा रजिस्ट्रेशन पानीपत और हिसार में बनेगा गौ अभ्यारण्य मुख्यमंत्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव राकेश गुप्ता ने बताया कि प्रदेश सरकार द्वारा पानीपत व हिसार में तैयार किए जा रहे विशेष गौ अभ्यारण्य के लिए बजट जारी कर दिया गया है।

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