2022 के अंत तक 30 विज्ञान प्रौद्योगिकी और नवाचार केंद्रों की घोषणा

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नई दिल्ली :   केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ जितेंद्र सिंह ने आज आजादी का अमृत महोत्सव के हिस्से के रूप में “टेक एनईईवी/नींव@75” का उद्घाटन किया.  उन्होंने जनजातीय गौरव दिवस के अवसर पर आदिवासी समुदायों के लोगों सहित कई सफल स्टार्ट-अप के साथ बातचीत भी की।

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15 नवंबर यानी भगवान बिरसा मुंडा की जयंती को “जनजातीय गौरव दिवस” ​​के रूप में मनाने के प्रधानमंत्री के ऐतिहासिक फैसले का उल्लेख करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि सरकार आदिवासी समुदायों के बीच वैज्ञानिक प्रतिभा को बढ़ावा देने और उनके समग्र सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए देश के विभिन्न हिस्सों में 2022 के अंत तक अनुसूचित जनजातियों (एसटी) के लिए 30 विज्ञान प्रौद्योगिकी और नवाचार (एसटीआई) केंद्र स्थापित करेगी।उन्होंने बताया कि अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लिए प्रस्तावित 75एसटीआई केंद्र में से 20 पहले ही विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा स्थापित किए जा चुके हैं,जो कृषि,गैर-कृषि और अन्य संबद्ध आजीविका क्षेत्रों में फैले विभिन्न हस्तक्षेपों के माध्यम से 20,000 लोगों को सीधे लाभान्वित करेंगे।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने वैश्विक नवाचार सूचकांक (जीआईआई)में भारत के बढ़ते ग्राफ को भी दोहराया और कहा कि कोविड-19 के गंभीर असर के बावजूद वैश्विक नवाचार सूचकांक में 46वां स्थान नवाचार,वैज्ञानिक उत्पादन और अनुसंधान एवं विकास (आर एंड डी) पर खर्च में बढ़ते निवेश के साथ सबसे नवीन अर्थव्यवस्थाओं में भारत की जगह को मजबूत करता है।

श्री सिंह ने कहा कि 2014 में जब से श्री नरेन्‍द्र मोदी सत्ता में आए, भारत वैश्विक नवाचार सूचकांक (जीआईआई) में लगातार उछाल पर रहा है। भारत ने2015 में 81वीं रैंक में सुधार लाकर 2021 में 46वीं रैंकिंग हासिल की है। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक विभागों जैसे अंतरिक्ष विभाग, परमाणु ऊर्जा विभाग,विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग और जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने भारत की वैश्विक रैंकिंग में सुधार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

 

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि “टेक एनईईवी/नींव @ 75” एक साल तक चलने वाला उत्सव है जो समान समावेशी आर्थिक विकास के लिए समुदाय को सशक्त बनाने में विज्ञान प्रौद्योगिकी नवाचार (एसटीआई) के प्रभाव को दर्शाता है। 75 घंटे के इस कार्यक्रम में आत्म-निर्भर भारत की दिशा में 75 प्रभावशाली कहानियों के संकलन के अलावा लाभार्थियों,सामुदायिक परिवर्तन लाने वाले नेताओं के अनुभव साझा करना और विभिन्न लाभार्थियों की गोलमेज चर्चाएं शामिल हैं।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि “टेक एनईईवी/नींव @75″को बड़े स्तर पर प्रयोगशाला अनुसंधान की संभावनाएओं और नए वैज्ञानिक विकास के लिए पारंपरिक,स्थानीय तथा स्वदेशी ज्ञान के साथ तालमेल बनाने के लिए अवसरों की तलाशकरनी चाहिए जो लचीला समुदायों के निर्माण में योगदान करते हैं। उन्होंने कहा कि देश भर में बेहतर आजीविका नतीजों के लिए एसटीआई को अपनाने हेतु समुदाय की मजबूत नींव को प्रदर्शित करने के लिए विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी मंत्रालय और पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की यह एक उपयुक्त और सामयिक पहल है।

केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने नए भारत के प्रधानमंत्री के नारे “जय जवान,जय किसान,जय विज्ञान,जय अनुसंधान” का उल्लेख करते हुएकहा कि यह सबसे गरीब लोगों के जीवन को बदलने और सस्ती प्रौद्योगिकियों के विकास में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के महत्व को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि पिछले सात वर्षों के दौरान परिवर्तन की गति,पैमाना और उसके दायरे ने भारत को दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था में शामिल किया है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने “वोकल फॉर लोकल” विषय को रेखांकित करते हुए कहा कि विज्ञान सार्वभौमिक है लेकिन, आम आदमी के लिए बेहतर गुणवत्ता वाले जीवन और जीवन को आसान बनाने के लिए सस्ती स्वास्थ्य देखभाल,आवास,स्वच्छ हवा,पानी और ऊर्जा,कृषि उत्पादकता और खाद्य प्रसंस्करण इत्यादि की समस्याओं के समाधान के लिए स्थानीय जरूरतों और हालात के अनुसार प्रौद्योगिकी स्थानीय होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सतत विकास के लिए विज्ञान,प्रौद्योगिकी और नवाचार की क्षमता का उपयोग करने के लिए समुदाय की क्षमताओं और योग्यताओं को बढ़ाने की तत्काल आवश्यकता है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि मंत्रालय के विभिन्न कार्यक्रमों को लेकर फीडबैक औरइन कार्यक्रमों के विभिन्न लाभार्थियों/हितधारकों के साथ उनकी बातचीत देश के वैज्ञानिकों द्वारा आत्म-निर्भर भारत के कई स्तंभों में से एक प्रौद्योगिकी संचालित प्रणाली के लिए एक मजबूत नींव रखने के अनुकरणीय प्रयासों का प्रमाण है। यह एसटीआई समाधानों को अपनाने का जरिया है जो स्थायी आजीविका और प्रौद्योगिकी के नेतृत्व वाली सामाजिक उद्यमिता बनाने के लिए स्वयं में लचीला हैं। उन्होंने कहा कि लाभार्थियों और परिवर्तनकारी समूहों द्वारा दर्शाया गया आत्मविश्वास और क्षमताएं आत्म-निर्भर भारत के निर्माण की दिशा में ग्रामीण भारत की क्षमता को प्रदर्शित करती है।

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