मध्य प्रदेश के सभी 55 जिलों को मिला प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ़ एक्सीलेंस : गृह मंत्री अमित शाह ने किया उद्घाटन

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नई दिल्ली :  केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने आज मध्य प्रदेश के इंदौर से राज्य के सभी 55 जिलों में बनाए गए प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ़ एक्सीलेंस का उद्घाटन किया। इस अवसर पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और केन्द्रीय मंत्री सावित्री ठाकुर सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

उद्घाटन जनसमुदाय को संबोधित करते हुए केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने सभी देशवासियों के सामने आज़ादी के 100 साल पूरे होने पर 2047 तक भारत को विश्व में हर क्षेत्र में प्रथम बनाने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने कहा कि ऐसे भारत का निर्माण शिक्षा की नींव मजबूत किए बिना नहीं हो सकता। इसलिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने दूरदर्शिता के साथ, आने वाले 25 सालों की सभी  आवश्यकताओं का ध्यान रखकर नई शिक्षा नीति लाने का काम किया। श्री शाह ने कहा कि नई शिक्षा नीति आगामी 25 वर्षों की सभी आवश्यकताओं को विजुलाइज करके लाई गई है। नई शिक्षा नीति आने वाले 25 साल तक भारत के विद्यार्थियों को विश्व भर के विद्यार्थियों के साथ स्पर्धा करने के योग्य बनाएगी, वहीँ दूसरी ओर विद्यार्थियों को हमारी हजारों साल पुरानी संस्कृति और भाषाओं के साथ जोड़ने का काम भी करेगी।

मध्य प्रदेश सरकार को बधाई देते हुए श्री शाह ने कहा कि पूरे देश में अगर सबसे पहले नई शिक्षा नीति कहीं जमीन पर उतारने का काम हुआ है तो वह मध्य प्रदेश है। उन्होंने कहा कि पूरे देश में सिर्फ मध्य प्रदेश ही वह राज्य है जिसने इंजीनियरिंग और मेडिकल साइंस के पाठ्यक्रम का मातृभाषा में अनुवाद करने की पहल की। इससे बहुत सारे गरीब बच्चों को अपनी मातृभाषा में मेडिकल साइंस और इंजीनियरिंग जैसे क्षेत्रों में उच्च शिक्षा प्राप्त करने का फायदा मिला है।

 

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि आज 486 करोड़ रुपए की लागत से प्रधानमंत्री कॉलेज आफ एक्सीलेंस का शुभारंभ हो रहा है और यह सिर्फ नाम बदलने का कार्यक्रम नहीं है। इसके सारे ‘पैरामीटर्स’ और ‘क्राइटेरिया’ पूरा करने के बाद ही सभी 55 कॉलेज प्रधानमंत्री कॉलेज आफ एक्सीलेंस का दर्जा प्राप्त करने के योग्य बने हैं। उन्होंने कहा कि इन कॉलेजों में कंपार्टमेंटल शिक्षा नहीं होगी बल्कि छात्रों को मूल विषय के साथ ही अपनी रुचि के अन्य विषय पढ़ने की भी छूट होगी। अगर कोई छात्र बी.ए करना चाहता है और विज्ञान के किसी विषय में भी उसकी रुचि है तो वह साथ में उस विषय में डिप्लोमा भी कर सकता है। गृह मंत्री ने उदाहरण देकर बताया कि अगर कोई कॉमर्स का विद्यार्थी है और कला या भाषा में उसकी रुचि है, तो वह कला और भाषा के विषयों की पढ़ाई कर सकता है। अगर कोई कॉमर्स का विद्यार्थी है और टेक्नोलॉजी में रुचि है, तो भी वह अपनी रुचि के अनुसार टेक्नोलॉजी में भी डिप्लोमा कोर्स कर सकता है।

गृह मंत्री ने कहा कि नई शिक्षा नीति के एक महत्त्वपूर्ण अध्याय को मध्य प्रदेश ने आज बडी खूबसूरती से जमीन पर उतारा है। उन्होंने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य विद्यार्थी के भीतर की सभी शक्तियों को बाहर लाना, उन्हें एक प्लेटफार्म देना और उन्हें विकसित होने का मौका देना है। श्री शाह ने कहा कि रटा रटाया ज्ञान और सिलेबस से परीक्षा में नंबर लाना तो सरल है परंतु अपने भीतर के गुणों और ईश्वरदत्त शक्तियों का विकास करना बहुत कठिन है।

 

