राहुल गांधी का आरोप : प्रधान मंत्री किसी शक्ति के टूल के रूप में कर रहे हैं

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नई दिल्ली :   राहुल गांधी ने आज पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि हमने पहले ही कहा था कि यह तीनों ही कृषि कानून वापस लेने पड़ेंगे. हमने इसलिए कहा था क्योंकि मुझे मालूम था कि जो सरकार के पीछे कुछ बड़ी शक्ति है वह हिंदुस्तान के किसानों के सामने खड़ी नहीं हो सकती है.  उन्होंने कहा कि जो तीन काले कानून थे उसको इन्हें रद्द करना पड़ा. यह किसानों व  मजदूरों की सफलता है . एक प्रकार से देश की सफलता है. राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री इस प्रकार की शक्तियों के एक इंस्ट्रूमेंट के रूप में काम कर रहे हैं . प्रधानमंत्री इन शक्तियों के  एक टूल के रूप में काम कर रहे हैं और वह शक्तियां प्रधानमंत्री की पीछे काम कर रही हैं. उन्हीं शक्तियों ने देश की मीडिया पर कब्जा कर लिया है.

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि जिस प्रकार से कानून रद्द किए गए बिना किसी डिस्कशन के पार्लिमेंट में इसके बारे में चर्चा नहीं होने दी यह दिखाता है कि सरकार चर्चा से डरती है .उन्होंने कहा कि यह दिखाती है कि सरकार यह जानती है कि उन्होंने गलत काम किया है और सरकार डरती है.

राहुल गांधी ने कहा कि  किसान शहीद हुए हैं उनके बारे मेंभी चर्चा होनी थी , जिन्हें लखीमपुर खीरी में कुचला गया उनके बारे में है यह भी चर्चा होनी थी, यह जो किसानों के लिए कानून बनाए गए इसके पीछे किसकी शक्ति थी,  यह क्यों किए जा रहे थे , इस पर भी चर्चा होनी थी.  संसद में हम एमएसपी पर भी चर्चा करना चाहते थे साथ ही जो किसानों की और समस्या है उस पर चर्चा होनी थी . लखीमपुर खीरी की घटना और जो वर्तमान में राज्य मंत्री हैं उन पर भी चर्चा होनी थी और यह चर्चा सरकार ने नहीं होने दी।

राहुल गांधी ने कहा कि सरकार यह सोचती है कि जो गरीब किसान मजदूर लोग हैं उनमें कोई शक्ति नहीं है.  उनको दवाया जा सकता है लेकिन इस एपिसोड ने दिखाया है कि मजदूर और किसान एवं गरीब लोगों को दबाया नहीं जा सकता.

राहुल गांधी ने कहा कि यह जो तीन कानून थे यह किसानों पर आक्रमण था . मजदूरों पर आक्रमण था. उन्होंने कहा कि किसानों और मजदूरों की जो कठिनाइयां हैं वह एमएसपी, कर्जा माफी, यह लंबी सूची है और उनकी जो भी मांगे हैं उनका हम समर्थन करते हैं.

एक सवाल के जवाब में राहुल गांधी ने कहा कि अगर चर्चा सरकार नहीं करना चाहती है तो फिर संसद की क्या आवश्यकता है इन्हें भी भंग  कर देना चाहिए.  फिर तो प्रधानमंत्री को जो कुछ करना हो जो कहना हो वह एक तरफा कहते रहे,  करते रहें .  कांग्रेस नेता ने कहा कि प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में माफी मांगी इसका मतलब है कि प्रधानमंत्री ने यह स्वीकार किया कि उनकी गलती के कारण से ही यह 700 किसान मारे गए.  उनकी गलती के कारण से ही यह पूरा आंदोलन हुआ और अगर उन्होंने गलती स्वीकार कर ली है तो फिर उन्हें किसानों को कंपनसेशन देना पड़ेगा.

राहुल गांधी ने कहा कि जिस तरह से सरकार ने अपने वक्तव्य में कहा है कि किसानों का एक समूह इसके विरोध में है लेकिन उन्हें यह समझना चाहिए यह कोई किसानों का एक समूह नहीं बल्कि पूरा देश है.  पत्रकारों के सवाल पर यह आरोप लगाया कि पूरे संस्थान को ऐसी शक्ति ने कब्जा लिया है जिसने इस कानून को बनवाने में भूमिका निभाई. यह वही शक्ति है जिन्होंने इस सरकार से डी मोनेटाइजेशन करवाया, और यह वही शक्ति है जिन्होंने इस सरकार से आनन-फानन में जीएसटी देश पर लागू करवाया और यह वही शक्ति है जिसने इस सरकार को कोविड-19 के दौरान भी देश के गरीबों को मदद के रूप में कोई पैसे नहीं देने दिए.

उन्होंने कहा कि इस सरकार पर किसी एक ऐसे समूह ने कब्जा कर लिया है जो इस देश के किसान और गरीबों के खिलाफ है . राहुल गांधी ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने कानूनी इस लिए वापस लिया क्योंकि वह इस देश के किसानों और मजदूरों की शक्ति का सामना नहीं कर सकते थे और साथ ही उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव उनके सिर पर मंडरा रहा है उसकी हार की आशंका के मद्देनजर भी उन्होंने यह कदम उठाया.

राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री इस प्रकार की शक्तियों के एक इंस्ट्रूमेंट के रूप में काम कर रहे हैं . प्रधानमंत्री इन शक्तियों के  एक टूल के रूप में काम कर रहे हैं और वह शक्तियां प्रधानमंत्री की पीछे काम कर रही हैं. उन्हीं शक्तियों ने देश की मीडिया पर कब्जा कर लिया है.

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