माँ बाप की सेवा नहीं करने वालों की छिन सकती है पुस्तैनी जायदाद !

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 जिले के संबंधित एसडीएम, ट्रिब्यूनल अथॉरिटी के रूप में बुजुर्गों की करेंगे सुनवाई 

“जमीन का मालिकाना हक वापस करने के आदेश दे सकते हैं एस डी एम् “

किसी भी विभाग में बुजुर्ग कर सकते हैं शिकायत 

चण्डीगढ़ :  जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण,नारनौल के सचिव एवं मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी विवेक यादव ने बताया कि यदि कोई बुजुर्ग अपने बच्चों के सेवा भाव से खुश होकर अपनी जमीन-जायदाद उनके नाम करवा देता है और बाद में बच्चे उसका ख्याल नहीं रखते तो संबंधित एसडीएम द्वारा बच्चों को अधिकतम 10 हजार रुपए तक का भरण पोषण का आदेश दिया जा सकता है। इसके अलावा, उनकी जमीन का मालिकाना हक भी वापस करने के आदेश जारी कर सकता है। 

श्री यादव ने बताया कि संतान द्वारा अपने माता-पिता के भरण-पोषण में लारवाही बरतने या उन्हें अपमानित करने पर वरिष्ठï नागरिक भरण-पोषण अधिनियम-2007 उन्हें यह संरक्षण प्राप्त है। इस अधिनियम के तहत पीडि़त बुजुर्ग किसी भी विभाग, एनजीओ या सामाजिक कार्यकर्ता को अपनी शिकायत कर सकता है। उन्होंने बताया कि अगर किसी बुजुर्ग के घर पर उसके बच्चों ने कब्जा करके उसे निकाल दिया है तो वह किसी भी विभाग में शिकायत दे सकता है। उस विभाग को वह शिकायत सीधे उपायुक्त को भेजनी होगी। संबंधित उपायुक्त इसके सत्यापन के लिए एसडीएम को 21 दिन का समय देगा जिस दौरान रिपोर्ट पेश करनी होगी। इसके बाद उपायुक्त पुलिस की सहायता से उस पीडि़त बुजुर्ग के बच्चों को घर से बाहर करवा सकता है। उन्होंने बताया कि ऐसे मामले हर माह की सात तारीख को उपायुक्त के माध्यम से महानिदेशक, समाज कल्याण विभाग को भेजने होते हैं।

उन्होंने बताया कि इस अधिनियम के तहत, बुजुर्गों की सुनवाई के लिए जिले के संबंधित एसडीएम को ट्रिब्यूनल अथॉरिटी बनाया गया है। एसडीएम के फैसले से असंतुष्ट पक्ष उपायुक्त को अपील कर सकता है और इसके बाद पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में अपील की जा सकती है। उन्होंने बताया कि एसडीएम की ओर से नोटिस भेजे जाने के बाद से 90 दिन के अंदर-अंदर फैसला करना होगा। अगर कोई इस फैसले से संतुष्ट नहीं है तो उपायुक्त उस पर 30 दिन के अंदर-अंदर फैसला देगा। 

श्री यादव ने बताया कि वरिष्ठï नागरिक भरण-पोषण अधिनियम के तहत एसडीएम व उपायुक्त के समक्ष होने वाली सुनवाई में किसी भी पार्टी की ओर से वकील पैरवी नहीं करेगा। इस अधिनियम में किए गए प्रावधान के अनुसार बुजुर्ग की तरफ से जिला विधिक सेवा प्राधिकरण का कानूनी स्वयं सेवक पैरवी करेगा। उन्होंने बताया कि अगर बुजुर्ग चाहे तो जिला समाज कल्याण अधिकारी भी पैरवी के लिए हाजिर होगा। इसमें बुजुर्ग के बच्चों को अपनी पैरवी खुद ही करनी होगी। 

Suvash Chandra Choudhary

Editor-in-Chief

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