तंबाकू उत्पादेां की रोकथाम जरूरी : पुलिस कमिश्नर

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सामाजिक सरोकारों पर खरी उतरती गुड़गांव पुलिस

police-commissioner-aधूम्रपान निषेध पोस्टर का भी विमोचन

गुड़गांव 12 सिंतबर। पुलिस कमीश्नर संदीप खिरवार ने कहा है कि सार्वजनिक स्थानों पर कोई भी तंबाकू पदार्थेां का प्रयोग नही करें, इस बात को पुलिसथानाधिकारीसुनिश्चिित कर लें। वे संबध हैल्थ फाउंडेशन व फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीटयूट की ओर से कमीश्नरेट सभागार में पुलिस कोटपा (सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पादअधिनियम 2003) पर आयोजित कार्यकम केा संबोधित कर रहे थे।

उन्होने कहा कि तंबाकू व अन्य धूम्रपान उत्पादों की प्रभावी रोकथाम के लिए पुलिस के साथ साथ आमजन को व्यक्तिगत रुप से एक मंच पर आकर पहल करने कीमहती आवश्यकता है। तभी हम स्वस्थ व स्वच्छ गुड़गांव को एक अंर्तराष्ट्रीय स्तर की पहचान दिलाने में सफल हो पाएंगे। उन्होने समस्त पुलिसथानाधिकारियों सेआव्हान किया कि वे अपने अपने क्षेत्र में कोटपा में चालान को नियमित रुप से जारी रखे, ताकि इनकी इस पर नियंत्रण संभव हो सके। इससे सार्वजनिक स्थलों वशिक्षण संस्थाअेां के आसपास भी स्वच्छ माहौल बन सकेगा। इस अवसर पर संबध हैल्थ फाउडेशन की और से बनाए गए धूम्रपान निषेध पोस्टर का भी विमोचन किया।

पुलिस कमीश्नर ने कहा कि गुड़गांव के 23 पुलिसथानों ने कोटपा का प्रभावी रुप से क्रियान्वयन किया है। इसमें सेक्टर 29 , डीएलएफ फेज 2,सेक्टर 56 व सेक्टर 10 केपुलिसथानाधिकारियेां ने इसे सकारात्मक रुप से लेते हुए सर्वाधिक चालान की कार्यवाही कर जुर्माना राशि वसूली है। जिसमें सेे चार पुलिस स्टेशन ने कोटपा 2003 मेंकार्यवाही कर जुमर्ना वसूलने में अव्वल रहे है, जिस पर थानाधिकारियों को स्मृतिचिन्ह देकर सम्मानित किया गया। इस पोस्टर को समस्त पुलिस स्टेशनों वसार्वजनिक स्थानेां पर चस्पा किया जाएगा।

उन्होने बताया कि हरियाणा में प्रतिवर्ष 14800 लोग बेमौत मर रहंे है। वंही समूचे हरियाणा मे 23.7 प्रतिशत, 43 लाख लोग इन उत्पादों का प्रयेाग किसी न किसी रुपमें करते है। हरियाणा में बच्चे दस वर्ष से कम उम्र में ही तंबाकू उत्पादेां का सेवन शुरु कर देते है, जो कि हम सभी के लिए चिंता का विषय है। वंही वहीं करीब 115 बच्चेप्रतिदिन तंबाकू उत्पादेां के सेवन की शुरुआत करते है। इसलिए गुड़गांव की शिक्षण संस्थाअेां व सार्वजनिक स्थलों केा तंबाकू मुक्त परिसर बनाने के लिए पुलिस व अन्यसहयोगी संस्थाअेंा के साथ मिलकर इस पर काम किया जा रहा है, ताकि देश और दुनियंा में इसे एक रोल माडॅल के रुप में पेश कर सकें।

उन्होेने कहा कि तंबाकू के प्रयोग को रोकने के लिए बनने कोटपा कानून को पुलिस ने प्राथमिकता के आधार पर लिया और अभी सभी पुलिस स्टेशन इस पर काम करनेलगें है वहीं अब यह अभियान पूरे शहर को तंबाकू मुक्त बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। इसके लिए पुलिस ने एसीपी, एसएचओ स्तर पर बैठकों का आयोजन करसभी को कोटपा से अवगत करवाया। सभी पुलिस स्टेशन पर पहले बैठक में केाटपा कानून की तकनीकी जानकारी देकर चालान शुरु किये गए और इसकी पालना न करनेपर जुर्माना भी लगाया जा रहा है। उन्होने कहा कि कोटपा अधिनियम की धारा 4 व 6 के तहत समस्त शिक्षण संस्थाअेंा के आसपास कार्यवाही की जा रही है, ताकियुवाअेां को इससे बचाया जा सके।

पुलिस के द्वारा शिक्षण संस्थाअेंा सहित समस्त शापिंग माल, व्यवसायिक दुकानेां व सार्वजनिक स्थलों केा तंबाकू मुक्त बनाने के लिए काम किया जा रहा है, जिसकेतहत पूरे शहर को तंबाकू मुक्त बनाकर एक रोल माडॅल के रुप में पेश किया जायेगा। गुड़गांव एक अंतरराष्ट्रीय शहर है और सभी वैश्विक शहरों में सख्त रूप से तंबाकूविरोधी कानूनों को लागू किया जाता है।

सहायक पुलिस आयुक्त हवा सिंह ने कहा कि संबध हैल्थ फाउंडेशन की और से पुलिस के लिए बनाई गई कोटपा मार्गदर्शिका व गाईडलाइन बेहद उपयेागी साबित हो रहीहै। इस कानून से संबधित जानकारियेंा को साधारण भाषा में बताया गया है। कोटपा अधिनियम गाइडलाइन से पुलिस अधिकारियेां व बीट अधिकारियेां के लिए बेहदलाभप्रद साबित हो रही है। सभी पुलिसथानाधिकारियेंा को इसके लिए प्रशिक्षित किया गया है। सभी के सामूहिक प्रयास से ही तंबाकू मुक्त गुड़गांव स्वस्थ गुड़गांव बनपायेगा।

