-भावांतर भरपाई योजना के तहत फल व सब्जी उत्पादक 12 हजार से अधिक किसानों को 33.26 करोड़ की राशि दी गई
-दो सीजन में बाजरे की पैदावार करने वाले किसानों को दी गई 830 करोड़ रुपये
-मुख्यमंत्री ने भावांतर भरपाई योजना के लाभार्थियों के साथ गुरुग्राम से किया सीधा संवाद
गुरुग्राम, 19 अगस्त : हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि किसान हमारी अर्थव्यवस्था का मूल आधार हैं, इसलिए किसान मजबूर नहीं मजबूत होना चाहिए। किसानों की खुशहाली में ही प्रदेश और राष्ट्र की खुशहाली निहित है, इसलिए खेती और किसान हरियाणा सरकार की नीतियों के केन्द्र में हैं। सरकार फसलों के तैयार होने से लेकर बाजार में उसकी बिक्री तक किसानों को हर संभव सुविधा उपलब्ध करवा रहे हैं। इसी कड़ी में किसानों को जोखिम मुक्त बनाने के लिए सरकार ने भावांतर भरपाई योजना शुरू की। इस योजना के तहत अब तक फल व सब्जी उत्पादक 12 हजार से अधिक किसानों को 33 करोड़ 26 लाख रुपये की राशि दी गई है।
यह जानकारी मुख्यमंत्री ने आज सीएम की विशेष चर्चा कार्यक्रम के तहत गुरुग्राम से ऑडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से भावांतर भरपाई योजना के लाभार्थियों से सीधा संवाद करते हुए दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस ऑनलाइन संवाद कार्यक्रम की शुरुआत से आज तक अलग-अलग योजनाओं के माध्यम से किसानों से यह आठवीं बार संवाद हो रहा है।
संवाद के दौरान किसानों ने मुख्यमंत्री का धन्यवाद व्यक्त करते हुए कहा कि भावांतर भरपाई योजना लाकर हरियाणा सरकार ने सही मायनों में हमें सहारा देने का काम किया है। पहले हमें मंडियों में बाजार भाव से नीचे चले जाने पर भी अपनी उपज को कम दामों में बेचने के लिए मजबूर होना पड़ता था, लेकिन इस योजना के बाद से हम आश्वस्त रहते हैं कि बाजार भाव के नीचे चले जाने के बाद भी सरकार हमारी सहायता करेगी।
वर्तमान समय की जरूरत के हिसाब से खेती में नए व सफल प्रयोग करने वाले किसानों की सफलता से अन्य किसानों को भी मिली प्रेरणा
श्री मनोहर लाल ने कहा कि वर्तमान समय की जरूरत के हिसाब से खेती में नए व सफल प्रयोग करने वाले किसानों ने साहसिक कार्य किया है। आपकी सफलता से अन्य किसानों को भी प्रेरणा मिली है और खेती में गेहूं व धान के चक्र से बाहर निकलकर बाजार की मांग के अनुसार फसलें बोने लगे हैं। उन्होंने कहा कि किसान फसल तो पैदा कर लेता है, लेकिन उसके सामने बाजार भावों की अनिश्चितता बनी रहती थी और कई बार तो कम कीमत पर फसल बेचने को मजबूर होते थे। किसानों की इस समस्या को हमने समझा और तय किया है कि फसल बोने से पहले ही किसानों को यह पता चल जाए कि फसल का कम से कम एक सुनिश्चित मूल्य तो मिलेगा ही। इसके लिए राज्य सरकार ने फल व सब्जियों के लिए जनवरी, 2018 से तथा बाजरे के लिए खरीफ-2021 से भावांतर भरपाई योजना शुरू की है। इसके तहत यदि बाजरे का भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे चला जाता है तो न्यूनतम समर्थन मूल्य और बाजार भाव के अंतर की राशि सरकार द्वारा किसानों को दी जाती है और यह राशि सीधे उनके खातों में डाली जाती है।
हरियाणा में मोटे अनाजों के उत्पादन को दे रहे बढ़ावा
श्री मनोहर लाल ने कहा कि आज जिन किसानों से बात हो रही है, उनमें बाजरा पैदा करने वाले किसान भी हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर संयुक्त राष्ट्र संघ ने वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष घोषित किया है। मोटे अनाज सेहत के लिए अच्छे हैं, इसलिए आज सेहत के लिए जागरूक लोगों में इनका सेवन करने का रूझान बढ़ा है और इनकी मांग न केवल देश में बल्कि विदेशों में भी बढ़ी है। हम हरियाणा में भी मोटे अनाजों के उत्पादन को बढ़ावा दे रहे हैं और किसान को भी इनके लाभकारी मूल्य सुनिश्चित किये हैं।
उन्होंने कहा कि खरीफ-2021 से पहले सरकार बाजरे की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कर रही थी। लेकिन हमारे पड़ौसी राज्य इसकी खरीद नहीं करते थे। हमें कुछ रिपोर्टस मिलीं कि गलत तरीके से व्यापार करने वालों ने पड़ौसी राज्यों से कम दरों पर बाजरे की खरीद की और उसे हरियाणा में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बेचा। बाजरे को भावांतर भरपाई योजना में शामिल करने से इस समस्या का समाधान हो गया है। इतना ही नहीं, एक अन्य समस्या यह थी कि बाजरे का लंबे समय तक भण्डारण नहीं किया जा सकता और यदि 4 से 6 मास में इसका उपयोग न किया जाए तो इसकी गुणवत्ता कम हो जाती है। उद्योगों में बाजरे का उपयोग भी सीमित है। काफी मात्रा में बाजरा मुर्गी फार्मों को बहुत कम भाव पर बेचना पड़ा। इन सबके परिणामस्वरूप राज्य सरकार को इसके निपटान के लिए 825 करोड़ रुपये अतिरिक्त भार वहन करना पड़ा।
