राज्यपाल से मिले पन्नीरसेल्वम व शशिकला : दावेदारी पेश

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दोनों के बीच आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू 

नई दिल्ली: दक्षिण भारत के राज्य तमिलनाडु की राजनीति में अम्मा के निधन के बाद बड़ा सियासी भूचाल पैदा हो गया है. जयललिता की पार्टी में सत्ता का संघर्ष चरम पर पहुँच गया है. विधानसभा में शक्ति परीक्षण के लिए पन्नीरसेल्वम व शशिकला दोनों अपना-अपना दावा कर रहे हैं।

बताया जाता है कि गुरुवार को देर शाम पन्नीरसेल्वम तमिलनाडु के राज्यपाल विद्यासागर राव से मिलने राजभवन पहुंचे और अपना पक्ष रखा। सूत्रों का कहना है कि लगभग 20 मिनट चली मुलाक़ात के बाद शशिकला अपने साथ समर्थक विधायकों की लिस्ट लेकर राज्यपाल से मिलने पहुंची और सरकार बनाने का दावा पेश किया है.

पनीरसेल्वम और राज्यपाल के बीच हई भेंट की पुष्टि तो हुयी है लेकिन दोनों के बीच क्या बातचीत हुई इसका खुलासा नहीं हो पाया.

दूसरी तरफ पनीरसेल्वम ने यह कहा है कि यदि जरूरत हुई तो वह मुख्यमंत्री के पद से अपना इस्तीफा वापस ले लेंगे. उल्लेखनीय है कि उन्होंने पिछले रविवार को इस्तीफा दे दिया था.

उन्होंने तब शशिकला के अन्नाद्रमुक विधायक दल की नेता चुने जाने के बाद निजी कारणों का हवाला देते हुए सीएम पद छोड़ने की पेशकश की थी.  लेकिन अचानक सात फरवरी को उन्होंने बगावत करने का संकेत दिया और आरोप लगाया था कि शशिकला के मुख्यमंत्री बनने के लिए उन्हें इस पद से हटने के लिए बाध्य किया गया.

 

अन्नाद्रमुक महासचिव वी के शशिकला पर हमला तेज करते हुए तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ओ पनीरसेल्वम ने आरोप लगाया कि उन्होंने दिवंगत जयललिता के साथ विश्वासघात किया. साथ यह भी  कहा है कि अम्मा के पोएस गार्डेन निवास को स्मारक घोषित कर दिया जाना चाहिए.

अपने को विश्वासघाती कहे जाने पर पलटवार करते हुए पनीरसेल्वम ने कहा कि ‘वेदा निलयम’ पोएस गार्डन निवास से जयललिता ने जिन लोगों को 2011 में निष्कासित कर दिया था, उन्हें शामिल कर शशिकला ने अम्मा के साथ विश्वासघात किया है । उन्होंने कहा कि जयललिता के निवास, जहां शशिकला अब भी रह रही हैं, को स्मारक घोषित किया जाना चाहिए। उनके निजी सामान की सुरक्षा की जानी चाहिए।

 

पनीरसेल्वम ने यहां तक कहा है कि उसे स्मारक घोषित करने के संघर्ष की दिशा में यह पहला कदम है. अपने समर्थकों के बीच अन्नाद्रमुक के प्रीसिडयम के अध्यक्ष ई मधुसूदन का स्वागत करते हुए उन्होंने दावा किया कि निष्कासन के बाद पार्टी में फिर से वापस लिये जाने पर उन्होंने (शशिकला ने) जयललिता को कथित रूप से जो पत्र लिखा था, उसमें उन्होंने यह झूठी घोषणा की कि उन्होंने अम्मा के साथ विश्वासघात करने की बात सोची तक नहीं थी।

 

ई मधुसूदन शशिकला को मुख्यमंत्री बनाने के विरूद्ध हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि शशिकला कह रही हैं कि मैंने विश्वासघात किया. किसने विश्वासघात किया? वर्ष 2012 में अम्मा को उनके द्वारा लिखा गया पत्र ही बताएगा कि किसने (अम्मा एवं पार्टी के साथ) विश्वासघात किया है.

 

अपने समर्थकों के सामने यह पत्र पढ़ते हुए पनीरसेल्वम ने दावा किया कि शशिकला ने खुद ही माना कि ‘उनके रिश्तेदारों एवं मित्रों ने जो कुछ किया, वह अक्षम्य है’ और ‘खुल्लमखुल्ला विश्वासघात’ है। पन्नीरसेल्वम ने कहा कि ऐसे में क्या उन लोगों को दिवंगत मुख्यमंत्री के घर में शामिल कर उन्होंने विश्वासघात नहीं किया है। उन्होंने कहा, ‘लोग उन्हें सबक सिखा देंगे।’

 

