नई दिल्ली / आणंद : केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने आज गुजरात के आणंद में राष्ट्रीय डेयरी विकासबोर्ड (NDDB) के हीरक जयंती समारोह एवं त्रिभुवन पटेल की जयंती पर 300 करोड़ रूपए की लागत से अनेक किसान कल्याणकारी गतिविधियों का शुभारंभ किया। इस अवसर पर केन्द्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय तथा पंचायती राज मंत्री राजीव रंजव सिंह सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
अपने संबोधन में श्री शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में हाल ही में श्वेत क्रांति 2.0 की SOP जारी की गई है जिसमें प्रधानमंत्री जी द्वारा बताए गई किसान हितोन्मुखी सभी प्रमुख बातों को शामिल किया गया है। उन्होंने कहा कि हम एक लाख नई और मौजूदा डेयरियों को सशक्त करेंगे और इस दूसरी श्वेत क्रांति से मिल्क रूट्स का भी विस्तार होगा।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि त्रिभुवन दास जी एक ऐसे व्यक्तित्व थे जिनके कर्मठ जीवन की व्याख्या शायद ही कोई कर सकता है। त्रिभुवन दास जी ने स्व को त्याग कर देश के गरीब किसानों के सशक्तिकरण के लिए एक अनूठे विचार के साथ काम किया। उन्होंने जीवनपर्यंत स्वयं को अलग रखकर मूल सहकारिता की भावना के साथ देश के हर किसान को जोड़ने का यत्न, प्रयत्न और सफलता प्राप्त की। श्री शाह ने कहा कि त्रिभुवन दास जी के कारण ही देश के 5 करोड़ पशुपालक आज चैन की नींद सोते हैं और आज देश के करोड़ों किसान, विशेषकर महिलाएं, समृद्ध हो रही हैं। त्रिभुवन दास जी ने एक छोटी सी कोऑपरेटिव बनाई जो आज देश के 2 करोड़ किसानों को सहकारिता क्षेत्र के साथ जोड़कर हज़ारों करोड़ रूपए का व्यापार कर रही है।
केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री 1964 में अमूल डेयरी को देखने गए और उन्होंने तय कर लिया कि सिर्फ गुजरात ही नहीं बल्कि पूरे देश के पशुपालकों को इस सफल प्रयोग का फायदा मिलना चाहिए। इसके बाद शास्त्री जी ने NDDB बनाने का निर्णय लिया। उन्होंने कहा कि 60 साल में NDDB ने सहकारिता, देशभर के किसानों और माताओं-बहनों को न सिर्फ सशक्त और संगठित किया बल्कि उन्हें अपने अधिकार के लिए जागृत करने का काम भी किया। उन्होंने कहा कि जब पशुपालन कोऑपरेटिव के माध्यम से होता है तो सिर्फ किसान समृद्ध नहीं होता बल्कि देश के कुपोषित बच्चों के लिए भी काम होता है। अमूल के ज़रिए जो विश्वास खड़ा हुआ है इसने न सिर्फ महिलाओं का सशक्तिकरण किया बल्कि बच्चों को पोषण देकर एक सशक्त नागरिक बनाने की नींव डालने का भी काम किया।
श्री शाह ने कहा कि NDDB ने ग्रामीण क्षेत्र और देश के विकास को गति देने के साथ-साथ कृषि को अत्मनिर्भर बनाने का काम किया। उन्होंने कहा कि त्रिभुवन जी ने NDDBकी नींव रखी थी जो आज देश ही नहीं बल्कि विश्व का बहुत बड़ा संस्थान बन गई है। उन्होंने कहा कि 1987 में ये एक संस्था बना और 1970 से 1996 तक ऑपरेशन फ्लड योजना बनाने और इसे लागू कर श्वेत क्रांति में परिवर्तित करने का काम किया। उन्होंने कहा कि 100 रूपए की शेयर पूंजी से अमूल आज 60 हज़ार करोड़ का सालाना व्यापार कर रहा है। श्री शाह ने कहा कि 1964 में जब लाल बहादुर शास्त्री जी ने NDDB की स्थापना का निर्णय लिया तब किसी को नहीं पता था कि एक दिन यह बीज इतना बड़ा वटवृक्ष बनेगा। NDDB की तरल दूध की बिक्री 427 लाख लीटर प्रति दिन, खरीद 589 लाख लीटर प्रति दिन और राजस्व 344 करोड़ रूपए से बढ़कर 426 करोड़ रूपए तक पहुंच गया है और शुद्ध लाभ 50 करोड़ रूपए है।