दो सीजन में बाजरे की पैदावार करने वाले किसानों को दी गई 830 करोड़ रुपये भावांतर भरपाई राशि
मुख्यमंत्री ने कहा कि भावांतर की भरपाई बाजरे की प्रति एकड़ औसत उत्पादकता के आधार पर की गई है। यदि किसान अच्छे भाव मिलने के इंतजार में अपनी उपज मंडी में नहीं लाया तो भी, यदि उसने अपने उपयोग के लिए बाजरा रख लिया तो भी उसे भावांतर का भुगतान किया जाता है। उन्होंने बताया कि खरीफ सीजन-2021 में बाजरे का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2,250 रुपये प्रति क्विंटल था और औसत बाजार भाव 1650 रुपये प्रति क्विंटल था। हमने 600 रुपये प्रति क्विंटल की दर से भावांतर भरपाई की। खरीफ-2021 में 2 लाख 42 हजार 948 किसानों के खातों में 440 करोड़ रुपये की राशि भावांतर भरपाई के रूप में सीधी डाली गई।
उन्होंने कहा कि खरीफ-2022 में बाजरे का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2,350 रुपये प्रति क्विंटल था और औसत बाजार भाव 1900 रुपये प्रति क्विंटल था। हमने 450 रुपये प्रति क्विंटल की दर से भावांतर भरपाई की। खरीफ-2022 में 2 लाख 76 हजार 620 किसानों के खातों में 390 करोड़ रुपये की राशि भावांतर भरपाई के रूप में सीधी डाली गई। इस प्रकार दो सीजन में बाजरे की पैदावार करने वाले किसानों के खाते में 830 करोड़ रुपये सीधे ही डाले गये।
वर्ष 2030 तक बागवानी क्षेत्र को दो गुणा करने तथा उत्पादन को तीन गुणा करने का है लक्ष्य
श्री मनोहर लाल ने कहा कि आज भूमि जोत छोटी होती जा रही है। छोटी होती भूमि जोत को लाभकारी बनाने का एक ही तरीका है कि किसान बागवानी की ओर अग्रसर हों और फलों, सब्जियों और फूलों की खेती को अपनाएं। उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य वर्ष 2030 तक बागवानी के अधीन क्षेत्र को दो गुणा करके 22 लाख एकड़ करने तथा उत्पादन को तीन गुणा करने का है। मुझे विश्वास है कि आप जैसे जागरूक किसानों के सहयोग से हम इस लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल रहेंगे।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि बागवानी किसानों को बाजार भावों के उतार-चढ़ाव की मार न झेलनी पड़े, इसके लिए भावांतर भरपाई योजना के तहत बागवानी फसलों के लिए संरक्षित मूल्य निर्धारित किया है। इस व्यवस्था से किसान को बिजाई के समय ही यह पता चल जाता है कि उसे प्रति एकड़ कितनी आय होगी।
मुख्यमंत्री बागवानी बीमा योजना
मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों को मौसम के कारण भी फसलों में भारी नुकसान उठाना पड़ता है, इसलिए सरकार ने मौसम की अनिश्चितताओं के जोखिम से किसानों को मुक्त करने के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना व मुख्यमंत्री बागवानी बीमा योजना शुरू की है। इसमें बागवानी की 21 फसलें शामिल हैं। इसमें सब्जियों के लिए 75,000 रुपये और फलों के लिए 1 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर क्लेम राशि दी जा रही है।
डीबीटी के माध्यम से किसानों को दिए 50,000 करोड़ रुपये
मुख्यमंत्री ने कहा कि एक समय था जब किसान अपनी फसल बेचता था, तो उसे अपने हक का पैसा नहीं मिलता था। पैसा किसी और के खाते में जाता था और उनको अपने खर्च के लिए समय समय पर किसी के आगे हाथ फैलाने पड़ते थे। लेकिन हमारी सरकार ने इस प्रथा को बंद किया और किसानों के खाते में डीबीटी के माध्यम से लगभग 50,000 करोड़ रुपये सीधे उनके खातों में डाले हैं। अब किसान अपनी फसल बेच कर आता है तो पैसा सीधा उसके खाते में पहुंचता है। उन्होंने किसन सम्मान निधि के तहत किसानों को 6000 रुपये की सहायता दिये जाने के लिए भी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का धन्यवाद किया।
श्री मनोहर लाल ने कहा कि राज्य सरकार ने पिछले साल प्रदेश में लगभग 53,000 सोलर पंप लगाए और इनके लिए किसानों को सब्सिडी दी गई। इस वर्ष भी 70,000 नए सोलर ट्यूबवेल लगाए जाएंगे। इससे बिजली की खपत में भी कमी आएगी और किसान को भी बहुत बड़ा फायदा होगा।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री के मुख्य प्रधान सचिव डीएस ढेसी, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुधीर राजपाल, मंडल आयुक्त गुरुग्राम आरसी बिढान, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के निदेशक नरहरि बांगड़, गुरुग्राम के उपायुक्त निशांत कुमार यादव, पुलिस कमिश्नर कला रामचंद्रन, मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार राजीव जेटली उपस्थित थे।