नई दिल्ली : भारतीय नौसेना का तीन दिवसीय शीर्ष-स्तरीय क्षेत्रीय रणनीतिक संवाद, “हिंद-प्रशांत क्षेत्रीय संवाद 2022” (आईपीआरडी-2022) बुधवार 23 नवंबर को नई दिल्ली में शुरू हुआ। आईपीआरडी एक वार्षिक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन है जो हिंद-प्रशांत क्षेत्र से संबंधित समुद्री मुद्दों पर विमर्श को बढ़ावा देते हुए विचारों का आदान-प्रदान करने का प्रयास करता है, भारत के लिहाज से हिन्द प्रशांत क्षेत्र अफ्रीका के पूर्वी तट से अमेरिका के पश्चिमी तट तक एक विशाल समुद्री विस्तार में फैला हुआ है ।
आयोजन के उद्घाटन सत्र में नेशनल मेरीटाइम फाउंडेशन के मौजूदा अध्यक्ष एवं पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह (सेवानिवृत्त) ने सभी उपस्थित लोगों का स्वागत किया और इस सत्र में मौजूदा भू-राजनीतिक परिदृश्य में सागर (सिक्योरिटी एंड ग्रोथ फ़ॉर ऑल इन द रीजन) की अवधारणा में उल्लिखित भारत की सामुद्रिक नीति और इंडो पैसिफिक ओशन इनिशिएटिव (आईपीओआई) द्वारा सागर को प्रदान की जाने वाली प्रथम विशिष्टता, जिसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा दिनांक 14 नवंबर 2019 को बैंकॉक में 14वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन को संबोधित करते समय प्रतिपादित किया गया था, पर ध्यान देते हुए भारत-प्रशांत क्षेत्र के महत्व पर प्रकाश डाला गया ।
इसके बाद के उद्घाटन भाषण में नौसेना प्रमुख एडमिरल आर. हरि कुमार ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में समुद्री सहयोग को बढ़ावा देने के संदर्भ में भारतीय नौसेना के प्रयासों का ज़िक्र किया। उन्होंने कई चुनौतियां सामने रखीं जो न केवल भारत के लिए अनोखी हैं, बल्कि भारत-प्रशांत क्षेत्र के अन्य देशों के लिए भी प्रासंगिक हैं, इनमें व्यापक रूप से शामिल हैं – इम्पेरेटिव्स एट होम, इंफ्लूएन्सेज़ फ्रॉम आउटसाइड एंड सम इंट्रूसिव पैराडाइम्स और साथ में यह कि इन चुनौतियों के लिए क्षेत्र में सभी हितधारकों को संरक्षित, सुरक्षित और स्थिर इंडो-पैसिफिक क्षेत्र सुनिश्चित करने के लिए सामूहिक दृष्टिकोण की आवश्यकता होगी। उन्होंने यह समझाया कि भारतीय नौसेना आईपीओआई के सात जटिल स्तंभों में से प्रत्येक को अमलीजामा पहनाने के कार्य हेतु समर्पित है। इसके अलावा उन्होंने आईपीओआई के माध्यम से तीन प्रमुख और आपस में सबंधित क्षेत्रों – सुरक्षा, अर्थव्यवस्था एवं पर्यावरण पर ध्यान देने की आवश्यकता को दोहराया।
मुख्य भाषण देते हुए श्री अजय भट्ट, माननीय रक्षा एवं पर्यटन राज्य मंत्री ने कहा कि भारत वर्तमान एवं उभरते समुद्री क्षेत्र में खतरों से निपटने के लिए अच्छी तरह से तैयार है। उन्होंने सैन्य क्षमताओं को बढ़ाने के अलावा भारत की समुद्री क्षमता के अन्य पहलुओं जैसे मर्चेंट मरीन, बंदरगाहों एवं देश के समुद्री संसाधनों के सतत प्रबंधन की क्षमता के निर्माण की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने भारत की समुद्री परंपराओं के पुनर्निर्माण और देश के लोगों के बीच समुद्री समझ को मजबूत करने पर भी विशेष जोर दिया, साथ ही उन्होंने समावेशिता एवं मानवीय प्रयासों के हर क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय सहयोग के प्रति देश की गहरी प्रतिबद्धता को भी दोहराया। माननीय मंत्री महोदय ने नेशनल मैरीटाइम फाउंडेशन द्वारा प्रकाशित “हार्ड-सिक्योरिटी पर्सपेक्टिव्स इन इंडियाज मैरीटाइम नेबरहुड” नामक एक पुस्तक का भी विमोचन किया ।
उद्घाटन सत्र के बाद दो विषयगत सत्र ‘वीविंग द फेब्रिक ऑफ हॉलिस्टिक मेरीटाइम सिक्योरिटी इन द इंडो पैसिफिक: मल्टीलेटरल ऑप्शन्स’ और ‘कंस्ट्रक्टिंग हॉलिस्टिक सिक्योरिटी ब्रिजेज अक्रॉस द वेस्टर्न एंड ईस्टर्न मेरीटाइम एक्सपेंस ऑफ द इंडो पैसिफिक’ भी आयोजित किए गए। इन सत्रों में विश्व स्तर पर प्रसिद्ध विषय-विशेषज्ञों ने समुद्री सुरक्षा सहयोग के निर्माण पर विभिन्न प्रकार के बहुपक्षीय और राष्ट्रीय दृष्टिकोण प्रस्तुत किए जो भारत-प्रशांत को एक साथ जोड़ सकते हैं ।
आईपीआरडी-2022 भारतीय नौसेना के ज्ञान भागीदार के रूप में नेशनल मैरीटाइम फाउंडेशन (एनएमएफ), नई दिल्ली द्वारा आयोजित किया जाता है और इसमें 800 से अधिक प्रतिभागियों द्वारा भाग लिया जा रहा है, जिसमें मित्रवत विदेशी देशों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हैं। वर्ष 2005 में स्थापित एनएमएफ देश का एकमात्र समुद्री थिंक-टैंक है जो भारत के समुद्री हितों प्रासंगिक गतिविधियों के संपूर्ण आयामों पर ध्यान केंद्रित करता है और जिसने सभी समुद्री मामलों पर स्वतंत्र, मूल और नीति-प्रासंगिक अनुसंधान के द्वारा विश्व बिरादरी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है ।