प्रताप चन्द्र ने दिया चुनाव आयोग को अंतिम रिमाइंडर

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“तीन दिन में भेजे भाजपा को नोटिस वर्ना जायेंगे कोर्ट”

“हजरतगंज में तीन मंत्री द्वारा पार्टी प्रचार कर डायरेक्शन के उलंघन हेतु हो 16 A के तहत कार्यवाही”

आर एस चौहान 

लखनऊ /नई दिल्ली : सजग नागरिक होने के नाते प्रताप चन्द्र नें आज चुनाव आयोग को अंतिम रिमाइंडर भेजा जिसमें कहा कि भारत निर्वाचन आयोग नें दिल्ली हाई कोर्ट की टिपण्णी पर 7 अक्टूबर 2016 लाफुल डायरेक्शन No.56/4 LET/ECI/FUNC/PP/PPS-II/2015 सभी पार्टियों को जारी किया था जिसमें कहा गया था कि पार्टियाँ प्रचार या प्रोपोगेट करनें हेतु न तो किसी पब्लिक फण्ड या पब्लिक प्लेस या गवर्नमेंट मशीनरी का इस्तेमाल करेंगी न एलाऊ करेंगी |

इसके बावजूद 24 दिसम्बर 2016 को उत्तर प्रदेश स्थित लखनऊ के पब्लिक प्लेस हजरतगंज बाज़ार में गवर्नमेंट के ३ मंत्री पब्लिक फण्ड से सरकारी काम करने के लिए सरकारी तनख्वाह लेकर श्री राजनाथ सिंह, श्री कलराज मिश्र और सुश्री उमा भारती सहित मेयर दिनेश शर्मा गवर्नमेंट मशीनरी का भरपूर इस्तेमाल करते हुए भारतीय जनता पार्टी के चुनाव-चिन्ह “कमल” का प्रचार गले में पट्टा पहन कर रोड शो करते रहे जो आपके लाफुल डायरेक्शन के पैरा 4 के तहत पब्लिक प्लेस जो हजरतगंज है और पुब्लिक फण्ड जो सरकारी तनख्वाह है और गवर्नमेंट मशीनरी वो मंत्रीगण हैं जो गवर्मेंट की मशीनरी हैं इनका इस्तेमाल आपके डायरेक्शन का सीधा सीधा उलंघन है, जिसके लिए पैरा 5 के तहत विधिक कार्यवाही 16 A के तहत करते हुए उलंघन करने वाली पार्टी को नोटिस भेज विधिक कार्यवाही का प्रावधान है |

         उक्त विषय पर आयोग को 2, 10 व 12 जनवरी 2017 को अवगत कराते हुए चुनाव की अर्जेंसी और अवसर की समता सुनिश्चित कराने हेतु विधिक कार्यवाही की मांग की परन्तु अब तक न कोई नोटिस जारी कर कार्यवाही हुई,  

उत्तर प्रदेश में आज से तीसरे चरण का नामांकन भी शुरू हो गया है और आयोग अवसर की समता के हनन होने और अपने ही बनाये लाफुल डायरेक्शन का अनुपालन कराने की गुहार कई बार कर चूका अब भी लाफुल डायरेक्शन की अवमानना हेतु 16 A के तहत अर्जेंसी, चुनाव और प्रथम दृष्टया को मद्देनज़र रखते हुए ३ दिनों में नोटिस और विधिक कार्यवाही कर भारतीय जनता पार्टी की मान्यता रद्द कर सिम्बल वापस नहीं लिया जाता है तो मजबूरन अदालत जाकर आयोग द्वारा अपने बनाये डायरेक्शन का अनुपालन सुनिश्चित कराने की गुहार लगाना होगा, अपने ही विधिक निर्देश का अनुपालन न करा पाना चुनाव आयोग की मज़बूरी और कमजोरी दिखाता है जिससे जनता का यकीन आयोग से उठने लगा है जो अफसोसजनक है |

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