हिंदी भाषा की ई-पुस्तकें इंटरनैट पर शीघ्र उपलब्ध होंगी : डॉ. अवनीश

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चण्डीगढ़ :  केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के वैज्ञानिक व तकनीकी शब्दावली आयोग के अध्यक्ष डॉ. अवनीश कुमार ने बताया कि पाठकों के लिए जल्द ही हिंदी भाषा की ई-पुस्तकें इंटरनैट पर उपलब्ध होंगी। इसके अलावा मानक शब्दावली के लिए एक मोबाइल एप बनाई जा रही है जिसको डाउनलोड करके शुद्ध एवं मानक शब्दावली का प्रयोग किया जा सकेगा।
  डॉ. कुमार आज यहां निकट पंचकूला में हिंदी साहित्य संगम के हिंदी ग्रंथ अकादमी द्वारा ’हिंदी बहुआयामी यथार्थ एवं आदर्श’ विषय पर आयोजित चिंतन गोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। इस अवसर पर गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार एवं भारत सरकार की हिंदी सलाहकार समिति के सदस्य डॉ. महश चंद गुप्त ने की।
 डॉ. अवनीश कुमार ने हरियाणा स्वर्ण जयंती उत्सव के अवसर पर हरियाणा सरकार द्वारा विभिन्न भाषाओं के साहित्य सम्मेलन आयोजित किए जाने की प्रशंसा करते हुए कहा कि इस प्रकार के कार्यक्रमों से साहित्य के माध्यम से देश एवं प्रदेश की संस्कृृति तरोताजा रहती है।
 वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. महेश चंद गुप्त ने अपने संक्षिप्त एवं सारगर्भित संबोधन में कहा कि हिंदी देव भाषा है,हमारी मातृृभाषा है। हिंदी भाषा का प्रत्येक शब्द भगवती व सरस्वती है। उन्होंने कहा कि जन्मदात्री मां जहां अपने बच्चे को मात्र दो वर्ष तक अपना दुध पिलाती है वहीं हिंदी-मां ताउम्र व्यक्ति को अपना शाब्दिक व सांस्कृतिक दूध पिलाकर उसका पालन-पोषण करती है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में कई हिंदी भाषी राज्यों में तकनीकी शिक्षा हिंदी भाषा में दी जा रही है।
    डॉ. गुप्त ने लोगों को अपनी मातृृभाषा के प्रति स्नेह रखने का आहवान करते हुए बताया कि हमारे देश में अंग्रेजी समाचार-पत्रों को पढने वालों की तुलना में हिंदी समाचार-पत्रों को पढने वालों की संख्या 13 गुना है। उन्होंने हिंदी प्रेमियों को जानकारी दी कि किसी विषय से संबंधित अगर वे भारत सरकार को हिंदी भाषा में पत्र लिखेंगे तो भारत सरकार की ओर से उसका जवाब भी आपको हिंदी भाषा में ही मिलेगा,यह सरकार का अनिवार्य निर्देश है। 
    इस अवसर पर हरियाणा ग्रंथ अकादमी के निदेशक डॉ. विजयदत्त शर्मा ,उपाध्यक्ष श्री वीरेंद्र सिंह चौहान,दीनबंधु छोटूराम यूनिवर्सिटी ऑफ साईंस एंड टैक्नोलोजी,मुरथल के कुलसचिव श्री के.पी सिंह, डॉ.रामचंद्र समेत अनेक वैज्ञानिकों व साहित्यकारों ने हिंदी भाषा के उत्थान व प्रगति के लिए अपने विचार प्रकट किए व सुझाव दिए। 

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