अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 10 को : मो आरिफ़

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यूनुस अलवी

मेवात:  आने वाली 10 तारीख को हरियाणा सरकार के साथ मिलकर नूह के ई दिशा हाल में अंतराष्टीय महिला दिवस मनाया जायेगा जिसमे मेवात विकास अभिकरण व् अन्य सामाजिक संस्थाओं के साथ काम करने वाली महिलाओं , आंगनवाड़ी , आशा वर्कर व् मेवात की पढ़ी लिखी महिलाओं को बुलाया जा रहा है ताकि समाज में एक  महिलाओं की शिक्षा और उनके अधिकारों के बारे में बजबूत जानकारी दी जा सके ।
आज का समय बदलता समय है इस में डिग्निटी इंडिया और हरियाणा कला परिषद् व् एकरा संस्था नूह के ई दिशा हाल में आने वाली 10 तारिक को ये प्रोग्राम कर रही है ।
 
ताकि महिलाओं के साथ कही कोई जाजती न हो और समाज में उन्हें भी बराबरी का हक़ मिल सके ।भारतीय संस्कृति में नारी के सम्मान को बहुत महत्व दिया गया है। संस्कृत में एक श्लोक है- ‘यस्य पूज्यंते नार्यस्तु तत्र रमन्ते देवता:। अर्थात्, जहां नारी की पूजा होती है, वहां देवता निवास करते हैं। किंतु वर्तमान में जो हालात दिखाई देते हैं, उसमें नारी का हर जगह अपमान होता चला जा रहा है। उसे ‘भोग की वस्तु’ समझकर आदमी ‘अपने तरीके’ से ‘इस्तेमाल’ कर रहा है। यह बेहद चिंताजनक बात है। लेकिन हमारी संस्कृति को बनाए रखते हुए नारी का सम्मान कैसे किय जाए, इस पर विचार करना आवश्यक है । हर साल हम 8 मार्च को विश्व की प्रत्येक महिला के सम्मान में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाते हैं। लेकिन महिला दिवस मनाए जाने का इतिहास हर कोई नहीं जानता।

जानिए महिला दिवस को इतिहास के झरोखों से – 

 
8 मार्च को मनाए जाने वाले अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर सम्पूर्ण विश्व की महिलाएं देश, जात-पात, भाषा, राजनीतिक, सांस्कृतिक भेदभाव से परे एकजुट होकर इस दिन को मनाती हैं। साथ ही पुरुष वर्ग भी इस दिन को महिलाओं के सम्मान में समर्पित करता है । दरअसल इतिहास के अनुसार समानाधिकार की यह लड़ाई आम महिलाओं द्वारा शुरू की गई थी। प्राचीन ग्रीस में लीसिसट्राटा नाम की एक महिला ने फ्रेंच क्रांति के दौरान युद्ध समाप्ति की मांग रखते हुए इस आंदोलन की शुरूआत की, फारसी महिलाओं के एक समूह ने वरसेल्स में इस दिन एक मोर्चा निकाला, इस मोर्चे का उद्देश्य युद्ध की वजह से महिलाओं पर बढ़ते हुए अत्याचार को रोकना था।
 
सन 1909 में सोशलिस्ट पार्टी ऑफ अमेरिका द्वारा पहली बार पूरे अमेरिका में 28 फरवरी को महिला दिवस मनाया गया। सन 1910 में सोशलिस्ट इंटरनेशनल द्वारा कोपनहेगन में महिला दिवस की स्थापना हुई और 1911 में ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, जर्मनी और स्विटजरलैंड में लाखों महिलाओं द्वारा रैली निकाली गई। मताधिकार, सरकारी कार्यकारिणी में जगह, नौकरी में भेदभाव को खत्म करने जैसी कई मुद्दों की मांग को लेकर इस का आयोजन किया गया था। 1913-14 प्रथम विश्व युद्ध के दौरान, रूसी महिलाओं द्वारा पहली बार शांति की स्थापना के लिए फरवरी माह के अंतिम रविवार को महिला दिवस मनाया गया।
 
 यूरोप भर में भी युद्ध के खिलाफ प्रदर्शन हुए। 1917 तक विश्व युद्ध में रूस के 2 लाख से ज्यादा सैनिक मारे गए, रूसी महिलाओं ने फिर रोटी और शांति के लिए इस दिन हड़ताल की। हालांकि राजनेता इस आंदोलन के खिलाफ थे, फिर भी महिलाओं ने एक नहीं सुनी और अपना आंदोलन जारी रखा और इसके फलस्वरूप रूस के जार को अपनी गद्दी छोड़नी पड़ी साथ ही सरकार को महिलाओं को वोट देने के अधिकार की घोषणा भी करनी पड़ी। 
 
एकरा संस्था और डिग्निटी हमेशा से पाने स्तर पर भी  महिला दिवस के प्रोग्राम आयोजित करती रही है ताकि समाज में जागरूकता आ सके और समाज को एक नई दिशा मिल सके ।
 
इस प्रोग्राम में चेयरमैनशीप होगी मेवात के डीसी मनीराम शर्मा की , मुख्य अतिथि के तौर पर डॉ शाहिद सिद्दीकी अंतराष्टीय ह्यूमन राईट जॉर्नलिस्ट ( कर्मवीर चक्र और कर्मवीर पुरुषकार विजेता ), गेस्ट ऑफ़ हॉनर जाहिद हुसैन चेयरमैन प्रदेश कार्यकारणी सदस्य बीजेपी, विशेष मेहमान मोहम्दी बेगम जिला पार्षद व् मेवात की पहली पोस्ट ग्रेजुएट, वरिष्ठ अधिवक्ता ताहिर हुसैन सिकरावा व् अन्य समाज के गणमान्य लोगो को स्वागत है ।

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