काठमांडो: नेपाल के प्रधानमंत्री प्रचंड ने कहा है कि वह इस सप्ताह प्रस्तावित अपनी भारत यात्रा के दौरान किसी विवादित समझौते पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे। उन्होंने स्पष्ट किया कि वह दोनों देशों के बीच परस्पर विश्वास की मजबूत नींव रखेंगे। उनके पूर्ववर्ती के शासन के दौरान मधेशी समुदाय के आंदोलन के चलते दोनों देशों के संबंधों में खटास आ गयी थी।
चीन की ओर नरम रूख रखने वाले के. पी. शर्मा ओली के इस्तीफे के बाद चार अगस्त को दूसरी बार नेपाल के प्रधानमंत्री बने प्रचंड ने कहा कि वह 15 सितंबर से शुरू हो रही चार दिवसीय यात्रा को अवसर के रूप में ले रहे हैं। संसद की अंतरराष्ट्रीय संबंध और श्रम समिति से उन्होंने कल कहा, मुझे विश्वास है कि यात्रा से संबंधों में हाल ही में आयी खटास दूर होगी। संबंध सामान्य होंगे। परस्पर विश्वास की मजबूत नींव भी पड़ेगी। बाद में नेपाल अंतरराष्ट्रीय संबंध संस्थान की ओर से भारत-पाक संबंधों पर आयोजित संवाद के दौरान प्रचंड ने कहा कि वह सभी से अनुरोध करेंगे कि बतौर नेता उन्हें यह जोखिम लेने दें। प्रधानमंत्री प्रचंड ने कहा कि एक नेता को जोखिम लेने की छूट होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि वह यात्रा के दौरान भारत के साथ किसी विवादित समझौते पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे।
उन्होंने ओली सरकार पर पहाड़ी और मैदानी भाग के लोगों के बीच दरार पैदा करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय एकता को मजबूत बनाए बगैर देश समृद्ध नहीं हो सकता है। प्रचंड लंबे समय से चीन-नेपाल-भारत के बीच त्रिपक्षीय सहयोग का विचार रखते रहे हैं।