नई दिल्ली। इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) ने पीएलआई योजना के तहत 16 पात्र आवेदकों को मंजूरी दे दी है। 1 अप्रैल 2020 को अधिसूचित की गई उत्पादन से संबद्ध प्रोत्साहन योजना (पीएलआई) के तहत बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण के लिए आधार वर्ष (वित्त वर्ष 2019-20) के बाद पांच वर्षों की अवधि के लिए, भारत में पात्र कंपनियों को निर्मित लक्षित खंड के तहत माल की वृद्धिशील बिक्री (आधार वर्ष से अधिक) पर 4 प्रतिशत से 6 प्रतिशत तक प्रोत्साहन प्रदान किया जाएगा।
पीएलआई योजना के तहत पात्र आवेदकों को मंजूरी देते हुए, केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी, संचार, कानून और न्याय मंत्री श्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि वैश्विक स्तर के साथ-साथ स्थानीय स्तर की मोबाइल फोन निर्माता कंपनियों और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण निर्माताओं से प्राप्त आवेदनों के मामले में पीएलआई योजना को बड़ी सफलता मिली है। विश्व स्तरीय विनिर्माण गंतव्य के रूप में इस उद्योग ने भारत की शानदार प्रगति में फिर से विश्वास दिलाया है और यह प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत के आह्वान को दृढ़ता से प्रतिध्वनित करेगा। माननीय मंत्री महोदय ने आगे कहा कि हम आशावादी हैं और मूल्य श्रृंखला में एक मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण और वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं के साथ जुड़ने के लिए उत्सुक हैं, जिससे देश में इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत किया जा सके।
मोबाइल फोन (15,000 रुपये और उससे अधिक की कीमत वाले) सेगमेंट के तहत अनुमोदित अंतरराष्ट्रीय मोबाइल फोन निर्माता कंपनियां सैमसंग, फॉक्सकॉन हॉन हाई, राइजिंग स्टार, विस्ट्रॉन और पेगट्रॉन हैं। इनमें से फॉक्सकॉन होन हाई, विस्ट्रॉन और पेगट्रॉन नामक 3 कंपनियां एप्पल आईफोन के लिए कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरर्स हैं। एप्पल (37%) और सैमसंग (22%) दोनों मिलकर मोबाइल फोन के वैश्विक बिक्री राजस्व के लगभग 60% कब्जा रखते हैं और इस योजना से देश में उनके विनिर्माण आधार में कई गुना वृद्धि होने की उम्मीद है।
मोबाइल फोन (घरेलू कंपनियों) सेगमेंट के अंतर्गत, लावा, भगवती (माइक्रोमैक्स), पैडेट इलेक्ट्रॉनिक्स, यूटीएल नियोलिंक्स और ऑप्टिमस इलेक्ट्रॉनिक्स सहित भारतीय कंपनियों को इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा अनुमोदित किया गया है। इन कंपनियों से अपने विनिर्माण कार्यों का महत्वपूर्ण तरीके से विस्तार करने और मोबाइल फोन उत्पादन में राष्ट्रीय दिग्गज कंपनियों के रूप में विकसित होने की उम्मीद है ।
6 कंपनियों को निर्दिष्ट इलेक्ट्रॉनिक उपकरण सेगमेंट के तहत मंजूरी दी गई है जिसमें एटी एंड एस, असेंट सर्किट, विस्कॉन, वाल्सिन, सहसरा और नियोलिंक शामिल हैं।
अगले 5 वर्षों में, पीएलआई योजना के तहत अनुमोदित कंपनियों की ओर से 10,50,000 करोड़ रुपये (10.5 लाख करोड़ रुपये) से अधिक का कुल उत्पादन होने की उम्मीद है। कुल उत्पादन में से, मोबाइल फोन (15,000 रुपये और उससे अधिक कीमत वाले) सेगमेंट के तहत अनुमोदित कंपनियों ने 9,00,000 करोड़ रुपये से अधिक के उत्पादन का प्रस्ताव किया है, मोबाइल फोन (घरेलू कंपनियों) कैटेगरी के तहत अनुमोदित कंपनियों ने लगभग 1,25,000 करोड़ रुपये के उत्पादन का प्रस्ताव किया है और निर्दिष्ट इलेक्ट्रॉनिक उपकरण खंड के तहत निर्धारित कंपनियों ने 15,000 करोड़ रुपये से अधिक के उत्पादन का प्रस्ताव किया है।
इस योजना के तहत अनुमोदित कंपनियों की ओर से निर्यात को काफी बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। अगले 5 वर्षों में 10,50,000 करोड़ रुपये के कुल उत्पादन में से लगभग 60 प्रतिशत का योगदान 6,50,000 करोड़ रुपये के ऑर्डर के निर्यात से होगा।
इस योजना के तहत मंजूर कंपनियां इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग में 11,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त निवेश देश में लाएगी।
इस योजना के तहत अनुमोदित कंपनियां अगले पांच साल में लगभग 2 लाख प्रत्यक्ष रोजगार का सृजन करेंगी, इसी के साथ प्रत्यक्ष रोजगार के लगभग तीन गुना अधिक अतिरिक्त अप्रत्यक्ष रोजगार का सृजन भी किया जाएगा।
घरेलू मूल्य वर्धन मोबाइल फोन के मामले में मौजूदा 15-20% से 35-40% और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए 45-50% से बढ़ने की उम्मीद है।
2025 तक भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स की मांग कई गुना बढ़ने की उम्मीद के साथ, माननीय मंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि पीएलआई योजना और इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए अन्य पहलों से भारत को इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण के लिए प्रतिस्पर्धी गंतव्य बनाने में मदद मिलेगी और इससे आत्म निर्भर भारत को भी बढ़ावा मिलेगा।
इस योजना के तहत इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण में घरेलू दिग्गज कंपनियों के निर्माण से वैश्विक स्तर पर लक्ष्य रखते हुए वोकल फॉर लोकल को मुखर रूप से प्रोत्साहन मिलेगा।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में और “डिजिटल इंडिया” और “मेक इन इंडिया” कार्यक्रमों जैसी उनकी दूरदर्शी पहलों के तहत भारत ने पिछले पांच वर्षों में इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण में अभूतपूर्व वृद्धि देखी है। राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स नीति, 2019 में आकार और पैमाने पर ध्यान केंद्रित करके, निर्यात को बढ़ावा देने और इस उद्योग को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए एक सक्षम वातावरण बनाकर घरेलू मूल्य वर्धन को बढ़ाकर भारत को इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम डिजाइन और विनिर्माण (ईएसडीएम) के लिए एक वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करने की परिकल्पना की गई है।