अब हर वर्ष होगा इस तरह के मेले का आयोजन
गुरुग्राम। मेला शब्द सुनते ही आमतौर पर मन में मौज-मस्ती के चित्र उभर आते हैं, लेकिन हिंदू आध्यात्मिक एवं सेवा मेले ने मेले की परिभाषा को पूरी तरह से बदल कर रख दिया है। हिंदू आध्यात्मिक एवं सेवा मेले में लोगों को मौज-मस्ती के साथ-साथ आध्यात्मिक, संस्कृति, देश की परंपराएं, प्रकृति को नजदीक से देखने का मौका मिला। इस मेले ने एक नई परंपरा का बीजारोपण कर दिया है। अब हर वर्ष इस मेले का आयोजन होगा और लोगों को इन मेलों के माध्यम से देश की संस्कृति, परंपराओं व आध्यात्म को समझने का मौका मिलेगा।
यह जानकारी देते हुए हिंदू अध्यात्मिक एवं सेवा मेले के अध्यक्ष राकेश अग्रवाल ने बताया कि हर वर्ष लगने वाले इस मेले में विज्ञान, समाज, धार्मिक और सेवा भाव के नए कार्यों को समाज के सामने रखा जाएगा।
समाजिक संस्थाओं ने दिखाया देश में किए जा रहे सेवा कार्यों का दृश्य
भारत का इतिहास सेवा कार्यों से भरा है। हिंदू अध्यात्मिक एवं सेवा मेले के माध्यम से जब निस्वार्थ भाव से समाज के कार्यों में जुटी सामाजिक संस्थाओं को अपने सेवा कार्यों का प्रदर्शित करने का मौका मिला तो यहां पहुंची 263 संस्थाओं ने दिखाया कि देश के करोड़ों गरीबों, मरीजों, जानवरों व जरूरतमंदों की किस तरह सेवा की जा रही है।
सिरसा से आई भाई कन्हेया आश्रम की टीम ने अपने स्टाल के माध्यम से संस्था के सामाजिक कार्यों को दर्शाया है। संस्था के सदस्य नरेश कुमार गोयल ने बताया कि उनकी संस्था बेसहारा लोगों का उपचार करने तथा मंदबुद्धि लोगों को काबिल बनाने के लिए कार्य कर रही है।
गुरुग्राम की ईको लिव संस्था ने देश को स्वच्छ बनाने के अपने प्रयास को दर्शाया है। संस्था की सदस्य विनोद कुमारी ने बताया कि उनकी संस्थाा लोगों को प्रकृति के साथ समन्वय से जीना सिखाती है। संस्था द्वारा प्रकृति संरक्षण, बेकार की वस्तुओं को उपयोग में लाने, वेस्ट मैनेजमेंट के गुर सीखाना है।
जींद जिले से आई यूथ एजुकेशन सोसायटी की किरण गिल ने बताया कि उनकी संस्था मनोरंजन के माध्यम से लोगों को जागरूक करने का काम कर रही है। संस्था द्वारा नाटक, लोग गीत, कविताओं के माध्यम से लोगों को सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ लोगों को जागरूक किया जा रहा है।
अंबाला से आई सक्षम हरियाणा संस्था के सदस्य नरेंद्र बत्रा ने बताया कि उनकी संस्था का मुख्य उद्देश्य प्रांत को अंधतामुक्त बनाना तथा विकलांग लोगों को सक्षम बनाना है। इसके लिए उनकी संस्था जागरूकता कैंपों तथा सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों को नेत्रदान के लिए प्रेरित कर रही है। 2014-15 में 270, 2015-16 में 345 तथा 2016-17 में 258 लोगों को नेत्रदान से नेत्रदान करवाया गया है।
गुरुग्राम की सेवाभारती संस्था की सदस्य शर्मिला ने बताया कि उनकी संस्था महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कार्य कर रही है। इसके लिए महिलाओं को सिलाई-कढ़ाई तथाा हस्तकारिगिरी सिखाई जाती है।
बहादुरगढ़ से आए मोक्ष समिति के सदस्य सुरेश व कृष्ण ने बताया कि उनकी संस्था मंदबुद्धि बच्चों का उपचार करवाने कर उनकी रहन-सहन की व्यवस्था करती है तथा सडक़ पर मरने वाले बेसहारा लोगों का हिंदू रीति-रिवाज से अंतिम संस्कार करना और उनकी अस्थियों को गंगा में विसर्जित करना है।
गौरांग इंस्टीच्यूट फॉर एजुकेशन द्वारा भागवत गीता का प्रचार करने तथा लोगों के आध्यात्मिक स्तर को जांचा जाता है। जीओ गीता संस्था द्वारा गीता के प्रचार-प्रसार के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।
पर्यावरण एवं जीव संरक्षण सभा द्वारा वन्य जीवों के संरक्षण के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। हिमालय परिवार द्वारा हिमालय को बचाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।
शिव नेत्र संस्था द्वारा गर्भवास्था में ही बच्चों में संस्कार भरने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। आरोज्य भारती संस्थाा द्वारा खान-पान की जीवनशैली को सुधारने रसोई को आदर्श रसोई बनाने के लिए लोगों को जागरूक किया जा रहा है। ताकि लोगों को अच्छा स्वास्थ्य दिया जा सके।
निस्वार्थ कदम द्वारा गरीब व जरूरतमंदों को खाने व रहने की व्यवस्था करना, शहर की सफाई करना तथा पंचगव्य से निर्मित उत्पादों को बढ़ावा देना है।
इसके अलावा कई के धार्मिक स्टाल भी मेले में लगे हुए हैं। रामकृष्ण मिशन द्वारा स्वामी विवेकानंद के विचारों का प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। अखिल विश्व गायत्री परिवार शांति कुंज हरिद्वार द्वारा भी अपने स्टाल के माध्यम से लोगों को जीवन जीने की कला से अवगत करवाया जा रहा है।