प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्यपं प. वी के शास्त्री से जानिये नवरात्र व्रत कैसे करें ?

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चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को भगवान ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की थी……

 प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्यपं प. वी के शास्त्री से जानिये नवरात्र व्रत कैसे करें ? 2विक्रम सवंत 2074 का शुभारम्भ 28 मार्च 2017 को प्रातः 8. 27 से आरम्भ होगा पूरे वर्ष संकल्प पूजा पाठ विवाह इत्यादि भी शुभ कार्यो में साधारण नाम के वर्ष का उच्चारण होगा. पुराणो के अनुसार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को भगवान ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की थी .  आज ही के दिन से सतयुग का आरम्भ हुआ था ओर आज ही के दिन से विक्रम सवंत का आरम्भ हुआ था . सनातन धर्म जिसे हम हिन्दु धर्म कहते हैं का यह नव वर्ष पूरी दुनिया मे मनाया जाता है. इस दिन से ही नवरात्री पूजा शुरू हो जाती है. इस दिन घर  में दीपक जलाना व घर पर हिन्दु ध्वजा फहराई जाती है.

 

चैत्र नवरात्र की पूजा की शुरुआत घटस्थापना से होगी.  इसका शुभ मुहूर्त सुबह 8. 27 से से लेकर 10 बजकर 24 मिनट तक का है. लगातार नौ दिनों तक चलने वाली इस पूजा में माता दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा-आराधना की जाती है. वैसे तो एक वर्ष में चैत्र, आषाढ़, आश्विन और माघ के महीनों में कुल मिलाकर चार बार नवरात्र आते हैं, लेकिन शास्त्र बताते बताते हैं कि इनमें से चैत्र और आश्विन के नवरात्र का बड़ा आध्यात्मिक महत्व है.

चैत्र शुक्ल पक्ष के नवरात्रों के साथ ही हिन्दू नवसंवत्सर शुरू हो जाता हैं. इस साल नवरात्र 28 मार्च से शुरू होकर पांच अप्रैल तक है.

 इस वर्ष चैत्र नवरात्र की मुख्य तिथियां इस प्रकार हैं :

28 मार्च 2017 : नवरात्र के पहले दिन घटस्थापना और देवी शैलपुत्री की पूजा

29 मार्च 2017 : नवरात्र के दूसरे दिन देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा.

30 मार्च 2017 : नवरात्र के तीसरे दिन देवी दुर्गा के चन्द्रघंटा रूप की आराधना

31 मार्च 2017 : इस साल 31 तारीख को माता के चौथे स्वरूप देवी कूष्मांडा की आराधना

01 अप्रैल 2017 : नवरात्र के पांचवें दिन भगवान कार्तिकेय की माता स्कंदमाता की पूजा

02 अप्रैल 2017 : चैत्र नवरात्र के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा

03 अप्रैल 2017 : नवरात्र के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा

04 अप्रैल 2017 : नवरात्र के आठवें दिन मां महागौरी की पूजा

             इस दिन कई लोग कन्या पूजन भी करते हैं.

05 अप्रैल 2017 : नौवें दिन भगवती के सिद्धदात्री स्वरूप का पूजन.

           सिद्धिदात्री की पूजा से नवरात्र में नवदुर्गा पूजा का अनुष्ठान पूर्ण हो जाता है.

 

शास्त्र के अनुसार नवरात्रि के 9 दिनों में देवी दुर्गा के 9 रूपों की पूजा की परंपरा में पवित्रता और शुद्धि का विशेष ध्यान रखा जाता है. मान्यता के अनुसार नियमों के पालन और श्रद्धापूर्वक एवं विश्वास से की गयी पूजा से माता दुर्गा की कृपा से सभी  मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. घर में नकारात्मक उर्जा समाप्त होती है और सकारात्मक उर्जा का संचार होता है.

नवरात्र पूजा के दौरान साधक व्रत रखते हैं. व्रत के लिए कुछ ख़ास नियमों एवं परम्पराओं का पालन यथासंभव करना चाहिए.

 

नवरात्रि के नियम :

कहा जाता है कि माँ जगत जननी दुर्गा को लाल रंग प्रिय है. अगर संभव हो तो  व्रतधारी को लाल रंग के आसन, पुष्प और वस्त्र का प्रयोग करना चाहिए. सुबह और शाम देवी दुर्गा के मंदिर में या अपने घर के मंदिर में घी का दीपक प्रज्जवलित कर दुर्गा सप्तसती और दुर्गा चालीसा का पाठ करना चाहिए. पूजा के बाद देवी की आरती करने का विधान है.

 

नवरात्रि में श्रधानुसार एवं शक्ति अनुसार नौ दिन उपवास रख सकते हैं या एक समय भोजन कर सकते ते हैं या फिर केवल फलाहार पर रह सकते हैं. यह भी मान्यता है कि  इन दिनों घर पर आई किसी भी कन्या को खाली हाथ विदा नहीं किया जाता है. नवरात्रि के नौवें दिन नव कन्याओं को घर बुलाकर श्रद्धापूर्वक भोजन कराने का भी विधान है.

 

नवरात्रि के दौरान क्या नहीं करें :

परंपरा के अनुसार नवरात्रि में 9 दिन दाढ़ी-मूंछ और बाल नहीं कटवाई जाती है. इन दिनों नाखून काटना भी वर्जित है. व्रतधारी एवं कलश स्थापना करने वाले या माता की चौकी स्थापित करने वालों को 9 दिनों में अपना घर खाली छोड़कर कहीं नहीं जान चाहिए.

 

यद् रहे नवरात्र के 9 दिनों में प्याज, लहसुन और मांसाहार पूरी तरह वर्जित है. हो सके तो व्रत रखने वाले नौ दिन तक नींबू काटने से बचें और काले कपड़े नहीं पहने. चमड़े के सामन जैसे बेल्ट, चप्पल-जूते, बैग के इस्तेमाल से भी बचने को कहा जाता है. व्रतधारी को नौ दिनों तक भोजन में अनाज और नमक का सेवन नहीं करना चाहिए. शास्त्र बताते हैं कि नवरात्र पूजा में व्रत के दौरान दिन में सोने, तम्बाकू चबाने एवं ब्रह्मचर्य का पालन न करने से व्रत का फल नहीं मिलता है.

 

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