सूरजकुंड मेले में एंट्री पास को लेकर भाजपा नेताओं की जमकर हुई फजीहत

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अधिकारियों की मनमानी से मीडिया प्रतिनिधि भी वंचित रहे  !

अब नेता करेंगे अधिकारियों के परिवारों व रिश्तेदारों की फोटोग्राफी 

जयशंकर सुमन/ केशव ठाकुर

फरीदाबाद : 31 साल से आयोजित किये जा रहे सूरजकुंड मेले में इस दफा पहली बार एंट्री पास पाने के लिए सत्ता धारी पार्टी भाजपा के बड़े बड़े नेता भी धक्के खा रहे हैं। केवल भाजपा के ब्लाक या जिला स्तर के नेता ही नहीं, बल्कि विधायक, मंत्री व प्रदेश स्तर के प्रमुख राजनेता भी एंट्री पास ना मिलने से मायूस हैं और खुल कर अधिकारियों के खिलाफ भड़ास निकाल रहे हैं. दरअसल हर बार मेले में एंट्री पास जमकर बांटे जाते रहे हैं। यहाँ तैनात अधिकारी भी अपने चहेतों को सैंकड़ों पास गिफ्ट के तौर पर देकर अपना रूतबा दिखाते रहे हैं जबकि आस पास के जिले गुडगाँव, रेवाडी व अबू जिले के अधिकारी भी यहाँ निःशुल्क तफरी करने आते रहे हैं . 

 

 

अब तक  की परम्परा ऐसी रही है कि सत्ताधारी पार्टी के नेता, विधायक एवं मंत्री भी मेले के पास बांटकर अपने समर्थकों को खुश करते रहे हैं। पिछली बार तो राज्य के एक बड़े मंत्री पर हजारों पास डकार जाने के आरोप लगे थे। इस मंत्री ने ये पास अपने गांव में भिजवाकर खूब चर्चा बटोरी थी। लेकिन इस बार मेला प्रशासन ने मुफ्त बाटे जाने वाले एंट्री पास छपवाए ही नहीं।बताया जाता है कि जिले के डीसी एवं टूरिज्म डिपार्टमेंट के एमडी समीरपाल सरो के निर्देश पर 31 वें सूरजकुंड मेले में एंट्री पास प्रिंट नहीं करवाने का निर्णय लिया गया है।
इस वजह से सत्ताधारी पार्टी के नेताओं व कार्यकर्ताओं में प्रशासन के प्रति नाराजगी साफ देखी जा रही हैं। लेकिन वहीं दूसरी ओर एंट्री पास नहीं  मिलने के बावजूद अधिकारी व मंत्रियों के रिश्तेदारों की मौज मस्ती पर किसी प्रकार का खलल पड़ता दिखाई नहीं दे रहा। वह पहले की भांति ही मेले में मुफ्त आएंगे और वहां मौज मस्ती के सभी साधन उनके लिए उपलब्ध रहेंगे। अधिकारी व मंत्रियों के रिश्तेदारों की खातिरदारी टूरिज्म विभाग के अधिकारियों के जिम्मे होगी। उन्हें वहां ना केवल लजीज व्यंजन परोसे जाएंगे, साथ ही जबरन डिस्काउंट रेट पर शापिंग भी करवाई जाएगी।

 

क्योंकि यहाँ आये शिल्पकारों को  मेले में तैनात अधिकारी दबाव दाल कर अपने मनमाने रेट पर अपने चहेतों को सामान देने को मजबूर करते रहे हैं. लेकिन इस बार इस व्यवस्था को लेकर सत्ताधारी भाजपा के स्थानीय नेताओं में खासी नाराजगी है।

 

बुधवार को मेले का आगाज हुआ। लेकिन आज मेले में आमंत्रित अतिथियों की भी फजीहत देखने को मिली। उद्घाटन के अवसर पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल अपने मंत्री व अधिकारियों की फौज के साथ पहले पहुंचे. उनके मेले में प्रवेश के तत्काल बाद ही गेट को बंद कर दिया गया. खबर यह है कि सीएम के साथ अफरातफरी में जो  प्रवेश कर सके उनकी तो बल्ले बल्ले और जो  उस झटके में अन्दर नहीं जा पाए उन्हें जबरन रोक दिया गया. अपने मुख्यमंत्री की अगवानी करने की चाहत लिए जिले के दर्जनों भाजपाई नेता इससे वंचित रह गए. यहाँ तक कि कई अधिकारियों को भी इसमें जाने से रोका गया. सभी गेट पर जोर लगाते रहे लेकिन उनकी एक नहीं चली और अंतत उन्हें हाथ मलते हुए सीएम मनोहर लाल के बाहर आने का इंतज़ार करना पडा. 

बताया जाता है कि इस अफरातफरी में कई पत्रकार बंधू भी आज की कवरेज करने से चूक गए क्योंकि उन्हें गेट से वापसी का दवाजा दिखा दिया गया. हालाँकि सूरज कुंड मेले को अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाने में पिछले कई दशक में स्थानीय कलमकारों ने कोई कसर नहीं छोड़ी है लेकिन आज उन्हें भी सता धारी भाजपा के नेताओं के साथ मायूसी हाथ लगी. कई भाजपा नेता इसके लिए जिला प्रशासन व मेला अधिकारी को कोसते नजर आये तो कईयों ने इसके लिए स्थानीय विधायक व मंत्री को जिम्मेदार बताया. वैसे कुछ हद तक उनका कहना सही था क्योंकि विधायक व  सांसद के विधान सभा व  संसदीय क्षेत्र में होने वाले सरकारी आयोजनों के वे ही होस्ट होते हैं लेकिन वर्त्तमान सरकार में सरकारी बाबू बड़े मजबूत हो चले हैं और वे अपनी मनमानी करने पर उतारू हैं. ऐसे में अगर उस इलाके के जनप्रतिनिधियों को भी सूरजकुंड मेले में प्रवेश करने से सरकारी बाबू रोक दें तो इसमें कोई आश्चर्यजनक नहीं होना चाहिए.

चर्चा जोरों पर है कि मेले में पत्रकारों पर रोक लगाने के लिए नाकेबंदी का यह ख़ास इंतजाम मेला अधिकारी की इजाजत से ही किया गया होगा . इसमें जिले में बैठे जिला लोक संपर्क अधिकारी की क्या भूमिका है यह स्पष्ट नहीं हो पाई है.  बहरहाल आज उद्घाटन का अवसर तो निकल गया लेकिन कुछ भजपा नेताओं ने अब कसम खा ली है कि वे टिकट लेकर मेले में आयेंगे और ऐसे अधिकारियों के परिवार व रिश्तेदारों पर अपने कैमरे से नजर रखेंगे जो विना टिकट मेले में तफरी करने पहुंचेंगे. लगता है सूरजकुंड मेला इस बार भाजपा के स्थानीय नेताओं व जिले के अधिकारियों के बीच महाभारत बन कर रह जाएगा.  

 

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