श्री शाह ने कहा कि आज जिन 55 प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ़ एक्सीलेंस का उद्घाटन हुआ है, वे विद्यार्थियों को बायोटेक्नोलॉजी, कंप्यूटर साइंस, संस्कृति, कला जैसे अनेक विषयों में अपनी रुचि के अनुसार अध्ययन करने का अवसर प्रदान करेंगे। उन्होंने कहा कि इन सभी कॉलेजों में बी.एड और बी.एस.सी एग्रीकल्चर जैसे पाठ्यक्रम भी शुरू किए गए हैं। बी.एस.सी एग्रीकल्चर जैसे पाठ्यक्रम के कारण युवा कृषि के साथ जुड़ेंगे और इससे स्वरोजगार के बहुत सारे नए अवसर पैदा होंगे। उन्होंने कहा कि अनेक डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्सेज को आईआईटी दिल्ली और कई अन्य प्रतिष्ठित संस्थानों से जोड़ने का काम किया गया है। मध्य प्रदेश हिंदी ग्रंथ अकादमी की पुस्तकों का केंद्र भी सभी इन 55 कॉलेजों में शुरू किया गया है।

 

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि इंदौर अब तक कॉटन हब और स्वच्छता का हब माना जाता था, लेकिन अब इंदौर एजुकेशन हब बनने की दिशा में भी आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि इंदौर फार्मा, ऑटोमोबाइल, टेक्सटाइल, फूड प्रोसेसिंग, इन सब क्षत्रों में आगे बढ़ रहा है।

श्री शाह ने कहा कि मध्य प्रदेश में नई शिक्षा नीति के तहत उच्च शिक्षा के लिए ढेर सारे इनीशिएटिव लिए गए हैं। कई नए कोर्सेज शुरू किए गए हैं, कई विश्वविद्यालय भी बनाए गए हैं। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को एक बार नई शिक्षा नीति ज़रूर पढ़ना चाहिए। श्री शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने युवाओं के भविष्य को संवारने के लिए नई शिक्षा नीति बनाई है। नई शिक्षा नीति के तहत बच्चों को ‘सिलेबस ऑफ़ एकेडमिक्स’ के साथ-साथ ‘सिलेबस ऑफ लाइफ’ भी सिखाया जाएगा। नई शिक्षा नीति के जरिये विद्यार्थियों में ‘ऑर्थोडॉक्‍स थिंकिंग’ की जगह ‘आउट ऑफ द बॉक्स’ सोचने की आदत विकसित करने पर जोर है। नई शिक्षा नीति में युवाओं को वोकेशनल और स्किल ट्रेनिंग देकर इंडस्ट्री और एकेडमिक्स के बीच गैप भरने का भी प्रयास किया गया है।

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि 21वीं सदी में ग्लोबल लैंडस्केप से भारतीय शिक्षा पद्धति को जोड़ने का काम हमारी नई शिक्षा पद्धति करेगी और इससे भारतीय युवा सिलेबस को रटने की जगह आइडिया की रचना पर बल देगा। उन्होंने कहा कि हमारी नई शिक्षा नीति में डिग्री देने की जगह युवाओं के 360 डिग्री डेवलपमेंट पर जोर दिया गया है। श्री शाह ने युवाओं से अपील करते हुए कहा कि जीवन में सिद्धि पाने के लिए लक्ष्य का होना आवश्यक है, लक्ष्यहीन जीवन को समय बहा ले जाता है और लक्ष्य के साथ तय किए गए रास्ते पर अगर आप जीवन जिएँगे, तो आप समय को बहा ले जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रारब्‍ध का आशीर्वाद भी तभी मिलता है जब हम पुरुषार्थ से इसकी पीठिका तैयार करते हैं। श्री शाह ने विद्यार्थियों से जीवन का लक्ष्य तय कर आज से ही कठोर परिश्रम करने की अपील की।

 

गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि आज की पीढ़ी इंटरनेट, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डाटा एनालिटिक्स की पीढ़ी है और इसीलिए नई शिक्षा नीति में प्रैक्टिकल, स्किल डेवलपमेंट, वोकेशनल ट्रेनिंग जैसे प्रावधान किए गए हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2047 में भारत निश्चित तौर पर विश्व में सर्वप्रथम बनेगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने हमारे सामने आजादी की शताब्दी का लक्ष्य रखा है। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि यह लक्ष्य आपके लिए है और आप वह दिन देखोगे जब पूरी दुनिया में भारत हर क्षेत्र में महान होगा। गृह मंत्री ने कहा कि इसकी नींव डालने का काम हमारी नई शिक्षा नीति और आज के प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ़ एक्सीलेंस करेंगे।

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