यू पी का सीएम कौन : दुविधा या मुश्किल ?

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मिडिया जगत ने उछाले छह नाम 

किसी अन्य के सामने आने की भी सम्भावना 

नई दिल्ली : यह राजनीतिक विडंबना ही है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के चार दिन बाद भी उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री कौन होगा , यह अभी तक तय नहीं हो पाया है। अगर किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिले तो यह दुविधा स्वाभाविक है लेकिन इस बार भारतीय जनता पार्टी के पास प्रचंड बहुमत है और बड़ी मजबूती के साथ प्रदेश में सरकार बनाने जा रही हैं। हालत यह है कि देश के सभी राजनीतिक विश्लेषक अपना अपना अनुमान लोगों के समक्ष रक्ष रहे हैं लेकिन पार्टी की और से स्थिति साफ़ नहीं हो पाई है.

जाहिर है यह अनुमान लगाना तब तक जारी रहेगा जब तक कि किसी नाम का ऐलान नहीं हो जाए. अधिकतर राजनीतिक भविष्यवेत्ता घूम फिर कर कुछ ही नाम पर आ जाते हैं लेकिन इस बात से भी आशंकित हैं कि पीएम नरेंद्र मोदी एवं अमित शाह की जोड़ी किसी और नाम का ऐलान कर सबको चकमा नहीं दे दे.  बहरहाल उत्तर प्रदेश व दिल्ली के बीच कई कद्दावर और चर्चित चेहरों के नाम चल रहे हैं.

देश के सभी प्रमुख अखबार, इलेक्ट्रोनिक मिडिया एवं न्यूज पोर्टल उत्तर प्रदेश के सीएम की रेस में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य, केंद्रीय रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा, सांसद योगी आदित्यनाथ, लखनऊ के मेयर और भाजपा नेता दिनेश शर्मा और भाजपा के राष्ट्रीय सचिव श्रीकांत शर्मा और आठ बार के विधायक सुरेश खन्ना के नाम के इर्दगिर्द ही चक्कर लगा रहे हैं. सभी इनमें से हो किसी को आगे तो किसी को पीछे बता रहे हैं लेकिन भाजपा के शीर्ष नेताओं की किस नाम पर मुहर लगेगी कहन बेहद मुश्किल है : 

केशव प्रसाद मौर्य

सीएम की रेस में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य को मिडिया जगत सबसे आगे बता रहे है। कहा यह जा रहा है कि पार्टी  आलाकमान चाहते है कि उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री साफ-सुथरी छवि का शख्स हो जो प्रदेश से भी जुड़ा हो। इन्हें प्रदेश की सियासत के हिसाब से सीएम पद के दावेदारों में सबसे फिट बताया जा रहा हैं। इस बात के संकेत इससे भी मिले हैं कि केशव प्रसाद को चुनाव से ठीक पहले प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था। ये संघ से जुड़े रहे हैं और विवादों से दूर रहे हैं। पार्टी की प्रदेश में जिस वोट बैंक पर नजर थी केशव मौर्य उसी से आते हैं। वह पूर्वांचल से भी हैं जो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मुख्य फोकस रहा है।ये सांसद एवं विधायक दोनों रहे हैं. इससे इनकी दावेदारी मजबूत बतायी जा रही है। 

श्रीकांत शर्मा

चुनाव बाद से अचानक भाजपा के राष्ट्रीय सचिव श्रीकांत शर्मा को भी सीएम पद का दावेदार माना जाने लगा है। इनकी साफ छवि इनके हक़ में है बावजूद इसके की ये पहली बार चुनाव लड़े और एक लाख से ज्यादा मतों से चुनाव जीते है। मिडिया जगत की और से कहा जा रहा है कि वृंदावन से चुनाव लड़ने वाले शर्मा  भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और अरुण जेटली के  करीबी हैं और उन्हें इसका फायदा मिल सकता है। किसी प्रकार के विवाद से परे श्रीकांत शर्मा सीएम पद के लिए योग्य माने जा रहे हैं।

योगी आदित्यनाथ

यह जग जाहिर है कि पूर्वांचल में भाजपा के वरिष्ठ नेता और गोरखपुर से सांसद योगी आदित्यनाथ का दबदबा है । पूर्वांचल के साथ साथ पश्चिमी यूपी में भी ये पार्टी के स्टार प्रचारक रहे और बेहद तेज तर्रार माने जाते हैं। मिडिया में चर्चा जोरों पर है कि’ उन्होंने सबसे ज्यादा चुनावी रैलियां कीं और वे वोट जुटाने में कामयाब भी रहे। अब उन्हें सीएम पद का प्रमुख  दावेदार बताया जा रहा हैं। ध्यान देने वाली बात यह है कि चुनाव से पहले भी उन्हें सीएम उम्मीदवार घोषित करने की मांग उठी थी। हालांकि तब आदित्यनाथ ने खुद को सीएम पद की रेस से बाहर बताया था।

मनोज सिन्हा

मिडिया की ओर से यूपी के सीएम के दावेदारों में एक नाम केंद्रीय रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा का नाम भी प्रमुखता से उछाला जा रहा है। कहा जा रहा है कि पूर्वांचल से आने वाले सिन्हा के कामकाज की तारीफ खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कर चुके हैं. यह भी तर्क दिया जा रहा है कि पूर्वांचल में उनका खासा प्रभाव है। उनकी दूसरी बड़ी खासियत यह है की वे संघ से जुड़े रहे हैं. यह भी दावा किया जा रहा है कि संघ के आशीर्वाद से ही उन्हें मंत्री बनाया गया था।

 

सुरेश कुमार खन्ना

सीएम पद के दावेदारों में पांचवां नाम सुरेश कुमार खन्ना का लिया जा रहा है . श्री खन्ना शाहजहांपुर विधानसभा क्षेत्र से लगातार 8वीं बार जीते हैं। सुरेश कुमार खन्ना को 1 लाख 7 हजार 34 वोट मिले हैं। उन्होंने सपा प्रत्याशी तनवीर खान जो मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के बेहद करीबी माने जाते हैं को 19203 वोटों से हराया। इन तर्क को उनके पक्ष में होना बताया जा रहा है. 

 

दिनेश शर्मा

छठे उम्मीदवार के रूप में लखनऊ के मेयर और भाजपा नेता दिनेश शर्मा भी शामिल किये जा रहे हैं. कहा यह जा रहा है कि  उन्हें बड़ी जिम्मेदारियां मिलती रही हैं। चाहे पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाना हो या फिर गुजरात का पार्टी प्रभारी चुनना। तर्क यह दिया गया है कि 2014 में राष्ट्रीय सदस्यता प्रभारी बनाया गया था और उन्होंने भाजपा को विश्व की सबसे बड़ी पार्टी बनवा दिया। चर्चा यह है कि 2014 में राजनाथ सिंह को जब लखनऊ से उम्मीदवार बनाया गया तो दिनेश शर्मा ने अपनी दावेदारी वापस ले ली थी। हो सकता है उन्हें इस बात का पुरस्कार दिया जाए . 

Suvash Chandra Choudhary

Editor-in-Chief

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