मनोहर पर्रिकर के नाम पर रक्षा अध्ययन और विश्लेषण संस्थान का नामकरण

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नई दिल्ली :   रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज नई दिल्ली में रक्षा अध्ययन और विश्लेषण संस्थान में पूर्व रक्षा मंत्री स्वर्गीय मनोहर पर्रिकर के नाम पर संस्थान का नामकरण करने के लिए एक पट्टिका का अनावरण किया। रक्षा मंत्री इस संस्थान के अध्यक्ष भी हैं। इस वर्ष की शुरुआत में आम सभा द्वारा पूर्व रक्षा मंत्री की स्मृति में संस्थान के नाम में परिवर्तन से संबंधित निर्णय के अनुसरण में मनोहर पर्रिकर रक्षा अध्ययन और विश्लेषण संस्थान (एमपी-आईडीएसए) के रूप में इसका नामकरण किया गया है। नामकरण के साथ ही संस्थान का 57वां स्थापना दिवस मनाया गया जो हर साल 11 नवंबर को मनाया जाता है।

 

पूर्व रक्षा मंत्री को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए, रक्षा मंत्री ने अपने संबोधन में स्वर्गीय मनोहर पर्रिकर को याद किया, जिन्होंने रक्षा मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल में संस्थान के काम को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित किया था। उनके साथ अपने लंबे लगाव को याद करते हुए, श्री राजनाथ सिंह ने कहा, पर्रिकर जी को रक्षा से संबंधित मामलों की गहरी समझ थी और स्वदेशीकरण पर उनके आग्रह और राजनीतिक-सैन्य तालमेल के प्रयासों ने उन्हें एक अमूल्य संसाधन बना दिया। “वे हमारे सशस्त्र बलों के लिए एक विचारशील नेता थे। उरी की घटना के बाद 2016 के आतंकवाद विरोधी हमलों में उनके नेतृत्व और सशस्त्र बलों के हित में लिए गए ‘वन रैंक वन पेंशन’ के फैसले को लंबे समय तक याद किया जाएगा।”

 

एमपी-आईडीएसए के 57वें स्थापना दिवस पर शुभकामनाएं देते हुए, श्री राजनाथ सिंह ने संस्थान की कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प की सराहना की।  उन्होंने कहा कि यह संस्थान पिछले लगभग छह दशकों में रक्षा, राष्ट्रीय सुरक्षा और अंतर्राष्ट्रीय संबंध के क्षेत्र में एक अग्रणी थिंक टैंक के रूप में उभरा है। उन्होंने इसे एक अनूठा संस्थान बताया, जिसने अकादमिक और विभिन्न अनुसंधान क्षेत्रों के साथ-साथ कई देशों के सरकारी विभागों में प्रतिभाओं को एक साथ जोड़ दिया है। उन्होंने कहा, “विचार-मंथन से निकले विचारों ने 21वीं सदी की चुनौतियों से निपटने में निर्णयकर्ताओं की मदद की है। यह संस्थान अपने बड़ी संख्या में प्रकाशनों के माध्यम से लोगों तक पहुंचा है। यह अपनी गौरवशाली विरासत को आगे बढ़ाने के लिए निरंतर प्रयासरत है।”

 

रक्षा मंत्री ने तेजी से बदलते वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य और कोविड-19 महामारी जैसे अदृश्य खतरों के मद्देनजर अधिक सतर्क और जागरूक रहने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने एमपी-आईडीएसए को एक अमूल्य खजाना बताया, जो देश की रक्षा और सुरक्षा को एक नई दिशा प्रदान कर सकता है। रक्षा मंत्री ने कहा,  “आप सभी पारंपरिक युद्ध से लेकर गैर-संपर्क और हाईब्रिड वारफेयर और युद्ध की अन्य अवधारणाओं का अध्ययन कर रहे हैं। लेकिन व्यापक राष्ट्रीय सुरक्षा तो उच्च तकनीकी क्षमता, विविध कौशल वाली जनसंख्या और राष्ट्रीय आर्थिक ताकत के बल पर संभव होती है। ”

 

राजनाथ सिंह ने संस्थान से राष्ट्रीय सुरक्षा के क्षेत्रों में अधिक गहराई से विचार करने का आह्वान किया, ताकि यह राष्ट्र के समग्र विकास में भी उपयोगी हो सके। उन्होंने संस्थान, विशेष रूप से विद्वानों को अनुसंधान और नीति निर्माण के क्षेत्र में नए विचारों के साथ आने और एक मजबूत तथा सक्षम भारत के निर्माण में योगदान करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए सरकार की ओर से हर संभव सहायता प्रदान की जाएगी।

 

रक्षा मंत्री ने इस अवसर पर 100 किलोवाट ग्रिड से जुड़े रूफटॉप सौर ऊर्जा संयंत्र का भी उद्घाटन किया। नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय की योजना के तहत सरकारी भवनों पर सोलर रूफ-टॉप प्लांटों को बढ़ावा देने के लिए सोलर पावर प्लांट प्रोजेक्ट की स्थापना की गई है। अपनी स्थापना के बाद से, सौर संयंत्र ने सफलतापूर्वक 1,41,540 यूनिट बिजली की बचत की है, जिसके परिणामस्वरूप प्रति वर्ष 14 लाख रुपये से अधिक की बचत हुई है। ऊर्जा सुरक्षा की दिशा में संस्थान के काम की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि सौर संयंत्र स्वस्थ पर्यावरण के लिए स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने की सरकार की प्रतिबद्धता का प्रमाण है।

 

राजनाथ सिंह ने एक महत्वपूर्ण पहल के तहत संस्थान में एक ओपन एयर जिम का भी उद्घाटन किया। उन्होंने खासकर महामारी के दौरान स्वास्थ्य और प्रतिरक्षण प्रणाली को मजबूत करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “जबकि सरकार द्वारा टीकाकरण की संख्या 100 करोड़ को पार कर गई है, लोगों की अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता हमें कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में संयुक्त रूप से विजयी बनाएगी। हम जन स्वास्थ्य के प्रति पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं। ” श्री राजनाथ सिंह ने इस बात की सराहना की कि यह परियोजना बिना किसी अतिरिक्त वित्तीय बोझ के एमपी-आईडीएसए और एक स्थानीय सेना स्टेशन के बीच घनिष्ठ समन्वय का एक उत्पाद है।

 

रक्षा मंत्री ने संस्थान के विद्वानों द्वारा लिखित पुस्तकों का भी विमोचन किया, जिसमें देश की रक्षा, सुरक्षा, विदेश नीति और सामरिक अनिवार्यताओं के लिए प्रासंगिक अनुसंधान संबंधी विषयों की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल है।

 

अपने स्वागत भाषण में एमपी-आईडीएसए के महानिदेशक श्री सुजान आर. चिनॉय ने रक्षा, सुरक्षा और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में संस्थान के काम को आगे बढ़ाने में समर्थन और मार्गदर्शन के लिए श्री राजनाथ सिंह को धन्यवाद दिया। उन्होंने एक दूरदर्शी नेता के नाम पर संस्थान का नया नामकरण करने को राष्ट्र के लिए पर्रिकर जी के अपार योगदान को मान्यता और श्रद्धांजलि करार दिया। इस अवसर पर एमपी-आईडीएसए के अन्य वरिष्ठ अधिकारी, विद्वान और कर्मचारी भी उपस्थित थे।

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