मंकीपॉक्स ने दुनिया के 80 देशों में तेजी से पैर पसारना शुरू किया : भारत में 4 मामले की पुष्टि

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नई दिल्ली : दुनिया में मंकीपॉक्स जैसी संक्रामक बीमारी के मामले तेजी से बढ़ने के संकेत मिलने लगे हैं. यह कहना शि होगा कि ये वायरस अब खतरनाक रूप लेता जा रहा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़े बताते हैं कि इस रोग के विश्व के 80 देशों में अब तक 17 हजार से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं. अब तो भारत में भी इस वायरस से संक्रमित मामले सामने आनें लगे हैं, देश की राजधानी दिल्ली में भी एक मामला सामने आने की पुष्टि हो चुकी है.

भारत में ये वायरस अब तक 4 लोगों को अपनी चपेट में ले चुका है. दुनिया के हालत को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी  घोषित कर दिया है. मंकीपॉक्स का संक्रमण जून से जुलाई के बीच ही तेजी से फैलने के संकेत मिले हैं .

बताया जाता है कि इस वायरस का सबसे ज्यादा संक्रमण यूरोप के देशों में हुआ जहां पूरे विश्व के 80 प्रतिशत मामले यहीं मिले हैं.

यूरोप के देशों में मंकीपॉक्स के कारण अब तक 5 लोगों की मौत भी हो चुकी है.

अब भारत में भी इसको लेकर अलर्ट जारी किया गया है.

भारत में एहतियातन  21 दिनों के भीतर विदेश की यात्रा करने वाले लोगों की स्क्रीनिंग की जा रही है.

भारत में तीनोरोगी केरल में मिले जबकि एक दिल्ली में मिले हैं.

स्वास्थ्य विभाग के अनुसार संक्रमित पाए जाने पर उनके संपर्क में आने वाले लोगों की भी जांच कराई गई है.

मंकीपॉक्स अब तक  80 देशों  में 17 हजार से ज्यादा लोगों को अपनी चपेट में ले चुका है.

Monkeypoxmeter.com पर मौजूद डेटा के मुताबिक अब तक विश्व के 80 देशों में 17,092 केस सामने आ चुके हैं.

इसमें भारत के 4 मामले भी शामिल हैं.

मंकीपॉक्स को ग्लोबल हेल्थ एमरजेंसी घोषित करने के पीछे डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि अब इस बीमारी के तेजी से फैलने का खतरा बढ़ गया है .

डब्ल्यूएचओ ने कहा है  कि इंटरनेशनल लेवल पर मिलकर मंकीपॉक्स से लड़ाई लड़ने की जरूरत है.

ये वायरस (Virus) कोरोना (Corona) के वायरस से कम खरतनाक है.

इसके मामलों में मृत्यु दर भी कम है.

अभी तक विश्व में सिर्फ 5 देशों में इस वायरस की वजह से मौत हुई.

इस बीमारी में इंसान से इंसान में संक्रमण (Infection) हो सकता है.

कोरोना की तरह इसमें भी मास्क (Mask) पहनना जरूरी है.

इसके साथ ही इसमें भी सोशल डिस्टेंसिंग (Social Distancing) जरूरी है.

इसके टेस्ट के लिए स्किन से स्लेट लिया जाता है.

इसका टेस्ट स्किन (Skin Test) के जरिए होता है.

 

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