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि NDDB ने सब्ज़ियों की प्रोसेसिंग शुरू की है जिससे हमारे किसानों द्वारा उत्पादित सब्ज़ियां पूरी दुनिया में जाएंगी और इनका मुनाफा कोऑपरेटिव मॉडल के तहत नीचे तक पहुंचेगा। उन्होंने कहा कि गोबरधन योजना से हमारी भूमि का संरक्षण और संवर्धन हुआ है, उपज बढ़ी है, किसान की समृद्धि बढ़ी है और पर्यावरण भी शुद्ध हो रहा है। गोबर से गैस, खाद बन रहे हैं और कार्बन क्रेडिट का पैसा हमारी माताओं-बहनों को मिल रहा है। श्री शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने दूरदर्शी निर्णय लेकर गोबरधन योजना को ज़मीन पर उतारने का काम किया है। उन्होंने कहा कि NDDB ने 10,000 किसान उत्पाद संगठन (FPOs) भी पंजीकृत किए हैं।
श्री शाह ने कहा कि NDDB की पहल के बाद अब पूरे डेयरी क्षेत्र के सभी संयंत्र भारत में मेक इन इंडिया के तहत बनेंगे। उन्होंने कहा किआज 210 करोड़ रूपए की लागत से मदर डेयरी के फल और सब्जी प्रसंस्करण ईकाई का शिलान्यास हुआ है। इसके साथ ही आज उत्तराखंड के बद्री घी और मदर डेयरी केगिर घी ब्रांड की भी शुरूआत हुई है। उन्होंने कहा कि कोऑपरेटिव के उत्पाद की ब्रांडिग कर उसे बाज़ार में खड़ाकर कॉर्पोरेट के साथ स्पर्धा के लिए तैयार करना ही हमारी सफलता है। आज हमारा अमूल ब्रांड पूरे विश्व में प्रथम स्थान पर है और यह हमारे लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि लद्दाख के एप्रीकॉट, हिमाचल के सेब और मेघालय के अन्नानास के किसानों को भी आजशुरू हुई योजनाओं से फायदा मिलेगा।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि सहकारिता मंत्रालय ने राष्ट्रीय स्तर की तीन नई कोऑपरेटिव संस्थाएं बनाई हैं। इस प्रकार की नई पहल तभीली जा सकती है जब नेतृत्व के मन में किसानों की चिंता होती है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने सहकारिता क्षेत्र में कई पहल की हैं और योजनाएं बनाई हैं। सहकारिता क्षेत्र में लगभग 22 राज्य संघ और231 जिला संघ बने हैं, 28 विपणन डेयरी बनी हैं और 21 दुग्ध उत्पादक कंपनियां काम कर रही हैं।
श्री शाह ने कहा कि मोदी सरकार 2 लाख नई प्राथमिक कृषि ऋण समितियाँ (PACS)बनाने जा रही है जो हमारे सहकारिता के ढांचे को बहुत मज़बूती देगी। उन्होंने कहा कि इस कदम से सहकारिता और सहकारिता क्षेत्र की सभी ईकाईयां मज़बूत होंगी। उन्होंने कहा कि भारत ने 231 मिलियन टन दुग्ध उत्पादन के साथ अमेरिका को पीछे छोड़ दिया है और हम विश्व में पहले स्थान पर है। हमारी दुग्ध उत्पादन की वृद्धि दर 6 फीसदी है जबकि वैश्विक दुग्ध उत्पादन की वृद्धि दर 2 फीसदी है। आज देश में आठ करोड़ ग्रामीण परिवार रोज दुग्ध उत्पादन करते हैं लेकिन इनमें से सिर्फ डेढ़ करोड़ ही सहकारिता क्षेत्र से जुड़े हैं। उन्होंने कहा कि इस बात का सीधा अर्थ है कि बाकी 6.5 करोड़ परिवारों को उचित दाम नहीं मिल रहा है और उनका शोषण हो रहा है। सहकारिता मंत्री ने कहा कि सरकार का काम होगा कि आने वाले समय में दुग्ध उत्पादन से जुड़े हुए सभी 8 करोड़ किसान परिवारों को उनकी मेहनत का पूरा पैसा मिले और वे सभी सहकारिता क्षेत्र से जुड़ सकें।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि सहकारिता को सशक्त करने के अभियान के परिणामस्वरूप 1970 में देश में दूध की उपलब्धता 40 किलोग्राम प्रति व्यक्ति थी, 2011 में 103 किलोग्राम और 2023 में बढ़कर 167 किलोग्राम प्रति व्यक्ति हो गई है। उन्होंने कहा कि विश्व की दूध की औसत प्रति व्यक्ति उपलब्धता 117 किलोग्राम