मुख्यमंत्री ने दावा किया कि शशिकला ने तब कहा था कि वह सार्वजनिक जीवन में नहीं उतरना चाहती, उन्हें सत्ता या पद में रूचि नहीं है, लेकिन अब वह नौटंकी कर रही हैं और सत्ता हथियाने की कोशिश कर रही हैं।

 

उन्होंने कहा, ‘मैं अम्मा के गुजर जाने के बाद पार्टी के हितों को ध्यान में रखकर ही मुख्यमंत्री बनने पर सहमत हुआ।’ उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री का पद ग्रहण करने के दो दिन बाद परिस्थितियां बदलने लगीं , जब उनसे कहा गया कि शशिकला को महासचिव बनना चाहिए तो मैंने कहा कि अकस्मात यह बदलाव क्यों।

 

पनीरसेल्वम ने कहा, ‘मुझसे कहा गया कि वह एकजुटता के साथ पार्टी को आगे ले जाने की स्थिति में होंगी और मैंने भी यह विश्वास कर लिया।’ उन्होंने कहा ,लेकिन पार्टी प्रमुख का पदभार ग्रहण करने के बाद उन्होंने पार्टी के साथ विश्वासघात करने के इरादे से मुख्यमंत्री की कुर्सी भी हथियाना चाहा।

 

उन्होंने कहा कि ‘विश्वासघात का ड्रामा’ करने और ‘सत्ता हथियाने के लिए’ शशिकला ने मंत्रियों से उनके विरूद्ध आवाज उठावायी और मुख्यमंत्री की कुर्सी पर उन्हें आसीन करने के पक्ष में आवाज बुलंद करवायी। ऐसा करके शशिकला ने मुख्यमंत्री का पद छोटा बना दिया।

 

पनीरसेल्वम ने कहा, ‘हमने किसी को नहीं खरीदा है । वे खुद ही हमें समर्थन दे रहे हैं… कई विधायकों ने साथ आने का वादा किया है। मधुसूदन इस संघर्ष की अगुवाई करने के लिए यहां आए हैं।’ मधुसूदन ने कहा, ‘‘लोग शशिकला को पसंद नहीं करते।’’ उन्होंने कहा कि लोग उनसे पूछ रहे हैं कि वह हाथ जोड़े उनके (शशिकला के) सामने क्यों खड़े हैं।

 

उन्होंने कहा, ‘(शशिकला के साथ जाने को लेकर) माफी मांगने के लिए मैं पनीरसेल्वम के पास आया हूं।’ शशिकला से अलग होने को ‘आरा पोरात्तम’ ( धर्म जैसे मूल्यों पर आधारित संघर्ष) करार देते हुए मधुसूदन ने कहा कि जयललिता के निधन के बाद दरसअल उनका (मधुसूदन का) नाम पार्टी के शीर्ष महासचिव पद के लिए प्रस्तावित किया गया था।

 

पनीरसेल्वम के प्रति समर्थन का वादा करते हुए पूर्व मंत्री नाथम आर विश्वनाथन ने कहा कि अम्मा ने उन्हें नेता के रूप में पहचान दी। उन्होंने कहा कि इसी तरह मधुसूदन को जयललिता ने ही वरिष्ठ पार्टी पद पर नियुक्त किया था और वे परिवार के वर्चस्व के विरूद्ध संघर्ष में पनीरसेल्वम के साथ हैं।

 

अन्नाद्रमुक के राज्यसभा सदस्य वी मैत्रेयन ने कहा कि जो मौन ध्यान के साथ शुरू हुआ था वह अब एक क्रांति का वाहक बन गया है। उन्होंने पनीरसेल्वम को जयललिता का उत्तराधिकारी बताया। यह भेंट ऐसे वक्त में हुई है जब पनीरसेल्वम कह रहे हैं कि यदि जरूरत हुई तो वह मुख्यमंत्री के पद से अपना इस्तीफा वापस ले लेंगे, जो उन्होंने पिछले रविवार को दिया था।

 

उन्होंने शशिकला के अन्नाद्रमुक विधायक दल की नेता चुने जाने के बाद निजी कारणों का हवाला देकर मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ने की पेशकश की थी ताकि उनके लिए इस शीर्ष पद का मार्ग प्रशस्त हो।

वहीं राज्यपाल से मिलने से पहले शशिकला एआईएडीएमके के वरिष्ठ नेताओं के साथ पोएस गार्डन में मीटिंग की। शशिकला का दावा है कि 134 में 132 विधायक उनके साथ हैं वहीं पन्नीरसेल्वम 50 विधायकों के समर्थन का दावा कर रहे हैं, अब राज्यपाल को फैसला करना है।

पन्नीरसेल्वम ने शशिकला गुट पर विधायकों का अपहरण कर उन्हें बंधक बनाने का आरोप लगाया है। गौरतलब है कि अन्नाद्रमुक के शशिकला धड़े से जुड़े नेता चाहते हैं कि शपथ ग्रहण समारोह फौरन हो, शशिकला कैंप के नेता थंबीदुरई ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात की और अपना पक्ष रखा है।

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