फोर्टिस फाउडेंशन के हैड जसवीर सिंह बतातें है कि तंबाकू उत्पादों के दुष्प्रभाव के बारे में अभी भी जागरुकता का अभाव है। इसके लिए नियमित रुप से आमजनता कोजागरुक करना चाहिए। फोर्टिस  कोटपा कानून को प्रभावी रुप से लागू कराने में अह्म भूमिका निभा रहा है। कोटपा कानून के लागू हेाने से हम हम आने वाली पीढ़ी कोइससे बचा सकतें है।

फोर्टिस मैमोरियल रिसर्च इंस्टीटयूट के सिमरदीप गिल ने कहा कि असंक्रामक रोगों का मुख्य कारण तंबाकू है। समुदाय के बेहतर स्वास्थ्य के लिए हमें तंबाकू उत्पादेां केप्रयोग में कमी लाना बेहद जरुरी है। इसलिए फोर्टिस पुलिस व अन्य संस्थाअेां का सहयोग लेकर इस पर काम कर रही है।

गिल ने कहा कि सभी लेाग बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण से चिंतित है लेकिन इसका सबसे बड़ा कारण तंबाकू भी है। इस मुददे पर काम करने की जरुरत है। आधुनिकता कीदैाड़ में अब युवाअेंा में स्मोकिंग का क्रेज भी बढ़ता जा रहा है। फोर्टिस इस तरह के सामाजिक कार्यों में अपनी भूमिका निभाता है। इसलिए तंबाकू मुक्त अभियान जैसेकार्य में सभी को जुड़ना चाहिए ताकि युवाअेंा को इस जहर से बचाया सकें।

संबध हैल्थ फाउंडेशन के ट्रस्टी संजय सेठ ने कहा कि सभी आधुनिक और प्रगतिशील राज्यों ने अपने नागरिकों के लिए एक स्वस्थ वातावरण प्रदान करने के लिएकोटपा कानून को कड़ाई से लागू किया है। पुलिस विभाग को तकनीकी रुप से सभी जानकारी उपलब्ध करवाई जा रही है।

उन्होेने कहा कि जिसके तहत सिगरेट और अन्य तम्बाकू उत्पाद अधिनियम, 2003, के तहत सरकारी कार्यालयों, मनोरंजन केंद्र, पुस्तकालयों, अस्पतालों, स्टेडियमों,होटल, शॉपिंग मॉल, कॉफी हाउस, निजी कार्यालयों, अदालत परिसरों, रेलवे स्टेशनों, बस सभागारों, सार्वजनिक परिवहन, शैक्षणिक संस्थानों, चाय-स्टालों, सड़क केकिनारे भोजनालयों और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर कार्यवाही कर जुर्माने की राशि वसूली गई। वंही लोगों को इसके प्रति जागरुक भी किया गया। इस दौरान जिन लोगोंको जुर्माने की राशि से दंडित किया गया उन्होने भी इसे सराहा और प्रण लिया की वे कभी सार्वजनिक स्थानेां पर तंबाकू उत्पादों का प्रयोग नहीं करेंगे।

उन्होेने बताया कि भारत में 5500 बच्चों को बच्चे हर दिन तंबाकू सेवन की शुरुआत करते हैं और वयस्क होने की आयु से पहले ही तम्बाकू के आदी हो जाते हैं। तंबाकूउपयोगकर्ताओं में से  केवल 3 प्रतिशत ही इस लत को छोड़ने  में सक्षम हैं। इसीलिए यह आवश्यक है की हम बच्चों को तम्बाकू सेवन की पहल करने से ही रोके।

 

इसके बाद उपस्थित सभी पुलिस अधिकारियेंा को अपनी दर्द भरी दास्ंता बतातें हुए 67 वर्षीय माया चतुर्वेदी ने कहा कि 40 साल पहले पान मसाले का स्वाद और उसमेंजर्दे की महक ने अपनी और आकर्षित किया। इसके बाद इस स्वाद का पता तब चला जब बहुत देर हो गई। दिल्ली में चिकित्सक को दिखाने पर  मुंह का कैंसर कीजानकारी मिली और यंहा उसका इलाज उस समय नही हो पाया। पहली बार मुंबई में 5 सर्जरी एक साथ करानी पड़ी और 3 दिल्ली में तब जाकर अपनी जान बचा पाई।हालांकि इस सर्जरी से मुंह का आकार भी बदल गया। जिसके चलते सामाजिक, आर्थिक,मानसिक परेशानियों का सामना करना पड़ा। इससे न केवल मेरा बल्कि मेरे पूरेपरिवार को नुकसान का सामना करना पड़ा है।

माया बतातीं है कि अब 20 सिंतंबर को दिल्ली में वापिस से मेरी सर्जरी होने वाली है। इसलिए खासतौर पर युवाअेां को बचाने की पहल पुलिस कर सकती है, आपकेप्रयास से किसी को भी मेरे जैसे हालातेंा का सामना नही करना पड़ेगा।

24 वर्षीय साफटवेयर इंजिनियर कनव सरीन बतातें है कि अपने करियर की शुरुआत में सीनियर्स से सिगरेट पीना सीखा और हार्ट की परेशानी का सामना कर रहा हूं।युवाअेां में सिगरेट का शुरुआत सिर्फ एक आकर्षण है जो जिंदगी

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