पण्डित रामेश्वर मिश्र की प्रतिमा का अनावरण
इलाके में शिक्षा का अलख जगाया : डा0 विद्याधर मिश्र
दरभंगा। संस्कृत की संरक्षा व इसका विकास जरूरी है। संस्कृत है तो संस्कृति है। इस देव भाषा के बिना मानवीय संस्कारों की परिकल्पना नहीं की जा सकती है। उक्त बातें आज लक्ष्मी नारायण रामेश्वर संस्कृत कालेज, जयदेवप ट्टी में प्राच्य विषय खासकर व्याकरण के प्रकांड विद्वान पण्डित रामेश्वर मिश्र की प्रतिमा के अनावरण कार्यक्रम के दौरान बतौर मुख्य अतिथि सूबे के काबीना मंत्री डा0 मदन मोहन झा ने कही। उन्होंने तो भरी सभा में आह्वान किया कि संस्कृत के हिमायती प्रबुद्ध जन आगे आएं वे हर सम्भव मदद को तैयार हैं।
कालेज के विकास के लिए 5 लाख रुपये अनुदान
डा0 झा ने कालेज के विकास के लिए अपनी ऐच्छिक कोष से 5 लाख रुपये देने की घोषणा भी की। उक्त जानकारी देते हुए पीआरओ निशिकांत प्रासाद सिंह ने बताया कि कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वीसी डा0 विद्याधर मिश्र ने कहा कि पूरे इलाके में शिक्षा का अलख जगाने के लिए पण्डित रामेश्वर मिश्र को लोग सदा याद रखेंगे। उन्होंने स्कूल कालेज खोलने के अलावा संस्कृत शिक्षा के लिए अपना पूरा जीवन लगा दिया। उन्हीं के आशीर्वाद व दिखाए मार्ग पर चलने के कारण वे आज कुलपति के पद पर आसीन हैं।
मालूम हो कि पण्डित रामेश्वर मिश्र वीसी डा0 मिश्र के पिता थे और उन्हीं के प्रयास से उक्त संस्कृत कालेज की स्थापना सम्भव हो पाई थी। प्राचार्य डा0 बालमुकुंद मिश्र के मंच सञ्चालन में आयोजित अनावरण कार्यक्रम के अलावा रामेश्वर मिश्र के व्यक्तित्व व कृतित्व पर कालेज में एक सेमिनार भी आयोजित किया गया। आदर्श संस्कृत महाविद्यालय लगमा के वरीय प्रध्यापक डा0 सदानंद झा ने भी पण्डित मिश्र के अवदानों को गिनाया। वहीं व्याकरण विभागाध्यक्ष डा0 शशिनाथ झा ने विस्तार से पण्डित मिश्र की जीवनी कों रेखांकित किया एवम् उनके योगदानों को सदा अनुकरणीय बताया।
डा0 श्रीपति त्रिपाठी ने भी श्रधांजलि अर्पित करते हुए पण्डित मिश्र को युग पुरुष बताया। कुलसचिव डा0 शक्तिनाथ झा ने पुराने जिला स्कूलों में संस्कृत शिक्षकों की बहाली नहीं होने से आ रही समस्याओं को गिनाया। वहीं डा0 विनय कुमार चौधरी ने कुलसचिव की मांगों का समर्थन करते हुए संस्कृत को बढ़ावा देने की बात कही। कार्यक्रम में मुख्य रूप से डा0 एके आजाद, डा0 प्रभाष चन्द्र,डा0 अवधेश चौधरी,डा0 दिनेश झा समेत इलाके के कई गणमान्य लोग मौजूद थे।