नई दिल्ली। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग और रेल मंत्री पीयूष गोयल ने आज जी-20 के व्यापार और निवेश मंत्रियों की आभासी (वर्चुअल) बैठक में हिस्सा लिया। इसमें दिए गए अपने वक्तव्य में उन्होंने जी-20 से कोविड-19 से उबरने का रास्ता खोजने में नेतृत्वकारी भूमिका निभाने की अपील की। उन्होंने कहा कि सभी देशों के लिए एक महत्वपूर्ण सीख यह है कि संतुलित और सतत विकास सुनिश्चित करने की सोच के साथ बाहरी और आंतरिक आर्थिक नीतियों में संतुलन बनाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि भारत समावेशी और विकासोन्मुखी एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए जी-20 के सभी सदस्यों के साथ रचनात्मक रूप से जुड़ने के लिए तैयार है।
श्री गोयल ने घोषणा की कि भारत ‘डेटा फ्री फ्लो विद् ट्रस्ट’ (डीएफएफटी) की अवधारणा को स्वीकार करने की स्थिति में नहीं है। उन्होंने कहा कि भारत का विचार है कि डीएफएफटी की अवधारणा न तो सुविचारित है और न ही विभिन्न देशों के कानून के हिसाब से पर्याप्त व्यापक ही है। उन्होंने कहा,‘इसके अलावा विभिन्न देशों के बीच बहुत बड़े डिजिटल विभाजन को देखते हुए विकासशील देशों को नीतिगत छूट (पॉलिसी स्पेस) देने की आवश्यकता है, जिन्हें अभी डिजिटल व्यापार और डेटा संबंधी कानूनों को अंतिम रूप से तैयार करना है। डेटा, विकास के लिए एक शक्तिशाली साधन है और सभी तक डेटा की न्यायसंगत पहुंच हमारे लिए बेहद महत्वपूर्ण पक्ष है।
दूसरे बहुत से विकासशील देशों की तरह भारत अभी भी अपने डेटा संरक्षण और ई-कॉमर्स कानूनों की रूपरेखा (फ्रेमवर्क) बनाने की प्रक्रिया में है। इसके अलावा वर्तमान नियमों, जिनके आधार पर डीएफएसटी को लाने की मांग है, जैसे कि सीमाओं के आर-पार डेटा की निर्बाध आवाजाही, डेटा की पहुंच से जुड़ी हमारी चिंताओं का समाधान करने में पूरी तरह से अक्षम हैं। यह डिजिटल विभाजन को और ज्यादा विस्तार दे सकता है।” उन्होंने कहा कि भारत और कुछ अन्य जी-20 सदस्यों ने अपनी अपत्तियों की वजह से पिछले साल ओसाका में संपन्न हुई बैठक में हिस्सा नहीं लिया था।
जी-20 को दुनिया की बहुसंख्यक आबादी का प्रतिनिधित्व करने वाला महत्वपूर्ण समूह बताते हुए श्री गोयल ने कहा कि हमें एक ऐसे एजेंडे को आगे बढ़ाना चाहिए, जो सभी के लिए लाभकारी हो और जी-20 के बाहर भी सदस्यों के हितों को ध्यान रखता हो। उन्होंने विभिन्न आर्थिक वास्तविकताओं के लिए संवेदनशील होने की भी जरूरत पर जोर दिया।
श्री गोयल ने कहा कि कोविड-19 महामारी और भविष्य में जीवन और आर्थिक गतिविधियों को बचाने के लिए खाद्य श्रृंखला (फूड चेन्स) और आवश्यक आपूर्ति बरकरार रखने में छोटे खुदरा विक्रेताओं की अहम भूमिका की पहचान करना बहुत महत्वपूर्ण है।
श्री गोयल ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में भारत ने मौजूदा संकट को कृषि, खनन, रक्षा, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी, लॉजिस्टिक्स, वित्त और अन्य क्षेत्रों में साहसिक और परिवर्तनकारी सुधारों की शुरुआत करने वाले अवसर के रूप में उपयोग किया है। उन्होंने कहा,“हम बुनियादी ढांचे के निर्माण, हमारी औद्योगिक और सेवा संबंधी कारोबार में निवेश का सक्रियता से स्वागत कर रहे हैं। विश्व भी भारत में बड़े अवसरों को मान्यता दे रहा है।”
श्री गोयल ने कहा कि भारत का आर्थिक विस्तार अब ‘आत्मानिर्भर’ होने की नीति पर आधारित है। मंत्री ने कहा,“हम भारत को विस्तारित क्षमता के साथ आर्थिक रूप से मजबूत बनाना चाहते हैं, जो एक भरोसेमंद भागीदार के रूप में हमारी मदद करेगा और दुनिया में बेहतर योगदान देगा। इस कोविड काल के दौरान भारत ने इस दिशा में कई बड़े कदम उठाए हैं।
हमने प्रतिदिन के अपने पीपीई उत्पादन को पहले के शून्य से बढ़ाकर आधा मिलियन से ऊपर तक पहुंचा दिया है। हम टेस्टिंग किट, मास्क और वेंटिलेटर इत्यादि में आत्मनिर्भर हैं। हमने जरूरी दवाओं की उचित और पारदर्शी आपूर्ति भी सुनिश्चित की है। इन उपायों ने जनहित के लिए हमारी साख को एक विश्वसनीय, भरोसेमंद और समानुभूति रखने वाले साझेदार के रूप में मजबूत किया है।
बहुपक्षीय व्यापार व्यवस्था के मुद्दे पर श्री गोयल ने कहा कि भारत का मानना है कि इसे निश्चित तौर पर उचित, पारदर्शी और संतुलित होना चाहिए। उन्होंने कहा कि सुधारों को निष्पक्षता, समावेशीपन, लोगों की अलग-अलग जरूरतों को समझने और आम सहमति से फैसले लेने जैसे सारगर्भित मूल्यों और बुनियादी सिद्धांतों को संरक्षित करने वाला होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि भारत, रियाद पहल का समर्थक है, जो इस सुधार प्रक्रिया को समर्थन करना चाहता है। श्री गोयल ने कहा,“हालांकि, हमें यह मानना होगा कि डब्ल्यूटीओ, सदस्यों की अगुवआई में चलने वाला संगठन है और जी-20 को बिल्कुल भी बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली में दखलंदाजी करने और एजेंडा (अभियान) चलाने वाले की तरह नहीं दिखाई देना चाहिए। इसकी जगह पर वर्तमान व्यापार प्रणाली में मौजूद विषमता और असंतुलन को दूर करना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।”
सेवाओं को आर्थिक गतिविधियों के लिए जरूरी संचालक बताते हुए श्री गोयल ने कहा कि यह ज्यादातर देशों के लिए उनकी जीडीपी के आधे से अधिक हिस्से का योगदान करता है और अभी जारी महामारी से बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। उन्होंने कहा कि चूंकि यह क्षेत्र रोजगार बाहुल्य है और बहुत लोगों को आजीविका देता है, इसलिए यह बहुत जरूरी है कि जी-20 के आगामी एजेंडे में सेवाओं को प्राथमिकता दी जाए।