महाराष्ट्र राज्य में भी किसानों के कर्ज माफ करने की मांग उठी
नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया कि उत्तर प्रदेश में योगी सरकार को किसानों के कर्ज माफ करने के लिए अपने प्रयास से ही कादम उठाने होंगे. केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने गुरुवार को राज्यसभा में संकेत दिया कि अगर कोई राज्य सरकार इसके लिए सक्षम है और उस दिशा में बढ़ना चाहती है तो राज्य को स्वयं ही अपने संसाधन जुटाने के प्रयास करने होंगे. मिडिया की ख़बरों के अनुसार महाराष्ट्र राज्य में भी कांग्रेस और एनसीपी ने किसानों की कर्ज माफी को लेकर एक स्वर से बोलना शुरू कर दिया है.
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा की ओर से किसानों के कर्ज माफ़ करने के वायदे किये गए थे. इसी सन्दर्भ में सपा सांसद नरेश अग्रवाल ने राज्यसभा में वित्त मंत्री अरूण जेटली से स्पष्टीकरण मांगा था. उनके जवाब में जेटली ने अपने जवाब में स्पष्ट किया कि ऐसी स्थिति नहीं आएगी जिसमें एक राज्य की मदद की जाएगी और अन्य राज्य की नहीं. जेटली ने यह बात महाराष्ट्र, पंजाब और राजस्थान जैसे अन्य राज्यों की ओर से किसानों के कर्ज माफ करने की मांग उठने के संबंध में कही.
वित्त मंत्री ने परोक्ष रूप से यह संकेत दिया कि केंद्र सरकार देश के किसी भी राज्य में किसानों के कर्ज माफ करने पर विचार नहीं कर रही है. हालांकि जेटली ने किसी राज्य का नाम नहीं लिया, लेकिन उनकी बात से यह साफ हो गया कि उत्तर प्रदेश में भाजपा की नई सरकार को राज्य में छोटे और मझोले किसानों के कर्ज माफ करने के अपने वायदे पर अमल के लिए स्वयं ही प्रयास करने होंगे .
उल्लेखनीय है कि केन्द्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने कर्ज माफी की बात की थी. लेकिन वित्त मंत्री का संसद में दिया गया बयान केंद्रीय कृषि मंत्री के उस बयान के ठीक उलट है. कृषि मंत्री ने तब कहा था कि कर्ज माफी के पैसे केंद्र देगा. विपक्ष ने इस पर काफीहाय तौबा मचाया था. विपक्ष का कहना था कि केंद्र सरकार को देशभर के किसानों के कर्ज माफ करने चाहिए न कि किसी एक राज्य के .
कहबर यह भी है कि किसानों के कर्ज माफ करने के विरोध में रिजर्व बैंक भी शामिल हो गया है. रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर एस.एस. मूंदड़ा ने भी कहा है कि इससे कर्ज लेने और देने वाले के बीच अनुशासन बिगड़ता है. हालांकि उन्होंने अपने बयान को लेकर स्पष्ट किया कि यह रिजर्व बैंक का आधिकारिक बयान नहीं है.