नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में सोमवार को जीएसटी परिषद की प्रक्रिया, गठन और कार्यप्रणाली को मंजूरी दी गई । हल ही में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इस बिल को मंजूरी दी थी और उम्मीद जताई थी कि सरकार जल्दी ही जीएसटी परिषद का गठन करेगी और अप्रत्यक्ष करों के गहन असर को कम करेगी।
उल्लेखनीय है कि परिषद इस नई अप्रत्यक्ष कर प्रणाली के लिये कर की दर तथा अन्य मुद्दों पर फैसला करने को अधिकृत होगी। खबर है कि वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में इस परिषद का गठन 11 नवंबर तक किया जाएगा। परिषद में सभी 29 राज्यों और दो संघशासित प्रदेशों के प्रतिनिधि होंगे।
परिषद नई अप्रत्यक्ष कर प्रणाली उसकी दर, उसमें दी जाने वाली छूट, इसकी सीमा पर फैसला करेगी। इस नई कर प्रणाली के एक अप्रैल 2017 से अमल में आने की उम्मीद है। सरकार ने जीएसटी परिषद के गठन की प्रकिया शुरू करने के लिये 12 सितंबर की तिथि अधिसूचित की है और यह प्रक्रिया 60 दिन के भीतर पूरी की जानी है।
जीएसटी परिषद के अध्यक्ष केंद्रीय वित्त मंत्री होंगे और इसमें सदस्य के तौर पर वित्त राज्य मंत्री के अलावा राज्यों के वित्त मंत्री शामिल होंगे। जीएसटी कानून के अनुसार केंद्र का इसमें एक तिहाई मत होगा जबकि राज्यों का इसमें दो-तिहाई दखल होगा। प्रस्ताव स्वीकृत होने के लिए तीन-चौथाई बहुमत जरूरी होगा। जीएसटी परिषद गठन की प्रक्रिया को मंजूरी उस दिन मिली है जिस दिन जीएसटी से संबंधित संविधान संशोधन कानून प्रभाव में आ गया।
संसद ने आठ अगस्त को जीएसटी संविधान संशोधन विधेयक पारित कर दिया था जिसके बाद यह राज्यों में अनुमोदन के लिए गया। संविधान संशोधन विधेयक होने की वजह से इस विधेयक को 29 राज्यों और दो संघशासित प्रदेशों में से कम से कम 50 प्रतिशत विधान सभाओं के अनुमोदन की जरूरत थी। विधेयक को 19 राज्यों में अनुमोदन प्राप्त होने के बाद राष्ट्रपति सचिवालय भेजा गया। विधेयक का सबसे पहले अनुमोदन भाजपा शासित असम ने किया।