गुरुग्राम । कोरोना संक्रमण के दूसरे फेज की रफ्तार अब गुरुग्राम में भी बढ़ने लगी है। पिछले एक सप्ताह के आंकड़े इस बात के पुख्ता संकेत देने लगे हैं कि यहां लोगों की लापरवाही का नतीजा सामने आने लगा है। आज यानी शनिवार को कोरोना पॉजिटिव के 141 नये मामले सामने आए हैं जबकि शुक्रवार को 184 मामले और गुरुवार को 104 और उससे पहले 84 लोगों के संक्रमित होने की पुष्टि हुई थी। इस स्थिति को देखते हुए जिला प्रशासन की ओर से सख्ती बरतने के कोई संकेत नहीं मिल रहे हैं। गुरुग्राम पुलिस मास्क नहीं लगाने वालों के चालान काट कर अपनी औपचारिकता निभा रही है।
इस महामारी की चपेट में आकर गुरुग्राम में लगभग 370 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि कुल 574 लोगों को डॉक्टर की सलाह पर होम आइसोलेशन में रहने को कहा गया है। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार अब जिला में कोविड-19 संक्रमित 635 मामले हैं जिन का इलाज चल रहा है। स्वास्थ्य विभाग ने बताया है कि गुरुग्राम में अब तक कुल 59000 लोग इस संक्रमण से निजात पा चुके हैं और 60000 से अधिक व्यक्ति संक्रमित हो चुके हैं।
केंद्र सरकार की ओर से कोविड-19 वैक्सीनेशन की योजना तो शुरू हो गई लेकिन 60 वर्ष की उम्र सीमा निर्धारित करने से आम जनमानस अभी तक इस सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हैं। हालांकि 45 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को जिन्हें किसी प्रकार की बीमारी से परेशानी है वैक्सीन लगवाने की अनुमति दी गई है। देश के प्रधानमंत्री से लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री और चिकित्सा विशेषज्ञों की ओर से लगातार आम जनमानस को मास्क लगाने और 2 गज की दूरी मेंटेन करने के साथ-साथ सैनिटाइजेशन एवं हाथ की सफाई करने की सलाह भी दी जा रही है लेकिन गुरुग्राम जैसे अंतरराष्ट्रीय शहर में इस अपील का असर कम दिख रहा है। शहर हो या ग्रामीण क्षेत्र अधिकतर लोग अपनी व्यावसायिक गतिविधियां या नौकरी पेशा के लिए बाहर निकलने के दौरान मास का प्रयोग नहीं करते देखे जा रहे हैं। 2 गज की दूरी मेंटेन करना तो दूर सैनिटाइजेशन लगभग भूल ही गए हैं। लोग आपस में इस संक्रमण को सामान्य वायरल बता कर एक दूसरे की सलाह को कूड़े में डाल देते हैं। सामान्यतया गुरुग्राम शहर की वासियों मास्क केबल पुलिस और प्रशासन की भय सीही गले में लटकाए देखे जाते हैं।
पिछले दो-तीन दिनों से गुरुग्राम पुलिस की ओर से जालान काटो अभियान शुरू करने के बाद लोगों ने मास्क रखना शुरू तो कर दिया लेकिन उसका उपयोग नहीं करते हैं। संक्रमण की रफ्तार कम होने की वजह से इससे होने वाले नुकसान का भय भी लोगों से निकलता गया है। दूसरी तरफ जिला प्रशासन और पुलिस ने भी इस मामले में घोर लापरवाही बरतने शुरू कर दी थी। अब देश के कई राज्यों में कोविड-19 संक्रमण के दूसरे फ्रिज का आरंभ तीव्र गति से होने के कारण लोग चर्चा तो कर रहे हैं लेकिन सावधानी बरतने से उन्हें अब भी परहेज है।
कोविड-19 वैक्सीनेशन को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने सरकारी अस्पताल एवं अलग-अलग इलाके में स्थापित छोटे स्वास्थ्य केंद्रों पर भी व्यवस्था कर दी है। शहर की लगभग सभी बड़े निजी अस्पतालों में भी वैक्सीनेशन की सुविधा है लेकिन लोगों में इसके प्रति अब भी हिचकिचाहट है। कई प्रकार की भ्रांतियां इसको लेकर लोगों के मन में बरकरार है क्योंकि सोशल मीडिया फेसबुक ,यूट्यूब और अन्य प्लेटफार्म पर अयोग्य लोगों द्वारा अनर्गल आधारहीन और भ्रामक खबरें परोसने के कारण आम जनमानस कोविड-19 वैक्सीन के तथाकथित नकारात्मक असर के भय से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। समाज में शिक्षित एवं अच्छे प्रोफेशनल्स जी वैक्सीन लगवाने से बच रहे हैं। इसलिए वैक्सीनेशन की गति अपेक्षाकृत धीमी है।