मारुति सुजकी इंडिया लिमिटेड के चैयरमैन आर सी भार्गव बोले मारुति हरियाणा में है और हरियाणा में ही रहेगी
गुरुग्राम, 19 मई । हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि आज गुरुग्राम में रियल एस्टेट सेक्टर व ऑटोमोबाइल सेक्टर साथ – साथ चल रहे हैं । जब मुख्यमंत्री से यह पूछा गया कि हरियाणा से गई मारुति को वापिस लाने के लिए सरकार द्वारा क्या प्रयास किए गए तो जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘मारुति इज गुरुग्राम एंड गुरुग्राम इज हरियाणा‘। हरियाणा मारुति से अलग नहीं है।
मारुति के चेयरमैन आर सी भार्गव ने भी मुख्यमंत्री की बात का समर्थन करते हुए कहा कि मारुति हरियाणा में थी, हरियाणा में है और हरियाणा में ही रहेगी। श्री भार्गव ने हरियाणा की औद्योगिक नीतियों व इन्वेस्टमेंट फ्रेंडली परिवेश की प्रशंसा करते हुए कहा कि आज प्रदेश में मिले बेहतर माहौल के चलते मारुति ने अपना नया प्लांट लगाने के लिए हरियाणा के खरखौदा में भूमि का चयन किया है।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि वर्ष 1966 में कृषि प्रधान प्रदेश के रूप में अस्तित्व में आए हरियाणा ने आज अपनी बेहतर औद्योगिक नीतियों के चलते निवेशकों को आकर्षित करने में देश ही नहीं विदेश में भी एक अलग पहचान बनाई है। उन्होंने कहा कि हरियाणा आज विदेशी निवेश को लाने में देश के बड़े राज्यों को कड़ी टक्कर देने के साथ निवेशकों की पहली पसंद बन गया है।
मुख्यमंत्री आज गुरुग्राम के होटल लीला अंबीयंस में मारुति सुज़ुकी इंडिया लिमिटेड और सुज़ुकी टू व्हीलर इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को आईएमटी खरखोदा में प्लांट स्थापना के लिए भूमि आवंटन के समझौता हस्ताक्षर कार्यक्रम उपरान्त प्रेस वार्ता को संबोधित कर रहे थे।
मीडिया प्रतिनिधियों के सवालों का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि आज हरियाणा में औद्योगिकीकरण को बढ़ावा देने व इंडस्ट्रीज को प्रोत्साहित करने में एचएसआईआईडीसी बड़ी भूमिका निभा रहा है। उन्होंने बताया कि सोनीपत के खरखौदा में 3200 एकड़ में विकसित की जा रही आईएमटी में मारुति सुज़ुकी इंडिया लिमिटेड और सुज़ुकी टू व्हीलर इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को 900 एकड़ जमीन देने के साथ ही छोटी औद्योगिक इकाइयों को भी 1000 प्लॉट दिए जा चुके हैं।
उन्होंने कहा कि हमने प्रदेश की एनहेंसमेन्ट पॉलिसी में बड़ा बदलाव करते हुए प्लाट धारकों को राहत देने का कार्य किया है। हरियाणा सरकार द्वारा एनहेंसमेन्ट शुल्क की सीमा निर्धारित की गयी है। संभावित शुल्क से ज्यादा राशि सरकार द्वारा वहन की जाएगी। इसी कड़ी में सरकार द्वारा औद्योगिक इकाईयों को 15 हजार करोड़ रुपये की राशि के प्लॉट ऑक्शन के माध्यम से बेचे गए हैं।
पत्रकारों द्वारा महंगाई के चलते उत्पादन लागत में हो रही कीमत बढ़ोतरी के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्पादन की पूरी प्रक्रिया डिमांड व सप्लाई पर निर्भर है, जिसका नियंत्रण सरकार के हाथ मे नहीं होता। उन्होंने कहा कि हम टैक्स व रेवेन्यू में रियायत दे सकते हैं। परिवहन लागत को कम करने के लिए सड़क का बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर दे सकते हैं।
एक अन्य सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार बेरोजगारी दर को कम करने व युवाओ को स्वरोजगार के उद्यम स्थापित करवाने में गंभीरता से प्रयास कर रही है। आज हरियाणा में एमएसएमई के माध्यम से करीब 1900 प्लाट उपलब्ध करवाए गए हैं, जिनमें 6 से 7 करोड़ रुपये की इन्वेस्टमेंट हुई है।
हरियाणा में बेराजगारी संबंधी पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि बेरोजगारी को लेकर अलग-अलग तरह के आंकड़े पेश किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सीएमआईई नामक यह एजेंसी अपनी एक साल पुरानी रिपोर्ट में बेरोजगारी का आंकड़ा 10 से 14 प्रतिशत के बीच दिखाती है तो वहीं अगले वर्ष यह आंकड़ा 32 से 34 प्रतिशत तक पहुँच जाता है, जोकि किसी भी रूप में वास्तविकता के नजदीक नहीं है। हरियाणा में श्रम विभाग द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में 8 से 9 प्रतिशत बेरोजगारी है, जबकि परिवार पहचान पत्र द्वारा घर-घर जाकर बेरोजगारों की पहचान को लेकर किए जा रहे सर्वे में बेरोजगारी का आंकड़ा साढ़े 6 से 7 प्रतिशत आया है।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अंत्योदय परिवार उत्थान योजना के माध्यम से अब तक 40 हजार लोगों को अलग-अलग सरकारी योजनाओं तथा ऋण संबंधी योजनाओ से जोड़ते हुए स्वःरोजगार तथा रोजगार से जोड़ा गया है। प्रदेश में इस प्रकार के एक लाख परिवारों को इन योजनाओं से जोड़े जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में हर साल 2 लाख लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा करने का लक्ष्य सरकार ने रखा है। प्रदेश में लोगों को रोजगार के अवसर उपलब्ध करवाने के लिए जल्द ही सी व डी ग्रुप की भर्तियां निकाली जा रही है। इसके अलावा, प्रदेश सरकार द्वारा एक लाख लोगों का कौशल विकास करते हुए उन्हें विदेशों में रोजगार के लायक बनाने की रूपरेखा तैयार की जा रही है ताकि एनआरआई की संख्या बढ़ें और लोग खुद को अपग्रेड करके वहां रोजगार प्राप्त कर सके।